करवा चौथ
करवा चौथ
हम कार्तिक स्नान के कारण सवेरे जल्दी ही स्नान और पूजा कर लेते हैं,, लड्डू कुछ बीमार चल रही है तो रात को परेशान करती है इसलिए भाभी जल्दी नहीं उठ पातीं।
ब्रश कर ही रहे थे कि दरवाजे पर दस्तक हुई, आश्चर्य हुआ कि इतनी सुबह कौन आ गया। दस्तक काफी धीमी थी।
दरवाज़ा खोला तो रोशनी को देख हम चौंक गए,,,
तुम इतनी सुबह कैसे ?
दीदी, आज करवाचौथ है न, जल्दी उठे थे तो सोचा कि यहाँ का काम कर लेते हैं, आप जल्दी उठ जाती हो ये तो पता ही था।
अरे तो ना आती आज, व्रत है तुम्हारा ।
नहीं दी आपके यहां नहीं आते, पर बाकी जगह तो जाना ही पड़ता न, मैं धीरे-धीरे बरतन साफ़ कर लेती हूं वर्ना शोर से लड्डू उठ जाएगी। आज सोई की नहीं ठीक से?
सोती तो है पर रात में कई बार उठ जाती है, तुम चाय पियोगी?
नहीं दीदी, सुबह जल्दी उठकर पी लिए थे, अब तो चाँद को देखकर ही पानी पियेंगे।
रोशनी अपने काम में लग गई, हम भी स्नान के लिए चले गए।
नहा कर पूजा खत्म करके चाय बनाई तब तक रोशनी के सारे काम हो चुके थे।
अच्छा दीदी चलती हुं।
रुको जरा।
जी दीदी।
हमारे पास एक साड़ी थी, अपने लिए ही ली थी। ना जाने क्यों दिल किया कि उसे दे दें, हमें पता था इसने शायद नहीं ली होगी,, हम करवाचौथ तो नहीं करते पर काजल तीज करते हैं, और उस दिन कोरी साड़ी ही पहनते हैं, पिछले तीन वर्षो से। हमने वो साड़ी निकाली और रोशनी को देते हुए कहा कि आज पूजा करोगी तो इसे पहन लेना।
ओह दीदी,, कितनी सुन्दर साड़ी है, पर ये आपका मनपसंद रंग है न, मुझे क्यों दे रहीं हैं।
रखो कहा न।
जी दीदी। अब चलती हुं।
ठीक है, ध्यान रखो अपना।
जी दीदी।
रोशनी,, शायद दस या ग्यारह महीने पहले ही काम पर लगी है, उम्र पच्चीस के करीब है इकहरे बदन की गेहुंआ रंग,, शायद गोरी ही रही होगी पर जो काम वो कर रही है उसके चलते रंग दब गया है।
इसकी कहानी भी बड़ी दर्दनाक है, प्रेम विवाह किया था, पिता उसूलों वाले थे इसलिए बेटी से संबंध खत्म कर दिए। जिस लड़के से विवाह किया वो किसी प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करता था। शायद नागपुर के पास बूटीबोरी में किसी कम्पनी में था।
एक्सीडेंट में उसके पैर में काफी चोट आई, कम्पनी ने इलाज के नाम पर खाना पूर्ति की। महंगाई सर चढ़कर बोल रही है, उस पर नागपुर जैसे शहर में रहना मुश्किल हो गया।
एक दो जगह नौकरी करने का प्रयास किया पर आजकल कम पढ़े लिखे लोगों के लिए मुश्किल से पांच या छः हजार ही मिले तो गनीमत है।
एक दो दोस्तों ने काफी मदद की पर बदले में कुछ और भी चाहा।
कभी कभी कुछ बातेँ सुनकर और लिखकर भी आग सी लगने लगती है, गुस्से का गुबार फटने लगता है। खैर....
किसी ने सलाह दी कि कहीं आसपास छोटे शहर में रहकर कोई छोटा काम करो, जहां तुम्हें कोई पहचान ना पाए।
रोशनी का पति ठीक से चल नहीं पाता, छोटे शहर में तो वैसे भी काम नहीं मिलता, पर खर्च कुछ सस्ते होते हैं, मतलब बड़े शहर की तरह महंगाई नहीं होती।
किसी की सलाह से यहां आ गए,, उसे सबसे सुलभ काम यहि लगा,,, आजकल इसी काम में ज्यादा कमाई है शायद।
फैमिली में दो लोग हों या तीन, पर काम का हिसाब ये है कि एक काम के 500 से 700 रुपये लेंगे, यानि सिर्फ बर्तन साफ़ करें या कपड़े धों लें।
रोशनी सुबह जल्दी निकलती है, अपने पति का पूरा काम करके, फिर ग्यारह बजे उसे नहाने में मदद करने के बाद उसे भोजन करा कर फिर काम पर निकलती है तो शाम सात बजे घर लौट कर अपने और पति के लिए खाना बना कर खाकर फिर आराम करती है।
इतनी तकलीफ में भी आज उसका करवाचौथ के प्रति उत्साह देखते बन रहा था।
धन्य हैं भारतीय नारी,,, सही भी है न,, प्रेम हो तो सब सम्भव होता है, आखिर प्रेम भी तो पूजा ही है।

