ये कैसा प्यार भाग-११
ये कैसा प्यार भाग-११
पिछले भाग से आगे.
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[ कॉलेज का दृश्य है,संजू, राज और विजय क्लास पढ़कर बाहर आ रहे हैं]
राज- "यार विजय मुझे एक प्रॉब्लम समझ में नही आई जो सर ने कराई थी.....तू सॉल्व करेगा ?"
विजय- "यार मुझे भी ठीक से नहीं आई ....यार संजू तुझे आई ?"
संजय- "हाँ ..मुझे अ गई...मैं अभी तुम्हें समझा देता हूँ।"
[ तो दोस्तों है न कमाल, अपने संजू बाबा पढाई में भी उस्ताद हैं जो प्रॉब्लम राज और विजय को नहीं आई वो इन्हें आ गई है,जैसे ही तीनों बैठने को होते हैं सोनु उधर आता है ]
"...राss ज.... "
"(उस तरफ देखकर) अरे यार सोनु आ रहा है...प्रॉब्लम बाद में देखेंगे।"
"..हाँ...यार वो भी शायद अकाउन्ट का पीरियड पढ़कर आ रहा है।"
(सोनू पास आ जाता है चारों दोस्त गले मिलते हैं)
"क्या बात है संजू पूरे दो दिन बाद आ रहे हो ?"
"अपनी तो लाइफ ही मौज मस्ती की है...परसो मसूरी गया था घूमने और कल एक शादी में गया था।"
"..फिर मजा तो बहुत आया होगा तुझे...!"
"..विजय...संजू जिस पार्टी में जाए और उसमें मजा न आए...नॉट पॉसिबल...!"
"..हाँ यार क्या खाना था...क्या डी जे था....क्या रौनक थी..."
राज- "(मजाकिया मूड में) . ..रौनक बोले तो...बहुत सी क्यूट लड़कियाँ आई होंगीं वहाँ...और सबका दिल तुझ पर आ गया होगा ? ...तूने घास भी न डाली होगी...हा हा हा...हा..हा"
"..कहाँ यार मैं तो घास डालता फिर रहा था कम्बख्त एक भी घास नहीं खाती थी..... "
"....अबे घास गाय खाती है छोकरी नहीं...हा हा हा....हा.... "
"..पर अभी तो तूने बोला कि मैंने घास नहीं डाली होगी.....यार जाने क्या समझती है अपने आप को....? ......वो कहते हैं न.............
लड़कियों की तरफ़ देख ले कोई लड़का,
देखकर ये तो खूब उछलते हैं।
गुरूर इन्हें अपनी खूबसूरती का जो, अमिट नहीं रंग बदलते हैं..।"
(यह सुनकर सभी ताली बजाते हैं)
"..वाह संजू यार ...शायरी कब से करने लगा...हर चीज में उस्ताद हो गया तू तो.....!"
"..पर यार तेरे शेर का मतलब समझ नहीं आया ?"
"...अरे राज....सिम्पल है..मुझे तो आ गया....मतलब...अगर कोई लड़का किसी की तरफ देखता है तो इन्हें बड़ी खुशी होती है..इस घमण्ड में ये भूल जाती हैं कि खूबसुरती चेहरे की बनती बिगड़ती है...जैसे सुन्दर फूल कली से खिलता है फिर मुरझाता है और आखिर में टूट जाता है..अर्थात रंग बदलते हैं... "
"..विजय यार तेरे समझाने का तरीका पसंद आया...तू कैसे समझा यार...?"
"...ये तो सिम्पल था राज...तू भी समझ गया न ?"
"...शायद...अरे हाँ विजय..हम तो पूछना ही भूल गये सोनू से...कल क्या हुआ सोनू ? ... "
"..हाँ यार..कल तो तेरी पिटाई हुई होगी....... "
संजय- "(चौंकते हुए) ...पिटाई...? ....क्या कह रहे हो.....क्या हुआ कल ?"
