ये तो कमाल हो गया..
ये तो कमाल हो गया..
आज एक मुश्किल काम करने जा रहे हैं... वो क्या है आगे पता चलेगा..
तीन दिन से दिमाग का दही हुआ जा रहा है.. मैसेज भेजते हैं तो पढ़ लेते हैं,, पर कोई ज़वाब नहीं.. एक शुभ प्रभात भेज दिया तो बड़ा निहाल कर दिए..
सारी दुनिया के काम करने के लिए वक्त मिल जाता है.. बस हम से ही बात करने के लिए फुर्सत नहीं.. दो दिन के अन्तराल में सिर्फ एक मैसेज की,, व्यस्त हैं,,, वाह जी वाह.. बड़ी मेहरबानी..
बाकी के काम तो किए ही जा रहे हैं न.. उसके लिए कैसे मिला वक्त.. कुछ ज्यादा नहीं हो रहा है ये..
ओके ओके.. माना कि आपको यकीन है कि हम आपसे नाराज नहीं हो सकते..
पर सुनिए जनाब,, इतना आत्मविश्वास भी सही नहीं है.. ऐसे व्यस्त रहेंगे न तो आपका विश्वाश,,,,,,,, भोले जाने फिर.. हमारे तांडव से वो भी नहीं बचा पाएंगे..
आप आखिर समझते क्या है अपने आपको...........
और,,, शिव तांडव स्त्रोत बज उठा... अजी ये हमारे मोबाइल की रिंग टोन है..
देखा तो जनाब का कॉल था.. वैसे मानना पड़ेगा इनकी टाइमिंग को.. सामने तो दूर की बात है,, लेखन में भी ये डांट खाने से बच जाते हैं..
हैलो..
हैलो...
क्या हाल है..
बहुत बुरे हैं..
हम समझ सकते हैं..
आप कुछ नहीं समझ सकते हैं.. ( पारा तो हमारा चढ़ा हुआ था तो बस शुरू हो गए) एक मैसेज कर दिए और हो गई ड्यूटी खत्म.. सब कुछ जरूरी है आपके लिए सिवा हमारे,, है न.
निकाल लो सारा गुस्सा,, सारा गुबार,, बरस लो जितना बरसना है.
वाह वाह वाह,, क्या बात है,, कुछ कहना शुरू किया नहीं की सरेंडर कर देते हैं.. और यहि कहते हुए हमें जोर से हँसी आ गई..
हम हँसे तो जनाब कहने लगे..
अरे,, तुम तो बहुत गुस्से में थीं, ये कैसा गुस्सा है कि खिलखिला रही हो..
ये गुस्से की हँसी है..
ओह अच्छा,, हमने तो ये पहली बार देखा कि गुस्से वाली भी हँसी होती है..
अब आप ऐसे सरेंडर करेंगे तो हँसी आएगी ही...
तो क्या करते बोलो..
अरे,, थोड़ी मिन्नत करते,,, जैसे कि,, माफ़ कर दो यार,, मैं भी तुम्हें दिलों जान से मिस कर रहा हूं... जानेमन यूं ना रूठो,, मैं जानता हूं तुम नाराज हो रहीं होंगीं,,,,,वगैरह वगैरह,,,
तो हम थोड़े नखरे भी करते,, थोड़ी डांट लगाते,, नहीं नहीं,, थोड़ी नहीं बल्कि अच्छी खासी डांट लगाते.... पर नहीं..
हथियार ही डाल दिए..
अब सोचिए एकतरफ़ा लड़ाई में क्या मजा...
और जब हमें हँसी आ गई तो जनाब ने जैसे किला फतेह कर लिया..
कहने लगे,,,, हमे पता है कि तुम हम से कभी नाराज नहीं हो सकती हो...
बात तो सही है.. हम उनसे कभी नाराज नहीं हो सकते.. पर उनकी इस लापरवाही से दुखी बहुत होते हैं.. पर शायद उन्हें इसमें भी मजा आता है.. तो यहि सही..
हां तो हम ने शुरू में ये लिखा था कि एक मुश्किल काम करने जा रहे हैं...
तो बात ऐसी है कि.. हम ने अपने दिल का गुबार यहां उतारने के लिए दो लाइन लिखी थी,, उसे आगे बढ़ाते इस से पहले अपनी परफेक्ट टाइमिंग के लिए जाने जाने वाले जनाब का कॉल आ गया..
अब चूँकि बात तो हो चुकी थी और मूड भी काफी ठीक हो चुका था,, इसलिए जो गुबार यहां शब्दों के द्वारा हम निकालने की कोशिश कर रहे थे,, उसमें थोड़ी ढील हो रही थी..
उन्हें बताया कि हम अपना गुस्सा अपनी कलम पर उतार रहे थे.... तो इन्होंने हँसते हुए कहा कि,, अब नहीं लिख पाओगी,, अब तो तूफान शांत हो चुका..
बात तो काफी हद तक सही भी थी..
अब कमाल किस बात का.. हमारे लिखने का या उनकी टाइमिंग का????

