वो तुम हो (पार्ट-10)
वो तुम हो (पार्ट-10)
प्यारे रीडर्स,
अभी तक आपने पढ़ा कि राघव रागिनी से कहता है कि मैं तुमसे प्यार नहीं करता और पार्क से चला जाता है। मयंक लाइब्रेरी में जाकर जब राघव से बात करता है तो वो उससे कहता है कि वो रागिनी से बहुत प्यार करता है और ये बात अंजलि और रागिनी दोनों ही छुपकर सुन लेते हैं। मयंक अंजलि से आयुष के बारे में पूछता है तो अंजलि कहती है कि आयुष उसका बहुत अच्छा दोस्त है या शायद दोस्त से भी ज्यादा है। ये सुनकर मयंक को गुस्सा आ जाता है। अंजलि को अपने अगले प्लान –बी के लिए मयंक से बात करनी थी लेकिन गुस्से में होने की वजह से मयंक उससे बात नहीं करता। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-
अंजलि अगली सुबह कॉलेज के लिए निकलती है तभी आयुष का फ़ोन आ जाता है। हेलो हाँ आयुष सुबह-सुबह फ़ोन, सब ठीक है ना ? हाँ आज तुम्हारे कॉलेज में कुछ काम है तो सोचा तुम्हारे साथ ही चलूँ। सो, लिफ्ट चाहिए प्रिंसेस, आयुष ने चहकते हुए कहा ? अंजलि ने कहा ऑफ कोर्स व्हाई नॉट। तभी अंजलि ने देखा आयुष बाइक लेकर उसके सामने ही पहुँच गया था। प्लीज सिट डाउन प्रिंसेस, योर ड्राईवर इस रेडी टू ड्राप यू। अंजलि मुस्कुराते हुए बाइक पर बैठ गयी और आयुष ने बाइक चला दी थी। अंजलि ने कहा क्या काम है तुम्हें कॉलेज में ? किसी से मिलना है, आयुष ने थोड़ा जोर से कहा। किससे मिलना है ? आयुष ने कहा तुम्हारे बंदर से। अंजलि ने हैरान होकर कहा क्या ? लेकिन क्यों, तुम्हें उससे क्या काम है ? आयुष ने कहा अरे आप तो सीरियस हो गयी प्रिंसेस, मैं तो मजाक कर रहा था। वैसे ये बंदर कुछ ज्यादा ही स्पेशल है क्या ? आयुष................., अंजलि ने गुस्से में कहा तो आयुष हँसने लगा था।
मुझे प्रिंसिपल से मिलना है। लेकिन क्यों ? मेरे लिए उनकी बेटी का रिश्ता आया है। वाओ, रियली अंजलि ने चहकते हुए कहा था! क्या बात है मेरे रिश्ते का सुनकर तुम्हें बड़ी ख़ुशी हो रही है ? आयुष की इस बात पर अंजलि ने खुश होते हुए कहा और नहीं तो क्या मैं और अमृता तो जमकर डांस करने वाले हैं। अपनी बात खत्म होते ही अंजलि को एहसास हुआ कि वो क्या कह गयी है ? अगले ही पल उसकी आँखें नम हो चली थी और वो बहुत उदास हो गयी थी। आयुष ने सब सुना और नोटिस किया अंजलि की हालत को और शायद वो खुद भी अपसेट हो गया था। दोनों के बीच गहरी ख़ामोशी पसर चुकी थी । थोड़ी ही देर में दोनों कॉलेज के गेट के पास पहुँच चुके थे। वहाँ खड़े शुभम और राघव ने अंजलि को आयुष के साथ देखा तो एक-दूसरे को देख कहने लगे यार ये लड़का कहीं अंजलि का बॉयफ्रेंड तो नहीं है ? आयुष ने बाइक पार्क की तब तक अंजलि वहीं खड़ी रही। मयंक आया और उसने अंजलि को वहाँ खड़े देखा और वो भी अपनी बाइक पार्क करने चला गया। जब वो लौट कर आया तो अंजलि कॉलेज के अंदर जा चुकी थी। मयंक ने आयुष को नहीं देखा था। वो भी अंजलि को ढूँढते हुए कॉलेज कैंपस में चक्कर काटने लगा था। तभी शुभम आया और उसने कहा यार भाभी तो आज उस लड़के के साथ बाइक पर आई थी ? मयंक ने सुना तो राघव की तरफ देखते हुए कहने लगा कौन-सा लड़का ? वही जो उस दिन पार्क में मिला था क्या नाम था उसका ? आयुष, मयंक ने कहा तो शुभम बोल पड़ा हाँ भाई वही लड़का। दोनों प्रिंसिपल के कमरे में गए हैं ? मयंक सोचने लगा आयुष यहाँ क्यों आया होगा ?
