STORYMIRROR

बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

4  

बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

वसंत ऋतु

वसंत ऋतु

1 min
239

जिस फूल को देखकर,

गुलाब कमल भी जला करते थे....


जिसके मुस्कराने पर,

अक्सर भवरे मरा करते थे.....


उस प्रीतपुष्प को,मुरझाता देख रहा हूं...

क्या यह हकीकत है,या मै सपना देख रहा हूं....


जिसके आने पर,

वसंत ऋतु भी शरमा जाए....


जिसके छूने के एहसासों से,

मरुस्थल भी उपजा जाए....


उसके दूर चले जाने पर,

पतझड़ आता देख रहा हूं....


क्या यह हकीकत है,

या मैं सपना देख रहा हूं....


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract