ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
बड़ी मीठी नींद थी और बड़ा प्यारा सा ख्वाब। पर कमबख्त ये मोबाइल सोने नहीं देता, नहीं नहीं,, मोबाइल नहीं ये कॉल करने वाले।देखा तो अमित का कॉल था, सोचा कि बजने देते हैं, पर दिल ने कहा, एक ही तो दोस्त है उसके साथ ऐसा करना सही नहीं, हो सकता है कोई जरूरी बात है।वैसे भी हमारी जिंदगी का तंबु सिर्फ दो बंबुओं में टिका है, एक तो हमारे श्री जिनका कुछ ज्यादा सहारा है और जरा सा इस खड़ूस दोस्त का।खैर, बात तो कर ही लेते है सोचकर मोबाइल लिया।
"हैलो,,, "
बिना हिले "हैलो,,,, कुंभकर्ण को भी शर्म आ जाएगी तुम्हें यूं दिन रात सोता देखकर, जब देखो सोती हो,, खाना और सोना,, तुम्हारा बस चले तो इन दोनों कामों को तुम नेशनलिस्ट घोषित करवा दो"
"अमित, तुमने ये भाषण देने के लिए फोन किया है क्या?? और मेरे सोने खाने से तुम्हारा बजट क्यों बिगड़ रहा है।"
"अरे,,, जरा कम्बल से बाहर निकल कर भी देखो की दुनिया में क्या हो रहा है।"
"देश दुनिया में क्या हो रहा है उस से हमें क्या, ना हम देखते हैं न उनको देखने देते हैं।"
"देखो साहिबा ये इनको उनको जरा कुछ देर के लिए दूर रखो और मुझसे मुखातिब रहो।"
"ठीक है... हम पांच मिनिट में कॉल करते हैं ओके।"
"हां हां, जाओ जरा आँखे खोल लो अच्छे से।"
अमित हमारा एकमात्र दोस्त, पर कहते हैं न कि लड़का लड़की कभी दोस्त नहीं बन सकते। हमारा दोस्त भी खो सा गया था कुछ समय के लिए। शुरू में तो हम समझ नहीं पाए थे कि इसे हो क्या गया है, पर जब पता चला कि दोस्ती कहीं प्रेम में दब सी गई है तो डर भी लगा और दुख भी हुआ। कभी कभी दुख भी होता है कि अमित एक दर्द को पाल बैठे हैं, बेवजह ही.. अब हम पूरी तरह नींद से जाग उठे थे, सोचा कि अब कॉल कर ही लेते हैं, शायद इंतज़ार कर रहे हों,, वैसे तो मस्त मौला फ़ितरत के हैं, शायद व्यस्त हो गए हों।
फिर कुछ सोचकर कॉल लगा ही दिया ।
"ओये होए,, क्या बात है, आज बड़ी ईमानदारी दिखाई श्री की नकचढी ने।"
"देखो अमित,, ज्यादा तो तुम बनो नहीं, उन्हें बीच में लाने की जरूरत नहीं, तुम अच्छी तरह जानते हो कि हम कुछ नहीं सुनेंगे उनके बारे में। "
"ऐ हैलो,,, बीच में मैं नहीं लाया, बात की शुरूवात में तुम ही जिक्र कर रहीं थीं, मुझे क्या पड़ी है, जब देखो धमकी देती रहती हो।"
"अच्छा छोड़ो,, बोलो फोन क्यों किए थे।"''''
"पूछने के लिए कब का प्लान है आने का,तुम्हारे भोलेनाथ मेरी जान खाए जा रहे हैं कि ये शिव शिव करने वाली कब आएगी? "
हमें बड़ी जोर की हँसी आई, हँसते हँसते पेट दुख गया।
"अरे अरे,, इतनी जोर से मत हँसो, मैंने कोई जोक नहीं सुनाया।"
ये किसी जोक से कम है क्या अमित की भोलेनाथ हमारी प्रतीक्षा करें। तुम भी न ग़ज़ब करते हो।
"यार समझा करो न,, अब मैं खुद के लिए तो नहीं बोल सकता न, वर्ना तुम्हारा भाषण शुरू हो जाता है कि अमित प्लीज़ क्यों खुद को तकलीफ दे रहे हो, अपने दिल से मेरा ख्याल निकाल दो, आदि आदि।"
"तो क्या गलत कह रहे हैं हम,, अच्छी भली दोस्ती चल रही थी पता नहीं तुम्हें क्या हो गया।"
"क्या हो गया मतलब? ये कोई मेरे हाथ में है क्या,, हो गया सो हो गया, और वैसे भी ये मेरी प्रॉब्लम है, तुम्हें खुद को हलकान करने की जरूरत नहीं समझी खड़ूस। और तुम्हें कोई फर्क पड़ा है क्या या हमारी दोस्ती में फर्क पड़ा है क्या। ये तो दिल की बात है,, जिस पर आ जाए, अब आ गया तुम पर।"
"बस बस, बातेँ तो खूब करा लो.. अच्छा ये बताओ की आकर हम रुकेंगे कहां,तुम कर दोगे इंतज़ाम?"