उधर प्रिंसिपल के कमरे में आयुष अंकल आप प्लीज मेरी बात को समझें मैं अभी शादी नहीं करना चाहता हूँ। मेरे घर पर कोई भी मेरी बात समझने को तैयार नहीं है। मैं बहुत उम्मीद से आपके पास आया हूँ। आप प्लीज इस रिश्ते से खुद ही इंकार कर दें। प्रिंसिपल सर ने गंभीरता से सोचते हुए कहा बेटा परेशानी क्या है ? सगाई कर लो शादी अगले साल कर लेना। आयुष ने कहा अंकल दरअसल मैं अपनी पढाई पूरी करने के बाद खुद को अच्छे से सेटल करना चाहता हूँ। ये सब करने में मुझे कम से कम 4-5 साल लग सकते हैं। पापा चाहते हैं मैं पहले शादी कर लूँ फिर ये सब करूँ। आप ही उन्हें समझा सकते हैं। प्रिंसिपल सर ने कहा लेकिन मैं दिव्या से क्या कहूँगा ? अंकल दिव्या से मेरी बात हो चुकी है, उसे मेरे फैसले से कोई ऐतराज़ नहीं है। बस मेरे पापा आपको दिए गए वचन और अपनी दोस्ती को निभाने के लिए ऐसा करना चाहते हैं। सच तो ये है कि मैं और दिव्या सिर्फ अच्छे दोस्त हैं और इससे ज्यादा कोई रिश्ता हम दोनों ही नहीं चाहते। तभी प्रिंसिपल सर का फ़ोन बज उठा था। फ़ोन उनकी बेटी दिव्या का ही था। हेलो डैड आयुष ? ? ? यहीं है मेरे ऑफिस में, उन्होंने दिव्या से कहा। डैड मैं उससे शादी नहीं करना चाहती। मैं किसी और को पसंद करती हूँ और उसी से शादी करना चाहती हूँ। आप प्लीज कुछ भी करके इस रिश्ते के लिए इंकार कर दें। ह्म्म्म........कहकर प्रिंसिपल सर ने फ़ोन रख दिया था।
आयुष और अंजलि दोनों ही प्रिंसिपल सर की तरफ घबराये हुए से देख रहे थे। प्रिंसिपल सर ने आयुष से कहा ये सब करने और कहने के लिए तुम्हें मेरी बेटी दिव्या ने कहा है ना ? आयुष ने सुना तो हैरान हो गया। उसने जवाब देते हुए कहा नहीं अंकल ऐसा कुछ नहीं है। मैं जानता हूँ बेटा ये दिव्या का प्लान है क्योंकि वो किसी लड़के को पसंद करती है। लेकिन मुझे दामाद के रूप में तुम जैसा लड़का चाहिए। दिव्या की पसंद कैसी है ये तो तुमने देख ही लिया होगा क्योंकि तुम दोनों अच्छे दोस्त हो तो उसने तुम्हें सब कुछ बता रखा होगा। तुम ईमानदारी से बताओ क्या वो लड़का दिव्या के लिए सही है ? नहीं.........आयुष ने थोड़ा सोचकर जवाब दिया। प्रिंसिपल सर मुस्कुराये और उन्होंने कहा जानता था तुम्हारा जवाब यही होगा। बेटा मैं ये भी जानता हूँ कि तुम दिव्या को पसंद करते हो। उसे सही-गलत समझाना तुम्हारा भी फ़र्ज़ है। उसे समझाओ कि वो गलत रिश्ते में आगे बढ़ रही है। वो नहीं समझेगी अंकल...............आयुष ने गंभीर स्वर में कहा। वो उससे बहुत प्यार करती है। तुम भी तो उससे बहुत प्यार करते हो ? जी.............. लेकिन उसकी ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है। ठीक है तुम जाओ लेकिन याद रखना अगर भविष्य में दिव्या के साथ कुछ भी गलत हुआ तो उसके साथ-साथ तुम भी उसकी बर्बादी के जिम्मेदार होगे। आयुष ने उनकी तरफ देखा और कहा माफ़ करना अंकल लेकिन मैं उसके साथ कभी कुछ गलत नहीं होने दूँगा। अंजलि हैरानी से सब कुछ देख-सुन रही थी। आखिरकार दोनों प्रिंसिपल रूम से बाहर आ गए।
