वसंत ऋतु
वसंत ऋतु
जिस फूल को देखकर,
गुलाब कमल भी जला करते थे....
जिसके मुस्कराने पर,
अक्सर भवरे मरा करते थे.....
उस प्रीतपुष्प को,मुरझाता देख रहा हूं...
क्या यह हकीकत है,या मै सपना देख रहा हूं....
जिसके आने पर,
वसंत ऋतु भी शरमा जाए....
जिसके छूने के एहसासों से,
मरुस्थल भी उपजा जाए....
उसके दूर चले जाने पर,
पतझड़ आता देख रहा हूं....
क्या यह हकीकत है,
या मैं सपना देख रहा हूं....
