यादें
यादें
अतीत की यादें
बहता दरिया है यह जीवन इसमें उठने वाली लहरें, जीवन के दुख सुख का प्रतिबिंब हैं जो याद दिलाती हैं कि जीवन का दरिया निरंतर आगे ही आगे बहता जायेगा। वक्त के हाथों में थमने वाला नहीं है। जिस तरह बहता पानी अपने साथ रास्ते की हर चीज को बहा कर ले जाता है उसी तरह यादें अपने साथ परत पर परत यादों को इस तरह उधेड़ने लगती हैं कि चारों ओर यादों का ताना -बाना बुन देती हैं कि उस जाल में उलझ कर इंसान अपने आप को दुनिया के बाज़ार में बेसहारा पाता है। कुछ मीठी, कुछ कड़वी, कुछ धुंधली, कुछ साफ, चलचित्र की तरह हैं यह अतीत की यादें। जितना इनसे पीछा छुड़ाने की कोशिश की जाती है उतना ही इनका घेरा बढ़ता जाता है।
यादें सदाबहार होती हैं उन पर वक्त की मार का कोई असर नहीं, याद वहीं की वहीं वैसे ही रहती है जैसे कल की बात हो। यादों के सफर में चलते हुए यही एहसास होता है कि वक्त की सुइयां पीछे की ओर भागने लगी हैं जिसमें वर्तमान का अस्तित्व कुछ पल के लिए खो जाता है। एक ऐसा भंवर हैं यादें --वो भी अतीत की यादें कि जितना उनसे बाहर निकलने की कोशिश करो उनकी बांहों का दायरा, उनकी जकड़ उतनी ही मजबूत हो जाती है।
कुछ यादें तो वर्तमान जीवन में जीने का दम ला देती हैं, आगे जाने की प्रेरणा देती हैं। अगर यादें न होती तो अब जो वजूद है वो न होता। भूलना चाह कर भी इन्हें भुलाया नहीं जा सकता। जितना भूलने की कोशिश करो उतनी ही याद --- याद बन जाती है। यादों के सागर में बहते हुए ही जीवन के सत्य को जाना जाता है।