"तुम उसकी फिक्र मत करो,, बस आ जाओ।तुम्हें कुछ नहीं करना है, ट्रेन से उतरने के बाद की सारी जिम्मेदारी मेरी।"
"कुछ ज्यादा उतावले नहीं हो रहे हो हमें बुलाने के लिए।"
"हां,, हो तो रहा हूं,, काफी ब्याज़ चढ़ चुका है तुम पर सब वसूल करने है, फोन पर झगड़ा कर कर के तंग आ चुका हूं, जरा आमने सामने दो दो हाथ भी करने की ख्वाहिश है।
हम नहीं लड़ते, तुम ही सनकते रहते हो।" सनकाने की सारी सामग्री तुम वहां से बैठे बैठे परोसती जो रहती हो।
"हम खूब समझ रहे हैं तुम्हारा मतलब अमित।"
"हां हां,, समझोगी क्यों नहीं,, गुरु घन्टाल जो हो, अक्ल बांटी जा रही थी तो सबसे आगे तुम ही खड़ी थी।"
"तो तुम्हें किसने बाँध रखा था,, लाइन में लग जाते न, थोड़ी बहुत तुम्हें भी मिल जाती।"
"मैं कैसे लाइन में लगता? "
"क्यों खुद को अमिताभ बच्चन समझते हो क्या,, कि जहां खड़े हो जाओगे लाइन वहीं से शुरू होगी",, हमने चिढ़ाते हुए कहा।
"बिल्कुल सही पकड़ी हो, जहां मैं खड़ा था न, लाइन वहीं से शुरू हुई थी, और सबसे पहले तुम ही खड़ी थीं,, क्योंकि अक्ल की टोकरी मेरे पास ही थी।"
"वाह वाह वाह,, क्या बात है, हाजिर जवाबी में तो ज़वाब नहीं तुम्हारा,भई कमाल हो तुम।"
"यार ये भई शब्द ने मेरे लिए मत कहा करो ।"
"क्यों, तुम्हें इस शब्द से क्या परेशानी है? "
"तुम्हें हर बात का ज़वाब देने के लिए मजबूर नहीं हूं।"
"ये तुम हमेशा लड़ने के अंदाज में ज़वाब क्यों देते हो, सीधे से सरलता से बात करना नहीं आता तुम्हें।"
"सच कहूँ,, तुम्हारे लिए इतना ज्यादा गुस्सा है दिल में कि या तो जान ले लूँ या दे दूं।"
"हमने क्या बिगाड़ा तुम्हारा जो खून खराबे में उतर आए हो???"
"क्योंकि तुम दुनिया की सबसे अच्छी लड़की हो, सबसे अच्छी इंसान हो, तुम जैसी आज तक मैंने ना देखी ना सुनी ना पढ़ी, तुम वो हीरा हो कि जिसके भी पास रहे उसकी जिन्दगी रोशनी से भर दे, तुम्हारी अच्छी सीरत हर इंसान को तुम्हें चाहने के लिए मजबूर कर सकती है, और यदि मैं तुम्हें प्रेम करने भी लगा हूं तो ये मेरा नहीं तुम्हारा दोष है,, अब ये अलग बात है कि तुम्हारी दिल की दुनिया को कोई और आबाद कर रहा है, और एक बात का यकीन करो कि मेरे दिल में तुम्हारे रब के लिए जरा भी ख़लिश नहीं है,, गुस्सा तो तुम पर आता है, इसलिए तो बुला रहा हूं ताकि तुम्हारे सामने थोड़ा गुस्सा तो कम कर सकूँ।"
"अमित,,,"
"अब कुछ मत कहना.. मुझे पता है तुम फिर शुरू हो जाओगी, तुम बस इतना याद रखो की मैं तुम्हारा दोस्त हूं और हमेशा रहूंगा,,, ये प्यार मोहब्बत तो मेरे तन्हाई के साथी हैं यार,, इसका असर हमारी दोस्ती पर पड़ा है ना पड़ेगा,,, तुम जब भी मुझसे मिलोगी तुम्हें तुम्हारा दोस्त अमित ही मिलेगा। मेरी भावनाएँ इतनी कमजोर नहीं है कि दोस्ती पर भारी पड़े।"
"तुम जैसी दोस्त को मैं खोना नहीं चाहता था इसलिए तुमसे अपने ज़ज्बात छुपाये थे, पर तुम तो फिर तुम हो,, ना जाने कैसे समझ गईं और कबुल भी करवा लिया। खैर वो सब जाने दो, तुम आने की तैयारी करो।और फोन रखकर फिर मत सो जाना समझीं, जब देखो सोती रहती हो, ओके मिलता हूँ फिर बाय। "
अब तो हम भी अमित से जल्दी ही मिलना चाहते थे। कहीं पढ़ा था कि.....
एक दोस्त ने दोस्त से पूछा,
दोस्त का मतलब क्या होता है??
दोस्त ने मुस्कुराकर जवाब दिया,,
पागल,,, एक दोस्त ही तो है,,,
जिसका कोई मतलब नहीं होता और जहां मतलब हो वहां कोई दोस्त नहीं होता..
