सरप्राइज
सरप्राइज


शिल्पी केतली उठकर चाय कर ही रहीं थीं और तभी उसकी पड़ोसी पक्की सहेली मानसी आ गई है
शिल्पी के मम्मी पापा को देखकर गुड मॉर्निंग आंटी, गुड मॉर्निंग अंकल ।
गुड मॉर्निंग बेटा
हाय शिल्पी "शिल्पी आज सुबह तुमने फोन क्यों नहीं उठाया" मुझे अकेले ही पार्क जाना पड़ा ।
शिल्पी -मैं सो रहीं थीं
मानसी -इतनी देर तक, क्यों?
शिल्पा -कमज़ोरी महसूस हो रही हैं
मानसी -ओके तू ऐसा कर डॉक्टर को दिखा लियो बाद में फोन करूंगी।
शिल्पा की माँ -बेटा चाय पी लो
नहीं आंटी जी, देर हो रही हैं मैं जा रही हैं फिर कभी और मैं मेहमान थोड़ी ना हूं।
अच्छा मैं चलती हूं ओके बाय..
बाय शिल्पा
शिल्पा घर का काम निपटा कर अपने कमरे में जा किताब पढ़ने लग जाती हैं छ: घंटे पढ़ने के बाद छत पर
एक्सरसाइज करने लग जाती हैं
मानसी छत पर गप्पे मार रहीं होती हैं शिल्पा को देख
मानसी- यार तू कितना पढ़ ली।
शिल्पा अभी कुछ तैयारी नहीं हुई।
चल झूठी छुपा ले अब मुझसे भी छुपा ले पहले भी ऐसे ही बोल रहीं थी और पास हो गई।
नहीं तुझसे क्या छुपाना मैं पढ़ने तो बैठी थी लेकिन सर के ऊपर से निकल गया कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा।
परसो चलना हैं शॉपिंग करने कितने बजे चलना हैं
मार्केट दस बजे खुलेगी पर वहां मैं पहले कभी नहीं गई
जल्दी चलेंगे जल्दी आ जाएंगे।
ओके मैडम ।
जब जब एग्जाम के लिए शिल्पा को जाना होता था मानसी भी किसी ना किसी बहाने से बाहर जाती अगर घर में बताती उसकी मदद के लिए जा रही हूं तो शायद उसकी मदद नहीं कर पाती। क्योंकि एक लड़का घर से बाहर जाए तो कोई ध्यान नहीं देता पर किसी की लड़की अगर बाहर जाए तो लोग बात बनाने से नहीं चूकते ।
शिल्पा की एक दोस्त ही थीं जो उसकी मदद करतीं , जिससे शिल्पा अपनी बातें शेयर करती और मानसी शिल्पा से अपने दिल की बातें बताती।
(कुछ महीनों बाद)
ध्यान चन्द -अरे रुको खोल रहा हूँ दरवाजा के सामने पोस्टमैन को देखकर - हाँ, बोलो
मकान नंबर पिच्चियानवे यहां यह एड्रेस आपका ही हैं
जी हाँ।
यह लेटर हैं शिल्पा यहीं रहती हैं
हां दिखाओ लेटर, अरे अब दोगे या नहीं
लेटर देखकर अरे हाँ ये तो शिल्पी का ही हैं
पोस्टमैन साहब थोड़ा खर्चा पानी कर दो देख लो। दो सौ पांच सौ रुपए कोई बड़ी बात नहीं है।
अच्छा ठीक है लो सौ रुपए यहीं हैं अभी रख लो। पोस्टमैन चला जाता हैं
(कुछ देर बाद )
ध्यान चन्द तेज़ आवाज में
शिल्पा,शिल्पा ! यहां आओ
क्या हुआ क्यू चिल्लाते हो?
और सुनो अपनी सहेली को भी बुला लो तुम समझती क्या हो ज्यादा होशियार बनती हो दोनों।
शिल्पा मानसी को फोन करती हैं पहले डरती हैं फिर सोचती हैं हम डरे क्यू जब कुछ गलत किया ही नहीं हमने और गलत तो कर ही नहीं सकती शिल्पा ।
शिल्पा के घर जाकर देखा तो अंकल गुस्से में थे क्या हुआ गुड आफ्टर नून अंकल,
मानसी इशारे में शिल्पा से पूछती हैं क्या हुआ ?
शिल्पा अज्ञानता का अभिनय करती हैं
क्या इशारे चल रहे हैं दोनों के
शिल्पा मानसी परेशान हो जाते हैं
दोनों की चोरी पकड़ी गई हैं
ध्यान चन्द हँसने लगते हैं
दोनों का चेहरा देखकर शिल्पी का आर्मी में सलेक्शन हो गया हैं मानसी अरे ये तो अच्छी ख़बर हैं
सब ख़ुश हैं और मानसी हस रहीं हैं शिल्पी ख़ुश हैं पर हैरान हैं जो सरप्राइज वो देना चाहती अपने पापा को वह यहां उसके पापा ने ही उसे उल्टा सरप्राइज दे दिया।