मेरे सरताज..
मेरे सरताज..
बड़ा अरमान था कि जिनसे शादी हो वो खूबियों की खान हो.. और भगवान की ऐसी कृपा बरसी हम पर की हीरे की खान से निकाल कर हमे कोहिनूर ही थमा दिया.. शक्ल सुरत तो पहली नजर में ही भा गई थी हमें... बाकी की चमक शादी के बाद पता चली.
अजी जब कोहिनूर साथ हो तो सब की नजर उसकी चकाचौंध में तो होगी ही ना... बस फिर क्या था.. जहां भी पतिदेव जाते छा जाते.. अरे ऐसा नहीं कि हमें जलन होती.. हमें तो गर्व होता कि जिनको देखने के लिए सब तरसते हैं वो तो हमारा पल्लू पकड़ कर घूमते रहते हैं... ये अलग बात है कि कभी कभी दुशासन की सी हरकत कर जाते हैं.. अजी कभी कभी क्या.. अक्सर ही.. उनकी दीवानगी के किस्से फिर कभी..
तो हम उनकी खूबियों की बात कर रहे थे...कविताओं और तुकबन्दी में तो जनाब का कोई हाथ नहीं पकड़ सकता था.. किसी भी बात पर उनसे तुकबन्दी करायी जा सकता थी .. शादी के शुरुआती दिनों में हम पर प्यार से ज्यादा कविताएं बरसीं..
आजकल एक गाना सुनकर वो दिन याद आ जाते हैं..
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिख रहा हूँ.. तुम्हें देखकर आजकल लिख रहा हूँ..
उनकी कविताएं सुनकर हमारे तो पैर ही जमीं पर नहीं पड़ते थे..
फिर पता चला कि जनाब गाते भी हैं.. सुनकर पता चला कि काफी सुरीले हैं.. अब हमारे लिए गीत लिखकर गुनगुनाने भी लगे.. ऐसा लगता है ईश्वर ने सारी कृपा हम पर ही बरसा दी थी..
वो कहते हैं न कि भक्त को जब अभिमान होने लगता है तो भगवान उसका अभिमान दूर करने के लिए कोई लीला रचते हैं..
नारदजी की कहानी तो काफी लोग जानते ही होंगे कि कैसे श्री हरि ने उन्हें वानर रूप देकर उनका अभिमान तोड़ा था.. हालाँकि उसके परिणामस्वरूप श्री हरि को वनवास भुगतना पड़ा था..
पर हमें अभिमान था भी तो ये हमारा हक है भई.. और इसे तोड़ने का हक तो हमारे सरताज को भी नहीं.. पर हम गलत थे.. जनाब तो सिर्फ अपना शौक पूरा कर रहे थे..
पर यहाँ बात शौक की थी.. उनका शौक हमारा सारा वक़्त लिए जा रहा था.. ना जाने कहाँ से प्रतिलिपि में लिखने का चस्का लगा... जनाब रातों को जागकर लिखने बैठ जाते.. इनकी तो नींद ही उड़ गई लिखने के चक्कर में.. जब कभी हम करवट बदलते तो आँखों पर चश्मा चढ़ाए इन्हें लिखते देखते.. फिर नजर जाती घड़ी पर.. उफ्फ रात के तीन बज रहे होते हैं..
समझ नहीं पाते कि ये सोते भी हैं या नहीं.. अब ज्यादा वक़्त इनका उस बीतने लगा.. सौतन लगने लगी हमें तो मुई लेखनी .. उपर से फिर उस पर इनकी तारीफ करती इनकी प्रशंसिकांए, सोने पे सुहागा का काम..
थोड़े दिन तो चुप रहे फिर थोड़ा शिकायती लहजा उन तक पहुंचा ही दिया दबी सी जुबान में कि आपके वक़्त पर सबसे ज्यादा हमारा हक हमारा होता है..
रसिक तो हैं ही जनाब शहद से भी ज्यादा मधुर अंदाज लिए कहा, अरे जानेमन हमारी तो हर रचना की आप ही जान होतीं हैं.. कोई किस्सा कोई कहानी कोई ग़ज़ल कोई गीत आपके बिना पूरी ही नहीं होती... जो भी लिखते हैं दिमाग में आपको ही रखकर लिखते हैं.. और आप कहती हैं कि आपको वक़्त नहीं दे रहे,, आप तो हमारी प्रेरणा हैं.. इस से पहले की हम कुछ कहते,, उनके अधरों ने हमारी बोलती बंद कर दी... और हम उनके साथ प्यार की दुनिया में खो गए..
वैसे मानना पड़ेगा इन्हें, हमें कैसे ख़ुश करना है इन्हें बखूबी आता है..
वैसे हमारी शिकायत ने कुछ असर तो डाला,, लिखना कुछ कम हो गया.. अब हम खुश थे..
चलिए कुछ दिन बेहद शानदार बीते.. पर फिर नया शौक.. जो दबा हुआ था,, अब सर चढ़कर बोलने लगा..
और ऐसा चढ़ा की हम पूरी तरह खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे..
स्टार मेकर नाम से एक नयी नवेली सौतन पूरी सजधज के साथ हमारे सामने खड़ी थी..
शुरू में एक घण्टे कब 6 घण्टों में गुजरने लगे पता ही नहीं चला.. वो तो शुक्र है कि रात को गाते तो पड़ोसियों की शिकायतें आ जातीं इसलिए सारी रात तो हमारे साथ ही होते.. सारी रात इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अब लिखने का जुनून कम हो गया था..
तो अब जब भी फ्री होते कमरे में बंद हो जाते और शुरू,
वैसे सुरीले बहुत हैं इस बात में रत्ती भर भी शक नहीं..
यहां भी वही दिक्कत.. पहले अकेले गाते थे,, अब यहाँ भी सुरीलियों में घिर गए... मतलब ये है कि कान्हा कहीं भी जाये,, गोपियाँ मिलना ही है..
अब तो जनाब ज्यादा बिजी हो गए.. अब तक आवाज का आदान प्रदान हो रहा था अब लाइव गाने लगे.. ये और एक नयी चिंता.. सुरीली अब नजर भी आने लगी.. जनाब की मुस्कान तो वैसे ही कातिलाना है.. और जब गाते हुए मुस्करा दें तो क्या कहने..
हाय रे हमारी किस्मत... पर क्या करें जब कोहिनूर साथ है तो उसकी चमक से सबका चकाचौंध होना लाजिमी है.. पर एक बात यहाँ अच्छी थी कि हमें भी गाने का शौक था.. बेशक उनकी तरह सुरीले तो नहीं हैं पर ठीक ठाक गा लेते हैं.. तो बस फिर क्या था.. इनके साथ हो लिए और गुनगुनाने लगे... इन्होंने भी उस मंच पर हमारा दिल से स्वागत किया... और पूरी शिद्दत और प्यार से हमारा साथ देने लगे..
बस स्त्री सुलभ आदत के चलते हम इनके युगल गीत नहीं सुन पाते हैं जो इन्होंने सुरीलियों के साथ गाया है..
बाकी खूबियों का बखान फिर कभी... हम ख़ुश हैं कि मेरे सरताज साथ हैं...

