ये कैसा प्यार भाग- १४
ये कैसा प्यार भाग- १४
पिछले भाग से आगे..
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[ अगले दिन कॉलेज का दृश्य है...चारों तरफ कॉलेज के बच्चे आ जा रहे हैं, कुछ स्टुडेन्टस क्लासों में बैठे हैं पर क्लासें नहीं चल रही हैं, संजय विजय और राज तीनों क्लास से बाहर आते हुऐ.......]
"..क्या यार राज....आज क्लासें चल क्यों नहीं रही है ?"
"पता नहीं यार...लगता है आज का दिन खराब जाने वाला है.. "
"...हाँ यार...! (दूर देखते हुऐ).. अरे वो देख सोनू, अंजलि और एक लड़की है साथ में.... "
( विजय दूर से सोनू,अंजलि और निकिता को देख लेता है)
संजय- "..वाह बेटे सोनू....कहता था एक ही गर्लफ्रैन्ड है...और दो दो को लेकर घूम रहे हैं जनाब !"
विजय- "संजू तू इतना स्योर कैसे कह सकता है कि वह भी सोनू की गर्लफ्रैन्ड हो ? ....हो सकता है वो अंजलि के साथ हो...यार तू भी न ?"
संजय- "....ओके यार तुझे तो पता है मेरी मजाक करने की आदत है.. "
"..अच्छा अच्छा...उसे यहाँ बुलाते हैं...सोनूsssssssssss.... "
( सोनू उन्हें देख लेता है और दोनों के साथ उनके पास आ जाता है)
"...हैलो फ्रैन्डस...कैसे मजे में हो ?"
"...हाय....हाय अंजलि ! हाउ आर यू ?"
"आई एम फाइन...! ......यू..?"
विजय-( खुद मन में) यार ये संजू को क्या हुआ ये तो सीधे अंजलि से....( फिर बोलकर) जी हम भी ठीक हैं.. "
( इतने में संजय निकिता से भी परिचय करने हेतु हाथ मिलाने को आगे बढ़ाता है..)
"..हाय..आई एम संजय..वी ऑल थ्री आर फ्रैन्ड ऑफ सोनू...हैव अ फ्रैंडशिप विद अस ?"
(निकिता संजय से हाथ तो नहीं मिलाती बल्कि थोड़ा पीछे हटकर नमस्ते करती है और अंजलि से सटकर खड़ी हो जाती है)
"..हा हा हा....ये मेरी फ्रैंड निकिता है...सॉरी, इसका बिहेवियर तुम्हें अटपटा लगा होगा..पर ये बेचारी मासूम है..लड़कों से डरती है.. "
"..अंजलि जी क्या मेरी शक्ल गुण्डों जैसी है ?"
"...बात सिर्फ आपकी नहीं है ये सभी लड़कों से ऐसे ही बिहेव करती है... "
"...हाँ अंजलि ठीक कह रही है संजू..चाहे मैं हूँ या तुम .... "
"...और इसलिऐ मैं आज मैं इसे अपने साथ तुम सबसे मिलवाने लाई हूँ..... "
"..( घबराकर).. नो नो अंजलि..स्टॉप इट... "
"..घबराओ मत निकिता..अगर ऐसे ही डरोगी तो कभी भी तुम्हारा डर नहीं निकल पाएगा... "
"...अंजलि ठीक कहती है निकिता जी..आप हमारे प्रति इतना डर क्यों रखती हैं...... "
( निकिता सोनु के मुख से पहली बार अपना नाम सुनकर उसकी ओर देखती है और जैसे ही कुछ कहना चाहती है वैसे ही अंजलि बीच में कहती है)
"..जैसे तुम अब सोनू को अच्छा समझने लगी हो उसी तरह तुम्हारा सारा डर दूर हो जाएगा...तुम सोनू से दोस्ती करना चाहती थी न ? ...ये सब इसके दोस्त हैं...और डियर...जैसे सोनू है वैसे ही उसके दोस्त भी...अब अच्छे लोगों के दोस्त अच्छे ही होंगें न? .... "
