सवाल
सवाल


रमेश मेरा अच्छा दोस्त है। हम पहली बार एसएससी की कोचिंग में मिले थे। रमेश को वहीं पुराने लम्हें याद आते हैं अपने और रीमा के। पहले वह शादी इसलिए नहीं करना चाहता था कि उसे अपने पैरों पर खड़ा होना था, और आज इसलिए कि जिसे वह पसंद करता था उसकी शादी हो गई। उसने मुझसे कहा- "सोचता हूँ, जिंदगी जैसी चलती हैं चलने देता हूँ।"
मैंने कहा- "सुना हैं लड़की वालों के रिश्ते आ रहे हैं, आंटी ने मुझे बताया।"
मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं हैं शादी करने में घर वाले जहाँ चाहे।
मैं जानती थी अब उसने अपने को तकदीर के भरोसे छोड़ दिया है। उसे खुद पर गुस्सा भी आता हैं तरह तरह के सवाल मन को अंदर तक झकझोरते हैं न चाहकर भी वह उन्हीं यादों में अटका पड़ा है बाहर आना चाहता है किसी बन्द पिंजरे की तरह पर फड़फड़ाता है फिर थक हारकर नियति पर सब कुछ छोड़ देता हैं वह जिसने कठिन परिश्रम कर अपने सुंदर सुखी जीवन बनाने के लिए सफलता की सीढ़ियां चढ़ गया था वह आज अंदर ही अंदर खोखला होता जा रहा हैं। ऐसे सवालों से जिसके उत्तर वह जानकर संतुष्ट नहीं हैं। वह सवाल करता हैं जिसके उत्तर जो वह चाहता हैं वह नहीं हैं, घिरता जाता हैं अंधेरे विचारों में। बाहर से जो मुझे... नहीं, सबको खुशमिजाज दिखता है।