अरे ! जुमलोंवालों
अरे ! जुमलोंवालों
अरे ! जुमलोंवालों ...
कुछ तो शर्म करो !
अंध :भक्ति में ...
यूँ ही ना पल- पल मरो !
वह तो ढोंगी, पाखंडी
बेशक गद्दार हैं !
उन्हे ना तुमसे ना देश से
परिवार से कोई प्यार हैं !
धर्म और जात के नाम पर
खुद्द कि रोटी सेकनेवाले
वह तो केवल और केवल
मौत के सौदागर हैं !
सत्ता और कुरशी के लिये
किस हद तक गिरोगे तुम ?
मुंगेरीलाल के सुंनहरे सपने
आखिर कब तक दिखावोगे तुम ?
अरे ! जुमलोंवालों ...
कुछ तो सच बोलो !
नहीं कुछ कर सकते तो
हमे हमारे हाल पे छोड़ दो !
बंद करो भाई ! अब तानाशाही
डराना, धमकाना, चाटुकार बनाना !
अपना बिस्तर समेट लो भाई
बस हो गया विकास तुम्हारा !