बाहर आते ही अंजलि ने कहा आयुष तू पागल है क्या ? अगर तू दिव्या से प्यार करता है तो फिर उसकी शादी किसी और से क्यों करवाना चाहता है ? मैं प्यार करता हूँ लेकिन वो नहीं करती, वो मुझे सिर्फ एक अच्छा दोस्त मानती है। अंजलि ने कहा यार तू कितना अच्छा है, मुझसे प्यार करता तो मैं तो पक्का तुझसे ही शादी कर लेती। आयुष अब जोर से हँस पड़ा और कहने लगा प्रिंसेस आप से जो प्यार करेगा वो बेचारा ही होगा। अंजलि खिलखिलाते हुए कहने लगी अच्छा जी, तो क्या मैं इतनी बुरी हूँ ? आयुष ने कहा नहीं प्रिंसेस आप बहुत ज्यादा ही अच्छी हैं। इतनी अच्छाई लेकर जाने कोई पैदा भी हुआ है जिससे आपकी जोड़ी बनेगी। क्योंकि इतनी अच्छाई वो भी किसी लड़के में थोड़ा मुश्किल है, कहीं ऐसा न हो प्रिंसेस कुंवारी ही रह जाए ? आयुष ने आँख मारते हुए कहा लेकिन अंजलि उसकी तरफ सीरियस होकर देख रही थी। क्या हुआ अब ऐसे क्यों देख रही हो ? अरे मैं तो मजाक कर रहा हूँ कोई तो बेवक़ूफ़ बनाया ही होगा तुम्हारे लिए, हो जायेगी तुम्हारी शादी टेंशन मत लो। इतना सुनकर अंजलि मुस्कुरा दी थी। आयुष तुम अपनी तकलीफ को कितने अच्छे से हैंडल कर लेते हो ? आयुष अंजलि की बात सुन फीकी तरह से मुस्कुरा दिया था।
अंजलि ने कहा आयुष दिव्या के लिए वो लड़का सही भी है ? नहीं.........आयुष ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा। फिर तू उसे समझाता क्यों नहीं ? वो प्यार में है अंजलि कुछ समझती ही नहीं। वो तो मेरी फीलिंग्स भी नहीं समझती। वो आज भी उस बचपन वाले आयुष को ही जानती है। उसे लगता है मैं आज भी उसका वही दोस्त हूँ, जिसके साथ उसे खेलना, लड़ना-झगड़ना सब अच्छा लगता था। उसने कभी नोटिस ही नहीं किया कि अब हम बड़े हो गए हैं और मेरी फीलिंग्स उसके लिए अब बिलकुल बदल चुकी हैं। उसने मेरी आँखें नहीं पढ़ी कभी जिनमें उसके लिए बेइंतहा मोहब्बत है। मेरी आँखों में रची-बसी इस मोहब्बत को मेरे सभी घरवालों यहाँ तक के दिव्या के पापा ने भी देख लिया, लेकिन उसने कभी नहीं देखा ? अंजलि को आयुष की बातों से उसके दिल की तकलीफ और दिव्या के लिए उसके प्यार दोनों का अंदाज़ा हो चुका था। अंजलि ने कहा तूने उसको कभी कहा ? आयुष जिस दिन कहने गया था उस दिन मेरे कहने से पहले ही उसने मुझसे कहा आई लव हिम! फिर क्या करता कहकर, इसलिए नहीं कहा।
दोनों चलते-चलते कॉलेज के गेट तक पहुँच गए थे। अंजलि ने कहा आयुष तुझे उससे कोई शिकायत नहीं ? नहीं प्रिंसेस प्यार में शिकायतों के लिए कोई जगह नहीं होती, इस बार आयुष मुस्कुरा रहा था। अंजलि ने कहा तू उसके साथ कुछ गलत तो नहीं करेगा ना ? ? ? ?ये अंजलि का डर था क्योंकि उसने यही तो देखा था प्यार न मिलने पर लड़का, उस लड़की को कोई ना कोई तकलीफ देता है। कभी बदनाम कर देना, कभी उसके साथ कुछ गलत कर देना, उसकी इज्जत लूट लेना या फिर सबसे आसान एक एसिड की बोतल खरीद कर उसकी सुन्दरता को ही ख़तम कर देना। आयुष ने अंजलि की तरफ पलट कर देखा और कहा प्रिंसेस ये वो प्यार नहीं है ? मेरा प्यार इतना कमज़ोर नहीं है कि ना मिले तो उसे मिटाने की कोशिश करूँ। मेरे लिए मेरा प्यार उस ईश्वर की इबादत की तरह है, मिले तो भी सजदा और ना मिले तो भी सजदा। हाँ लेकिन अगर मेरे प्यार को किसी ने तकलीफ दी तो उसे जरूर मिटा दूँगा। अंजलि के उदास चेहरे पर ख़ुशी और संतोष के मिले-जुले भाव थे। आयुष ने कहा अंजलि जाओ अपनी क्लास अटेंड करो और हाँ ये इतना सेंटी मत हुआ करो। उसने अंजलि को साइड हग किया और अपनी बाइक की तरफ चला गया।
