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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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जाने क्यों लोग दहेज़ लिया करते हैं

जाने क्यों लोग दहेज़ लिया करते हैं

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इस समाज में, इस दहेज ने

 कितने नाते तोड़े, कितने घर उजाड़े

 जाने क्यों लोग दहेज लिया करते हैं.....2

 "वधू" के बदले धन-दौलत लिया करते हैं।

 जाने क्यों लोग......


 बेइज्जत होते हैं, इज्जत नहीं मिलती,

 भरी महफिल में कभी हिम्मत नहीं मिलती

 दिल रोने लगता है, इज़हार नहीं करता

 दहेज में माँ-बाप का यही अंजाम होता है।

 कोई क्या इसे समझे, क्यों लड़की वाले

 क्यों रोते हैं, दर्द भरे आँसू पीते हैं

 तड़प तड़प कर वेइज्जत के घूँट पिया करते हैं।.......2

 जाने क्यों लोग........


 विदाई में घर वालों को कितना रुलाती है,

 हर पल अपनी नाज़ों से पाली गुड़िया याद आती है

 बर्षों की पालीअपनी, अपनों से दूर होती है

 जुदा हो रही गुड़िया के बिछड़ने की वेदना होती है

 न भावनाओं का काम चलता है

 न आँसुओं से आराम मिलता है

 मद में फिर भी "वर" वाले क्यों न समझा करते हैं।....2

 जाने क्यों लोग........


" नव-वधू" से हर घर आबाद होता है

 ना जाने फिर भी क्यों दौलत पर कुर्बान होता है

 जिंदगी से भी इनको अच्छे लगते दौलत के किस्से

 फिर सब को सुनाते हैं अपनी औकात के किस्से

 बेशर्म हैं, लालची है वो

 उस लाडली का, अपनी खुदगर्जी का

 ताने दे-दे जुल्म ढाया करते हैं।....2

 जाने क्यों लोग........

गीत के बोल......जाने क्यों लोग मुहब्बत किया करते हैं।

फिल्म,.....मेहबूब की मेंहदी।


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