काय ते दिस पण
काय ते दिस पण
_________________________
काय ते दिस पण
मन खेळलं खऱ्यांनं
निःस्वार्थ मित्र होते
निःस्वार्थ भावानं
----------------------------------------
रुसवा फुगव्यानं
प्रेम जपलं होतं
जपली होती साथ
खांद्याला खांद्याची
----------------------------------------
खेळ खेळली
आनंदानं निश्चिन्त
खो खो लपंडाव
कबड्डी इत्यादी सर्वच
----------------------------------------
ना दडपण होतं
ना जिम्मेदारी
नभ सारं मोकळचं
नवसार नवल होतं
----------------------------------------
पोहली मनसोक्त
स्वप्न साजरी गोडीची
काय तें दिस पण
नितळ अंतःकरणी
----------------------------------------
सणाची रुची वेगळी
सुट्टी असें शाळेला
मित्र जमती मैदानी
हर्ष खेळे मनोमनी
----------------------------------------
कधी फिरली वनराणी
बागडली मिळून वनभोजनीं
पाखरासारखे खेळली
निसर्ग कुशीत मस्त धुंद
----------------------------------------
आता आठवती एकांती
काय तें दिस पण
राहून राहून उजाळा करी
निष्पाप बालपण होते खास
_________________________
