याद
याद


मैं सोचता हूँ अक्सर
वो कैसी होंगी
वो वहां ख़ुश तो होगी
जो नहीं सुनती थी हमारी
आज वो अपने फर्ज निभाती होगी
जो लड़ती थीं बात बात पर रुठ जाती थी
क्या वो आज भी वैसी ही होगी
उसे भी मेरी याद आती होगी
या जिम्मेदारियां निभाने में दबी होंगी
धोखेबाज नहीं हैं वो मजबूर होगी,
मेरी तरह प्यार किया था उसने भी
वो भी क्या अकेले में छलकाई होगी
कैसे संभाला होगा उसने खुद को
मेरे पास आने से, बात करने से
किया होगा उसने मन कठोर तब
संस्कार निभाने चली होगी
धीरे धीरे सवार लेगी जिंदगी अपनी
हम ही तो नहीं सारी दुनिया में
पता नहीं !
कितने ही प्यार करने वालों ने
ऐसी ही कुर्बानियां दी होंगी
बस रह जाती हैं याद जिसमें
वहीं आदर्श प्रेम की कहानी होगी
आज भी आते हैं
जहाँ हम घंटों बात करते थे
जब आप याद आते हैं।