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Krishna Raj

Romance

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Krishna Raj

Romance

उनकी सादगी

उनकी सादगी

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भोलेपन में है वफा की खुशबु.

तुझमें सब कुछ न क्यों लुटाऊं मैं..

कमाल की जादूगरी है तुम में.. मीलों दूर बैठकर भी हुक्म चला लेते हो न।

पता है, ऐसे लगता है जैसे तुम मुझसे कुछ भी करवा सकते हो।और आज काफी ठीक भी लग रहा है।

अरे हाँ, बात तुम्हारी मासूमियत की हो रही है न। उस दिन की बात याद आ गई, तुम्हें कहा कुछ, तुम समझे कुछ ।और नतीजा,,,, हम भुगतते रहे। तुम्हें तो कोई फर्क नहीं पड़ा, दूसरे ने उंगली पकड़ाई तो चले गए अबोध बालक की तरह। और हम इधर प्रतीक्षा करते रहे।

हमने पूछा ऐसे क्यों किया ?

उफ्फ,,, कितना मासूम ज़वाब था तुम्हारा,

अब गलती हो गई, बताओ क्या करूं ?

पास होते तो तुम्हें गले लगा लेते। इतना प्यार आया था तुम पर।

आज तुम्हारे सिर्फ एक बार कहने से लेखन और पाठन के दौर को फिर शुरू कर दिया हमने।

दिल हो कि दिमाग हो तन हो कि मन हो, तुम्हारी हुकूमत हर जगह पर है।

सोचती हूं लिख दूँ तुम्हारी मासूमियत पर कोई किताब

पर डरती हूं, हर कोई तुम्हें पाने की कोशिश ना करे,,,,,

अच्छा एक बात तो बताओ,,,, फिर क्या सोचा तुमने ?

किस बारे में ?

अरे,,, वही, जो सुबह कह रहे थे।

ओह वो, एक महीने के बाद वाली बात।

हां,, वही बात।

उसमें मैं क्यों सोचूँ, वो तुम्हारा काम है। तुम्हें तो पता है मैं क्या करूंगा।

वैसे एक बात की तो तारीफ करनी पड़ेगी तुम्हारी।

तुम तो हर बात में मेरी तारीफ करती हो, ये कौन सी नयी बात है, बताओ जरा ?

जहां तुम्हारे फायदे की बात आती है न,, तुम्हारी सारी मासूमियत गायब हो जाती है। तब तो सारा बोझ मुझ पर डाल देते हो, सोचूँ भी मैं और करूं भी मैं।

यार इस मामले में तुम्हारा दिमाग चाचा चौधरी की तरह जो चलता है।

अच्छा जी, अब मक्खन लगाया जा रहा है।

जाहिर है,, ब्रेड सामने हो तो बिना मक्खन के तो खाई नहीं जाएगी न।

हे शिव,,

वही मैं सोचूँ, इतनी देर से ये भोलेनाथ आए क्यों नहीं ?

ओह हो,, मतलब तुम इस पर भी ध्यान देते हो।

मैं तो तुम्हारी हर बात हर हरकत पर ध्यान देता हूं।

अच्छा जी।

जी।

तो बताओ, कल कौन से रंग का सूट पहना था मैंने ? मुझे पता था ये ज़वाब नहीं दे पाएंगे,, क्योंकि कल सूट नहीं साड़ी पहनी थी मैंने। बोलो बोलो ?

और यदि मैंने बता दिया तो क्या दोगी।

उफ्फ,,, हर वक्त लेन देन। वो बाद में,, पहले बताओ ?

रुको,, अभी आता हूं।

कुछ देर में,,,,

कल तुमने ये पहना था।

क्या है इसमें ?

खुद देख लो।

पैकेट खोला तो गुलाब की पंखुड़ियों के साथ गुलाबी शिफाॅन की बेहद खूबसूरत साड़ी नजर आई।

कल क्या पहना था इसे बड़ी खूबसूरती से गोल कर गए न तुम।

क्योंकि,, तुम कुछ भी पहनो, मैं तुम्हें इसी रंग में देखता हूं हमेशा।

,,,,, कितने सीधे सादे कितने भोले भाले.

कोई देखे तुम्हें, मेरे रब से दिखते हो,,,,,, 



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