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Prakash Chavhan

Abstract Romance Tragedy

3  

Prakash Chavhan

Abstract Romance Tragedy

दवं प्रेमाचे

दवं प्रेमाचे

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*प्रेम शिंपडले रे 

मया जिवांची ही 

आले विचार र 

खाली दवात पडून *

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*राहिले मनोमनी 

टवटवीत ताजे 

स्वरूप व्यक्त रे 

आनंद देऊन*

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*करती ही मौज

स्वप्न नव्याने  

नवं दवात दवं 

दावते नवं काही*

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*नवं स्फूर्ती भरून

उमटती दवं प्रेमाचे 

अंगोअंगी भिजवून 

व्यक्त झाली रे प्रेमसार*

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*मना फुलते रे स्वर्ग 

आनंदी आनंद देऊन 

प्रेम शिंपडतात पुन्हा

दवं, भावबंधाचे धरून*

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