साथ है
साथ है
अंतिम दिन दीक्षान्त समारोह में शिष्यों की विदाई हो रही थी तो एक शिष्य ने गुरु के चरण स्पर्श करते हुऐ अश्रुपूर्ण भावों में कहा- "गुरूवर ! अब आप हमारे संग न होंगे आपकी याद आएगी, क्या आपको हमारी याद न आएगी ?"
गुरू ने प्रेम से उसके सिर पर हाथ फेरते हुऐ कहा- "आज तक हमने जो भी कहा, सिखाया, पढ़ाया उसका क्रियान्वयन तो अब होना है...आपके पथ पर, विचारों पर, सोच पर और आपके लक्ष्य की ओर, हम हमेशा साथ होंगे...जो आपको गिरने नही देंगे, आपको अकेला नही छोड़ेंगे, आप गिरोगे भी तो फिर उठाऐंगे, आपकी प्रत्येक असफलता से सफलता में हम साथ होंगे....और यह हमारा रिश्ता किसी संस्थान या आयु वर्ग तक सीमित नहीं है, जीवन के प्रत्येक क्षण तक है..और आप भी हमेशा हमारे उदाहरणों में, प्रेरक प्रसंगों मे, रुचिपूर्ण वृतांशों में अन्य के लिऐ प्रेरणा होंगे...तो हम अलग कहाँ हैं...हम साथ हैं !"