एक सलाम हमारे सैनिकों के नाम
एक सलाम हमारे सैनिकों के नाम
पथरीली राहों में भी बढ़ते
जिसके अमिट कदम
अपने भुजबल से देश-रक्षा को
लालायित हर दम
जिसकी शक्ति की परिभाषाएँ
है निःस्वार्थ अदम्य
जो दुश्मनों के प्राण पखेरू को
कर दे बेदम
तो फिर क्यों न करें हम
एक सलाम हमारे सैनिकों के नाम
घर-द्वार,बीवी-बच्चों का
मोह-माया छोड़ कर
दोस्त-यार,गाँव-मोहल्ले
से रिश्ते तोड़ कर
कँपकपाती ठण्ड, चिलचिलाती धूप,
गुर्राती बिजली का सीना चीर कर
खड़े रहे जो सीमा पर
वतन की मर्यादा खुद से जोड़ कर
तो फिर क्यों न करें हम
एक सलाम हमारे सैनिकों के नाम
देश की हर गतिविधि में
उसकी सार्थक पहल
बाढ़,तूफान, आगजनी,
घुसपैठ सब में इनकी चहल
छोड़ के सब सुख-चैन,
ऐशों-आराम के महल
उसकी आत्म-समर्पित भावना से
ज़ख़्म जाता सहल
तो फिर क्यों न करें हम
एक सलाम हमारे सैनिकों के नाम
देश की आन-बान-शान की
रक्षा एक मात्र धर्म
वतन पे पड़ने वाली
बुरी निगाहों को रौंदना ही कर्म
पूरे राष्ट्र को दिया क्षमा-दया
बुद्धि-बल-विवेक का मर्म
तिरंगे में लिपटी इन वीर जवानों की
शहादत से आँखें हो जाती नम
तो फिर क्यों न करें हम
एक सलाम हमारे सैनिकों के नाम।।