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Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

मैं शिद्दत से याद आऊँगी

मैं शिद्दत से याद आऊँगी

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जब सभी भूल जाएँगे तुम्हें 

तब शिद्दत से याद आऊँगी मैं

कोई ना होगा आसपास तेरे 

लिपटा होगा मेरा साया तुमसे


हर कोई कुछ न कुछ चाहता है

तुमसे 

मेरी नि:स्वार्थ चाहत है तुमसे

तुम्हारी नज़रों में आज मैं कुछ

भी नहीं

मेरे लिए तुम मेरी दुनिया सही..


खोने को जब कुछ ना बचेगा

तब अनमोल हीरे सी पाओगे मुझे

आज हो घिरे लालची रिश्तों की

गिरफ़्त में..

कल छोड़ जाएँगे सब तुम्हें उदास

ना होना..


आख़िर में 

जब थक कर चूर हो जाओ

और साथ न कोई संगी हो..

जब सारी दुनिया खंगाल लो

और फिर भी लगे की हाँ

कुछ छूट रहा है


मैं यहीं थी यहीं हूँ 

तब आना मेरे शहर की किसी

गली में मिलूँगी मैं, अदरक वाली

चाय के साथ

दहलीज़ पर बैठे इंतज़ार करते हुए

तुम्हारी एक आवाज़ पर दौड़ी

चली आऊँगी

 

क्या रात का दामन कभी

छोड़ा है दिन ने

रात ढ़लती है तभी तो दिन उगता है,

दिन ढ़लता है तभी तो रात होती है..

कहाँ जुदा हूँ तुमसे तुम्हारे होने पर

ही मेरा वजूद टिका है।।



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