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Meenakshi Kilawat

Inspirational

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Meenakshi Kilawat

Inspirational

इतिहास

इतिहास

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इस शाश्वत जीवन में दिखता है सृष्टि का नाश

आंखों में भरकर ज्ञान से खोजती हूं इतिहास


इस दिल में सदा रहता संस्कृति खो जानेका डर

नहीं रहा अब अंतर में संकल्पनाओं का वास


कहां गया वह सपनों सा जागरूक विवेक

खत्म हुई संकल्पनाएँ हुई भावनाएँ मूक


प्रकाश की आभामयी ज्योति भीतर ही बुझ गई

दिल की भावनाएं मति मंद सी हो गई


अपंग हो गए हाथ पाँव मन बुद्धिहीन

ह्रदय में होता है मंथन और जलता है मेरा मन


विवेक शुन्य जगत में नहीं किसी को शांति

नहीं रहा अब तो उल्लास मिट गई भ्रांति


हाथों में लिए है यह विशाल जिम्मेदारी

और गावों नगरों में दिखाओ देश सेवा सारी


जगाओ आत्मविश्वास और समृद्धि की ज्योति

देश के लिए रखिए मानवता की जरा सी जागृति।


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