ये कैसा प्यार भाग-१३

ये कैसा प्यार भाग-१३

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" ये कैसा प्यार ? " ( बारहवें भाग से आगे....)

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[ एक हरे भरे मैदान का दृश्य है यहाँ बैठने के लिऐ सीटें भी लगी हैं यहाँ पर कई लोग घूम रहे हैं बच्चे भी खेल रहे हैं,और इस जगह को कहते हैं पार्क....यहीं पर अंजलि और निकिता भी घूम रही हैं]

"..आओ निक्की वहाँ पर बैठते हैं..... "

( दोनों एक सीट पर बैठ जाती है)

"..यार अंजलि ...कभी कभी तुम्हारी और सोनू की दोस्ती देखकर सोचती हूँ कि लड़का लड़की में ऐसी दोस्ती भी होती है... "

"..सच कहती हो...सोनू मेरा बहुत अच्छा दोस्त है उसके बराबर दोस्त मिलना कठिन है..पर मैं भी दोस्ती निभाना जानती हूँ।"

"..शुरू में तो जब मैंने उन्हें देखा था तो न मुझे डर लगता था,जब से तेरे कारण बात हुई है...तबसे अब डर नहीं लगता.. "

"..तुम्हें सोनू जैसी मासूम सूरत से डर लगता था ? ...डरपोक...तुझे तो हर लड़के से डर लगता है...तभी तो तेरी लड़कों से दोस्ती नहीं हो पाती... "

"...नहीं ऐसी बात नहीं है अंजलि... "

"यही बात है डियर .....तू लड़कों से दोस्ती करने से डरती है..तू सोचती है सब लड़के बड़े गन्दे होते हैं....सोचो लड़के सोनु जैसे हो तो भी क्या तुम किसी से दोस्ती नहीं करोगी ?"

"...सारे लड़के उनके जैसे मतलब सोनू के जैसे थोड़े होते हैं.. "

"..तो डियर तुम सोनु से ही दोस्ती क्यूँ नहीं कर लेती...उसे तुम देख ही चुकी हो कि वह कैसा लड़का है... "

"...अं...पर क्या वो मुझसे दोस्ती करेंगे...?"

"..करेगा डियर...! ....मैं हूँ ना....मैं अपनी हर प्यारी खूबसुरत चीज तुम्हारे साथ शेयऱ करती हूँ ना....आज से मेरा दोस्त तुम्हारा भी दोस्त......मैं करवाऊंगी तुम्हारी फ्रैंडशिप... "

( अचानक अंजलि की नजर दूर से आते हुऐ एक लड़के पर पड़ती है)

"...व..वो सोनू ही है ना ?"

"..क..कौन.? वो सामने वाला...? वो तो कोई और है... "

"...कोई और है...( कुछ सोचकर) ..काश अभी सोनू भी यहीं आ जाऐ तो अभी तुम्हारी दोस्ती करवा देती..!"

"....माइ डियर अब अगर वो यहाँ आ भी जाते हैं तो हमारी दोस्ती नहीं होने वाली..क्योंकि मुझे अब घर जाना है... "

"...क्यों...?"

"..इससे पहले शाम ढले..और अंधेरा होने लगे..मुझे घर जाना चाहिऐ नहीं तो मम्मी.... "

"..पर अभी तो छह बजे हैं...रात होने में तो काफी टाइम है...? "

"..मम्मी कहती है सात बजे से पहले घर में होना चाहिए..आस पड़ोस में हो तो कोई नहीं लेकिन इतना दूर नहीं..कि घरवाले परेशान रहें..."

"..आण्टी भी न इस मॉडर्न जमाने में...? ...वो तुझ मासूम की ज्यादा फिक्र करती हैं..तुम हो ही सीधी सादी...तभी तो कहती हूँ मेरी तरह चण्ट बनो..आई एम ए डेंजर्स गर्ल.... "

"..एण्ड माई बेस्ट ब्यूटी क्वीन..हा हा हा.... "

"...ओ निक्की हाऊ स्वीट यू आर...आई लव यु माई फ्रैंड...!"

"..हा हा..ओके ओके..अब मैं चलूँ, मेरा टाइम हो रहा है..."

"...जा रही है...अच्छा पर मैं क्या यहाँ अकेली रहूँगी ? ..मेरा क्या है. अभी मजे में घूमती हूँ..तू जा फिर... "

"...ओके बाय टेक केयर !"

"...बाय....!"

