गाली ( व्यंग्य )
गाली ( व्यंग्य )


एक नाबालिक लड़का जब भी गली नंबर दस से ग्यारह की तरफ जब भी जाता तो रास्ते में कुत्ते उस पर भौंकना शुरू कर देते। वहाँ के कुत्ते सभी पर भौंकते आखिर इलाका तो उनका ही था कैसे आने दे किसी और को।
आज भी वहीं हुआ कुत्ते भौंक रहे थे, कि फिर उसने अश्लील गालियों की बौछार कर दी साले तेरी माँ की....,तेरी बहन की... फिर ईट मारी।
फिर कुछ लोगों में आवारा कुत्तों के लिए दया जागी।
लड़का- साले को फाड़ दूंगा किसका है ये।
कुछ लोग अरे ! किसी का पालतू नहीं हैं ये,
लड़का- वैसे बोलेंगे, किसी का नहीं हैं जब मारो तो सब इकट्ठा हो जाते हैं कुत्तों के पूरे परिवार को यहीं रख रखा हैं।
एक औरत - बिचारे पड़े रहते हैं चोरों को भगाते हैं रात भर, तो तरस आ जाता है बोल तो पाते नहीं, घर का बचा खुचा दे देते हैं। भागते बहुत हैं सब, पर यहाँ से कहीं जाते नहीं।
लड़का- साले, खाना भी देंगे फिर बोलेंगे यह कुत्ता हमारा नहीं हैं ।
फिर कुत्ते को गाली मिली, वफादार निस्वार्थ कुत्ते को जिसके नाम पर खुद गाली बनी हैं समझना मुश्किल हो रहा था कुत्ता कौन हैं ? भौंक कौन रहा हैं ?
कुत्ता भी सब समझ रहा हैं सब सुन रहा हैं और शांत खड़ा देख रहा हैं। मेरे दिमाग में यहीं आया, कुत्ते को पता होगा कि वह लड़का उसपर चिल्ला रहा है क्या उसे पता हैं गाली क्या होती हैं और क्या वह गाली समझ रहा हैं शायद नहीं, पर ज़बान से वह लड़का अपना चरित्र जरूर
बता गया।