"...हाँ निकिता जी आप एक बार हमसे तो दोस्ती करके देखिऐ... हम अच्छे साबित कर दिखाऐंगें... "
"..हाँ निकिता जी हम शक्ल से अच्छे भले न हो पर यकीन मानिऐ हमारा दिल साफ है... "
"...मैं तो कहती हूँ निक्की इनके जैसा दोस्त तुम्हें नहीं मिल सकता...आओ मैं तुम्हारा सबसे परिचय करवाती हूँ.... "
(निकिता झुकी हुई नजरों से हाँमी भरती है)
"..सबसे पहले किससे मिलवाऊं..? ...( सोनू की तरफ घूमकर).. सबसे पहले उससे, जिससे तुम मिल चुकी हो..देख चुकी हो..नाम तो पता है न ? ..क्या है ? ( सोनू की तरफ इशारा करती है) .. "
"..पता है..( धीरे से कहती है) "
"..क्या है ? .. जरा बताओ.. "
"..स..सोनू...( धीमी आवाज में) .. "
"..हाँ...सोनू...बी कॉम सेकण्ड यिअर..मतलब तुम्हारी और मेरी क्लास में..ये तो क्लास में देखकर ही पता चल गया होगा, यहीं अपने भैया भाभी के साथ रहता है। माई डियर सोनू बहुत मेहनती है...बड़ी इकॉनॉमिक सिचुऐशन ज्यादा सही नहीं है हमारी तरह, पर मैं कहती हूँ एक दिन बड़ा आदमी बनेगा... "
( सोनू से परिचय के दौरान निकिता लगातार सोनू को देख रही है और सोनू, अंजलि की तरफ देख रहा है अचानक निकिता की तरफ देखता है दोंनों की नजरें झुक जाती है)
"...क्यों सोनू ठीक कहा न मैंने...? "
"..हाँ..थैंक्यू अंजलि ! तुम्हारी इसी बात से मेरा हौसला बढ़ता है.. "
(निकिता, सोनू को निहारती रहती है फिर अचानक औरों की उपस्थिति से सजग हो जाती है)
"...और अपने बाकी साथियों का इंटरोडक्शन सोनू ही कराऐंगे मैं इनके बारे में ज्यादा नहीं जानती..बट दे आर वेरी ग्रेट... "
(अंजलि की बात सुनकर तीनों राज, विजय और संजू एक-दूसरे के मुँह पर देखकर खुश होते हैं)
"..रियली ! ..( तीनों एक साथ कहते हैं) ...थैंक्स अंजलि जी ! .. "
"...आओ मैं आपको अपने फ्रैंड से मिलवाता हूँ.... "
(जैसे ही सोनू राज की तरफ इशारा करके कुछ बताने को होता है वैसे ही पीछे से बहुत से लोगों की हँसी गूँजती है)
"पहले मैडम को हमसे तो मिला दो यार..हम भी तो मरे जा रहे हैं किसी हसीना से मिलने को..हा हा हा "
( इस हँसी के साथ एक साथ कई हँसी के ठहाके गूँजते हैं, सोनू,राज, विजय और संजय,अंजलि, निकिता सभी उस तरफ देखते हैं......एक लम्बा लड़का जो काफी हैल्दी भी है उसके घुँघराले और कन्धे तक लम्बे बाल है एक कान पर बड़ा सा कुण्डल भी है और आँखों पर काला चश्मा भी लगाया हुआ है और एक हाथ से लम्बी चैन से शायद बाइक की चाबी घुमा रहा है, उसके साथ उसी के जैसे स्टाइल वाले कम से कम आठ लड़के हैं)
"..कौन हो तुम बदतमीज ! ..अभी बताती हूँ... "
"..नही अंजलि ! ...तुम रूको मैं बात करता हूँ... "
( विजय उनकी तरफ आगे बढ़ता है)
(क्रमश:)