Sushma s Chundawat

Tragedy

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Sushma s Chundawat

Tragedy

वर्ष 2020 की यादें

वर्ष 2020 की यादें

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वर्ष 2020 की यादें

-"ये क्या है आपके हाथ में?"

-" प्रियांशी की 2020 की डायरी"

-" उफ्फ्फ 2020 !

अच्छा, मुझे भी पढ़कर सुनाओ, क्या लिखा था हमारी बेटी ने"

-"सुनना चाहती हो तुम, तो सुनो कि प्रियांशी ने क्या लिखा था"...

वर्ष 2020,

'निर्भया केस से जुड़े अपराधियों को फांसी पर लटकाया गया !' -खुशी की लहर फैलाती वर्ष 2020 की ये पहली ब्रेकिंग न्यूज़ कितनी सुखद थी, कानून पर भरोसा टूटा नहीं था ।

फिर एक ब्रेकिंग न्यूज़ ऐसी भी सामने आयी- कोविड-19 देश में फैल रहा है !


पर हम विचलित नहीं हुए, पीएम साहब ने दीये जलाने को बोला था, हमने उस आपदा के अवसर को भी उत्सव मेें बदल डाला, खतरे के बीच में भी सभी ने दीपावली मना ली।

सब उत्साहित थे, चेहरे पर उम्मीद की मुस्कान थी कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा।

मगर 'कोरोना से सभी देश प्रभावित, संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है'- फिर से एक और ब्रेकिंग न्यूज़ !


हम तब भी नहीं घबराये, कोरोना को हराने के लिए घर में बंद रहे और थाली बजाकर कोरोना के कहर से भयमुक्त होने की कोशिश की।

सकारात्मक सोच हमेशा साथ रही पर उसके बाद तो हर आठ- दस दिनों बाद कोई ना कोई ऐसी ख़बर सामने आयी जिसने दिलों-दिमाग को एकदम से झटका दिया !

हम सोचते रह गये कि ऐसे कैसे हो गया, विश्वास नहीं हुआ पर थी कुछ ऐसी ही घटनाएं...

कोरोना काल में ही सुनने को मिला कि "दो साधुओं को बेकाबू भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डाला गया।"

उस दिन मानवता और विश्वास की एक-साथ हत्या हुई थी।

फिर एक सितारे की जन्नत में बसी माँ की गोद में सो जाने की दुखद ब्रेकिंग न्यूज़ से सामना हुआ। 

उससे उबरे तो आतंकियों के हमले में शहीद जवानों को दिखाती ब्रेकिंग न्यूज़ !

ये जवानों की बेटियां, माँ, पत्नी फौलाद की बनी होती है शायद..उनकी वीरता निराली ही है।

यह दुःख कम हुआ ही नहीं था कि फिर से एक और ब्रेकिंग न्यूज़ ने धमाका किया !

सुरसा के मुँह की तरह फैले जहरीले धुएँ ने कई जान लील ली.. ये फैलाव कई बार कितना घातक होता है ना...

गहरा सदमा लगा पर अभी तो और भी ब्रेकिंग न्यूज़ सुननी बाकी थी ।

पटरियों पर कटे मजदूरों के शव देखे नहीं जा रहे थे, वे मजदूर जो देेशव्यापी लॉकडाउन के दौरान घबराहट केे मारे लाठियाँ खाने के बावजूद घर जाने को दौड़ पड़े थे, रास्ते में घात लगाकर बैठी मौत ने झपट्टा मारा और बदल दिया मेहनतकश शरीरों को बेजान मांस के लोथड़ो में !

ऐसी ना जाने कितनी ही खबरें 2020 में सुनने, पढ़ने और देखने को मिली !

ज्ञान और जान से बढ़कर सोमरस की आवश्यकता की ब्रेकिंग न्यूज़ सुनी, साथ ही इस महामारी के दौरान जनता की मदद करते समाज के रक्षकों पर हुई पत्थरबाजी और हमलों की न्यूज़ भी सुनी, देखी और पढ़ी, साथ ही यह साल बॉलीवुड के लिए भी काफ़ी खराब रहा, अनेक जानी-मानी हस्तियां इस कोरोना काल में चल बसी।

वहीं आम जनता का जीवन भी लंबे समय तक चलने वाले लॉकडाउन की वजह से डांवाडोल हो गया।

कइयों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी तो कहीं-कहीं कोरोना की बजाय भूख की वज़ह से लोगों ने दम तोड़ दिया।

इस प्रकार हमारा वर्ष 2020 बीता और अब 2021 आ गया है मगर कोरोना का कहर बदस्तूर जारी है।

अब बस भी करो ईश्वर !

सकारात्मक ब्रेकिंग न्यूज़ सुनने को कान तरस रहे हैं।

नकारात्मता, डर, ख़ौफ, दुःख का जल्द से जल्द खात्मा हो और तिरंगे के रंग फिर से जगमगाएँ , दुआएं कबूल हो और जिन्दगी फिर से खिलखिलाये.....काश कि ऐसी एक 'ब्रेकिंग न्यूज़' भी जल्दी ही सुनने में आए ।"

पढ़ते-पढ़ते प्रियांशी के पापा का गला भर आया, सामने खड़ी प्रियांशी की मम्मी भी सिसक-सिसक कर रो रही थी।

जो लड़की सकारात्मक ब्रेकिंग न्यूज़ के इंतजार में थी, वो खुद कोरोना का शिकार बन कर

"नये कोरोना स्ट्रीम में हुई किशोरी की मृत्यु"

 मात्र इस एक लाइन की खबर में सिमटकर रह गयी थी!


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