मध्यान्तर"..अभी जारी है•••••
मध्यान्तर"..अभी जारी है•••••
कवि
एक बोरी आसूं
कोन हूँ में
निरर्थक
सच या झूठ
सेलिब्रिटी
थोड़ा थोड़ा
क्या है ऐसी दुनिया कहीं
अतुकातं कविता सी
बस्तियाँ
वो दुनिया
जीते जी ना जान सकी
जिन्हें
एक टुकड़ा जिन्दगी
भीड़
या
परजीवी
सिर्फ इतना ही
सुनो भगवान
मेरी नन्ही सी दुनिया में
जिन्दा हूँ में
क्या किया तुमने
माँ कहती थी
जिन्दगी
तुम पूछना अवश्य
तुम हो
सफर
प्रतिध्वनि
उम्मीद का सूरज
रेगिस्तान
या बुरबक
सीता का संघर्ष
स्वप्न या
क्यूँ है
रिश्तों के समीकरण
मौन
सुबह हुई है अभी
अजिवित
वक्त के साथ साथ
उलझनें
अलविदा
बचपन की यादें
मध्यान्तर
होते होते
वक्त हँसता रहा
यादों के लेटर बॉक्स में
मुस्कुराहटें बाकी है अभी
उम्र के चार दशक
पढ़ना चाहोगे
उम्मीदों का पेराशूट
कौवे
तुम यूँ भी हो कहीं
आश्चर्य मे हो तुम
रहता है
कुछ तो है कहीं
इंनसानियत का
ये कौन है
अतं तक
आज फिर
मुश्किल है
हर दिन
कुछ तो
मिलना मेरा तय है तुमसे
मेरे वो खत
पूरे फिल्मी है
ओर
मेरी दुनिया
आखिरी खत
देखा हे
एक शहर
अनुपम पल
शब्द सेतु मे
मै कही हूँ ही नहीं
छटपटाहट है
मृत्यु
धर्म
ओर कुछ नहीं
अब डर नही लगता
कोई एक दिन
युद्ध
मे ओर तुम की
चर्चा हो
प्रमाण पत्र
अकवि का
टुकड़ा टुकड़ा तथ्य
अजी थोड़ा तो जी लिजिए
अभी जारी है
"मध्यान्तर"...