( जैसे ही निकिता चली जाती है तो उसके जाने के बाद वहाँ सचमुच सोनू आ जाता है वह निकिता को दूर से जाते हुऐ देख लेता है वह अंजलि के पास आता है)

"...हाय अंजलि...हंह..( थककर बैठ जाता है) "

"...अरे! ...हाय सोनू...यार अबी मैं सोच रही थी कि काश तुम यहाँ होते ?"

"...थैंक्स .....!! ..इस गरीब को याद तो करती हैं आप...हा हा हा...और आपकी फ्रैंड कहाँ जा रही है...?"

"...कौन? ...वो निकिता....घर जा रही है..उसकी मम्मी उसे ज्यादा देर तक बाहर नहीं रहने देती... "

"...तो तुम साथ नहीं गयी..?"

"...नहीं यार मेरा तो अभी घर जाने का मन नहीं है...फिर मेरा और निकिता का घर अलग अलग रास्ते पर है।"

"...वहाँ तक तो साथ जाती...मुझे तो बड़ी डरी डरी सी लगती है...और लगता है लड़कों से ज्यादा ! .......उसकी गलतफहमी दूर करनी चाहिऐ सारे लड़के तो गलत नहीं होते ?"

"यही तो मैंने उससे कहा कि जब तक लड़कों से दोस्ती नहीं करोगी गलतफहमी दूर कैसे होगी।"

"..मुझे नहीं लगता वो लड़कों से दोस्ती करना चाहेगी ?"

"...करेगी...मैं करवाऊंगी...और सबसे पहले तुमसे......."

(सोनू मन ही मन मुस्कुराता जाता है।)

"..सच अंजलि...दरअसल मैं भी उससे दोस्ती करना चाहता था।"

"...ओह रियली...! ....तुम्हें पता है वो भी तुमसे दोस्ती करना चाहती है........ "

"....क्या सच कह रही हो...?"

"....हाँ कहती है कि तुम्हारा दोस्त अच्छा लड़का है ...."

"..(मजाक में) ..वो तो मैं हूँ ना.....? ...(अंजलि के गाल जोर से खींचता है) .... हा हा हा"

"आऊच! ....यूssssss...मैं छोडूँगी नही...( धीरे धीरे हाव भाव समझकर हँसने लगती है) ... रुक अभी बताती हूँ...( सोनू भागता है)... अरे भागते कहाँ हो...?"

"...मैं नहीं आता अब....हा हा हा...यू डेंजर्स....बाप रे पीछे पड़ गयी...भाग यार...हा हा हा.. "

(अचानक सोनू भागते भागते लड़खड़ाकर नीचे गिर पड़ता है बहुत जोर गिरने की आवाज के कारण अंजलि उसके पास दौड़कर आती है)

"..सोनु..सोनु..( हाँफती हुई).. तुम्हें चोट तो नहीं लगी ? ( उसे पास आकर हिलाती है)"

(सोनु जानबूझकर आँखें बन्द किये रहता है और सांसें रोक लेता है)

".....सोनू..सोनू..? ...ओ माई गॉड...(धड़कन पर कान लगाती है) ...धड़कन भी नहीं चल रही...क्या हुआ...? ( घबरा जाती है) ..सोनू... "

(इतने में सोनू उठकर फिर उसके दोनों गाल खींच देता है)

".....यस माई डियर...... "

"...यूsssssssss........तुम नाटक कर रहे थे ? ऐसा मजाक किया तुमने ...छोडूँगी नहीं.... "

"..तुमने मुझे पकड़ा ही कब है....... "

(फिर से भागता है)

"...तुम बड़े चालाक हो सोनू...तुम्हारे साथ न.... "

"...सॉरी अंजलि तुम्हें बुरा तो नहीं लगा न ?"

"इट्स ओके यार...चुप क्यों हो गये हँसो तुम ऐसे अच्छे लगते हो।"

"...अब चलें यार...रात होने वाली है..?"

"..अभी..?"

"...हाँ अभी...मैं तो जा रहा हूँऔर हमारा आदेश है कि तुम भी टाइम से घर जाओ वरना हम रूष्ट हो जाऐंगे...है है है..."

"...ठीक है हुजूर....आपके आदेश का पालन होगा।"

(फिर दोनों जाने लगते हैं अंजलि स्कूटी स्टार्ट करती है)

"...चलो मैं छोड़ देती हूँ।"

"नहीं यार...मैं चला जाऊँगा...पर तुम सीधी घर जाना अब... "

"ओके बाय... टेक केयर हाँ हाँ"

(सोनू अंजलि की तरफ बाय करता हुआ चला जाता है। अंजलि अपनी स्कूटी लेकर चल पड़ती है और अपना हाथ बार बार गालों पर कर रही है जहाँ जहाँ सोनू ने चूटी काटी थी)

(क्रमश:)


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