दीवाना
दीवाना
मुझे पूरा यकीं है
तेरा दिल और कही है
बता दे आज इतना के
मुझमें क्या कमी है
मुझे पूरा यकीं है
तेरा दिल और कही है....
,,,,,,,,,, इस गीत को सुनकर कभी ऐसे भी लगता था... ओह,, शायद कुछ लोगों के लिए ये गीत एकदम अनजाना सा हो,,, चलिए कुछ देर सोचिए,, तब तक हम अपनी राम कहानी सुना देते हैं,, याद आये तो आप संगीत के महारथी,, और न आए तो हम कौन सा आपका कुछ बिगाड़ लेंगे,,,
जी,, तो हम कह रहे थे कि,,,, जब से प्यार किया तब से ना जाने कितने गीत सुनाए,, कितनी कविता लिखी,,, ऐसा कोई तरीका नहीं छोड़ा अपना हाले दिल बयां करने का...
पर,, किन्तु,,, परंतु,, मगर,,,,,,,, उफ्फ,, ये भी कम है..
पर,,,, मज़ाल है कि जनाब ने कभी अपनी तड़प हम तक पहुंचाई हो.... हमे तो शक होता था कभी कभी कि ये हम से प्यार करते भी हैं या नहीं.. ग़ज़ब तो ये कि I love you का ज़वाब भी मांगना पड़ता था.....
कभी नहीं कहते की आज तुम बहुत याद आ रहीं थीं,,, या आज कोई गीत सुनकर तुम्हें मिस किया आदि आदि.....
हम भी क्या करते,, मन मसोस कर रह जाते... दिन बीते,,, हफ्ते बीते,,, महीने बीते,,,, साल भी बीते,,, हम भी कमाल जीव हैं,, चुपचाप इंतज़ार करते रहे..
और फिर,,,, कल हमारे मोबाइल में तडकती भडकती सी शायरी आई उनकी तरफ से....
पहले तो लगा कि शायद हम नींद में हैं और कोई ख्वाब देख रहे हैं,,,,आखिर कार उठकर बैठ ही गए...
क्योंकि नींद का तो वक्त नहीं था,,, श्रीमान जी तो कॉलेज में होंगे,,,, वहां बैठे बैठे ऐसी शायरी,,,, जिसे पढ़कर लगा कि जनाब कुछ ज्यादा ही याद कर रहे हैं...
हम ने पूछा, क्या हुआ आपको..
ज़वाब में फिर एक शायरी.... पूरे मूड में थे शायद..
हम ने लिखा,,,, आज तो आपने हमारा दिन बना दिया..
ज़वाब में फिर शायरी.... शब्दों से एहसास हुआ कि पिछली सारी कसर आज एक साथ पूरी हो रही है...
हम ने मैसेज किया.... आपको यूं तड़पते देख मजा बहुत आ रहा है...
एक प्यारी सी ईमोजी देकर वो शायद क्लास लेने चले गए...
शाम को दूसरा तूफान हमारे इंतजार में था,,,,, नियत वक्त पर कॉल किया,,,
हैलो...
हाय..
कैसी हो..
अजी पूछिये मत,,, आज तो हवा में हैं हम... वैसे तो किसी को तड़पता देखकर खुश नहीं होना चाहिए,,, पर आज आपकी हालत देखकर बड़ा मजा आया...
अच्छा जी,,, वो क्यों भला..
अजी पहली बार तो हमें पता चला कि आग उधर भी लगती है...
हां ये सही है,,,, तुम बहुत याद आ रही थीं...
ओह हो,,, आज पहली बार...
ये तो हद हो गई न... कहूँगा तभी मानोगी क्या...
जी बिल्कुल,,,, आपकी संगत का असर है,,, आपको तो बिना सबूत कुछ मानने की आदत नहीं न,,, तो हम भी जरा जरा आप जैसे हो रहे हैं...
बात बात में गीत, शायरी, तुकबन्दी कोई मजाकिया किस्सा या फिर भयंकर वाले चुटकुले,,,, ये तो थोक में उनके पास मिलेंगे,,, कैसे एक घन्टा हो गया बात करते हुए पता ही नहीं चला..
हे शिव,,,, अब फोन रखते हैं, इज़ाज़त दीजिए,,
ऐसे नहीं...
तो कैसे,,,
गा कर बोलो...
क्या गायें...
जाने दो न,,,, ये गाओ..
उफ्फ,,, आप भी न..
हमने गा दिया..
ऊंहुं,,, मजा नहीं आया... फिर से..
हम ने अपनी बेसुरी आवाज को सुरीला बनाने का भरसक प्रयास किया और गा दिया..
जाने दो न...
शरारती लहजे में कुछ डिमांड की गई....
माफी चाहते हैं वो नहीं बता सकते,,, पर उनका ये रूप हमने पहली बार देखा था,,, और बता नहीं सकते कि हम किस कदर खुश थे,,,,
शिव से ना जाने कितनी बार मन ही मन प्रार्थना कर लिए की हमारे साथ को किसी की नजर न लगे...
अरे हाँ गीत यदि आप सब समझ गए होंगे तो ठीक,, ना समझे हो तो बता देते हैं...
,,,,, बुद्धू पड़ गया पल्ले पल्ले
मेरे पड़ गया पल्ले
बुद्धु पड़ गया पल्ले पल्ले
मेरे पड़ गया पल्ले
के मेरा ज़ोर न चले हो
बीती जाए बरखा की रात..
बाकी फिर.......

