देश का नमक
देश का नमक
ये देश का नमक बड़ा ही कीमती है
सोने से भी ज़्यादा इसकी गिनती है
ये नमक जिस किसी को लग जाता है
उसकी रूह तक बजा देता घण्टी है
ये सफ़ेद रंग की कोई चीज नही है
ये वतनपरस्ती की तेज़ाबभरी मिट्टी है
ये देश का नमक बड़ा कीमती है
सोने से ज़्यादा इसकी गिनती है
एक फौजी की नस नस में समाया,
ये देशप्रेम की अद्भुत अनपढी चिट्ठी है
ये देश का नमक बड़ा कीमती है
सोने से ज़्यादा इसकी गिनती है
जो खाता है,इस माटी का नमक
वो इस नमक का असर जानता है
इसके राख से भी निकलती अग्नि है
ये देश का नमक बड़ा कीमती है
सोने से ज़्यादा इसकी गिनती है
ये नमक दरिया,झील में नही मिलता है,
ये बस हमारे दिलों की एक गरमी है
ये नमक हमारे रग रग में बसा है,
इसके बिना हम जी नही सकते है,
ये नमक ही हम सब की जिंदगी है
ये देश का नमक बड़ा कीमती है
सोने से ज़्यादा इसकी गिनती है
ये हिंद का नमक,
हर स्वाद से अलग है,
इसके स्वाद में देशप्रेम की दिल्लगी है
ये नमक ही हमारी पूजा है
इसके बिना नहीं कोई दूजा है
ये नमक ही ख़ुदा की हमारी बंदगी है।