(यह सुनकर सोनु सीरियस हो जाता है)
"...यार मैंने कहा था न कि अंजली की नाराजगी भयंकर होती है और वही हुआ भी...! "
"..क...क्या......बोल न क्या हुआ...? "
"हुआ ये कि जैसे ही उससे स्पोर्टस हॉल में मिलने गया..वह मुझे देखते ही गुस्सैली आँखों से क्या-क्या कहने लगी....मैंने लाख समझाया पर वो नहीं मानी...उसकी बातों से निजात पाने के लिऐ एक ट्रिक सूझी...मैंने कहा चलो तुम्हे शायद मेरी प्रॉब्लम समझ नहीं आ रही है...और तुम मुझे अपना दोस्त नहीं मानती...उसने जैसे ही ये सुना..उसे पछतावा होने लगा ..वह माफी माँगने लगी....."
संजय- (बीच में टोककर) "...पर तेरी लड़ाई किस बात पे हुई थी ?"
"...अरे संजू यार..परसों सोनु भी नहीं आया था...अंजलि इसका वेट करती रही..शायद उसे बुरा लगा...इसलिए..."
"..बस इतनी सी बात के लिए...?"
सोनू- "बहुत गुस्से वाली है न इसलिए....उसे गुस्सा जल्दी आता है यार...."
राज- "...अरे आगे तो बता...आगे क्या हुआ..?"
"....जब वो माफी मांगने लगी तो मुझे मजाक सूझी...मैंने मजाकिया मूड में कह दिया कि..मुझे उससे बात नहीं करनी...मैं खुद ही तुमसे दोस्ती कट कर देता हूँ...जिस दोस्त पर भरोसा नहीं उसका क्या करना.."
(.. सभी आश्चर्य से एक साथ...)
"......फ..फिर............. "
"...फिर तो ज्यादा सॉरी सॉरी करने लगी मुझे उसे सताने में मजा आ रहा था, और मैंने बनावटी गुस्सा दिखाकर कहा हमारी दोस्ती खत्म..मैं जा रहा हूँ.. और मैं वहाँ से चला गया..फिर शायद और रोने लगी..उसने सोचा मैंने सचमुच उससे दोस्ती तोड़ दी.....( रूककर) .....यार..यार..मैं सोच भी नहीं सकता था कि वह..."
"...क्या ? ...क्या हुआ तू रूक क्यों गया बोल...!"
"..क्या तुम्हारी बातचीत अब कभी नहीं होगी....?"
"...तूने ऐसा मजाक क्यों किया यार ... एक ही तो दोस्त थी तेरी... "
"...नही संजू...सुन तो पहले आगे क्या हुआ ?"
"...तो सुना न... "
"..वो मजाक को सच समझकर खुदखुशी करने चल पड़ी...."
"...व्हाssssssssssssssssट.....!!!!!!"
"..मुझे यकीन नही होता सिर्फ इस बात के लिऐ वो खुदखुशी करे.."
"...यकीन तो मुझे भी नहीं था वो तो उसकी वो नई दोस्त भागी भागी मेरे पास आई उसी ने बताया अंजलि गुस्से में है, कुछ भी कर सकती है..फिर मुझे भी लगा..तो मैं उसके पीछे भागा। (इस तरह सोनु पूरी कहानी सुना देता है)"
"..वो फॉर्म वाली भी आई थी कल ?"
"..हाँ।"
राज- "इतनी चाहत भरी दोस्ती....? ...बाइ गॉड...!!"
संजय- "..नहीं राज...ये दोस्ती नहीं.....और भी बहुत कुछ है।"
"....क्या कहना चाहते हो संजू ?"
"..यही..ये जो कुछ है..चाहत है..विश्वास है...दीवानापन है सोनू के लिये..या यूँ कहें उसे सोनू से प्यार है...बेपनाह प्यार...."
...................(क्रमश:).........