अंजलि कुछ सोचती हुई अपनी क्लास की तरफ आ रही थी। तभी सामने उसे मयंक मिल गया। उसने कहा हाय! मयंक ने कहा हाँ सॉरी मैं कल रात जल्दी सो गया था। अब बताओ क्या करना है ? अंजलि ने कहा वो तो मैंने सोचा नहीं। तुमने कुछ सोचा है क्या ? मयंक ने कहा हाँ इसके लिए रागिनी को किसी और लड़के के साथ दिखना होगा ? मतलब......अंजलि ने अपनी भौंहे ऊपर चढ़ाते हुए कहा ? मेरा मतलब की किसी लड़के से दोस्ती करके उसी के साथ घूमे तब शायद राघव को फील होगा। अंजलि ने कहा लेकिन दूसरा लड़का कौन होगा ? तभी शुभम वहाँ आ गया और अंजलि उसे देख मुस्कुराने लगी। क्या बात है भा..............कहते-कहते वो रुक गया और कहने लगा क्या बात है भाई, यहाँ क्यों खड़े हो आप दोनों ? अंजलि ने कहा तुम्हारे स्वागत के लिए। शुभम ने सुना तो अंजलि से कहने लगा मैंने कुछ गलत किया क्या ? उसने मयंक की तरफ देखा तो मयंक ने अपने माथे पर हाथ मार लिया था। नहीं अंजलि ये गधा है सब गुड-गोबर कर देगा...............नहीं, नहीं ये नहीं मयंक ने परेशान होकर कहा। कर लेगा यार, अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा। शुभम हैरान-परेशान कभी अंजलि को तो कभी मयंक को देख रहा था। उन दोनों की बहस अब भी जारी थी। वो नहीं कर पायेगा ? कर लेगा, अंजलि भी फुल कॉन्फिडेंस में बोल रही थी।
आखिरकार शुभम ने कहा ये क्या हो रहा है ? अंजलि ने कहा शुभम तुझे रागिनी कैसी लगती है ? शुभम ने शरमाते हुए कहा बहुत अच्छी है। लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रही हैं ? क्योंकि तुम्हें उसे प्रपोज करना होगा ? क्या ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? शुभम ने हैरान होकर कहा लेकिन रागिनी से तो राघव प्यार करता है। हाँ जानते हैं हम लेकिन वो ये कह नहीं रहा तो इसलिए हमें ये करना होगा। लेकिन ऐसा करने से क्या वो रागिनी को हाँ कह देगा, शुभम ने अपना सिर खुजाते हुए कहा ?
पहले तुम ये बताओ कि तुम ये कर पाओगे या नहीं ? राघव और रागिनी को मिलाने के लिए मैं कुछ भी करूँगा। आखिर वो दोस्त है मेरा और मैं जानता हूँ कि वो रागिनी को प्यार करता है। लेकिन अगर वो फिर भी नहीं माना और रागिनी को मेरे साथ देखकर उसे कुछ भी नहीं हुआ तो फिर..............अंजलि ने कहा वो सब बाद की बात है, अभी तुम्हें सिर्फ अपने काम पर फोकस करना है। मयंक अब भी अपना सिर पकड़ कर खड़ा था, क्योंकि उसे शुभम की हरकतों का अंदाज़ा था। लेकिन अंजलि तो अब तक उसे ट्रेंड भी कर चुकी थी। तीनों खड़े थे तभी नाज़िया और रिया भी वहाँ आ गए थे। रागिनी कहाँ है, अंजलि ने पूछा तो रिया ने कहा लाइब्रेरी में बैठी है। राघव भी वहीं बैठा हुआ है। क्या सच में, अंजलि और मयंक एक साथ ही बोल पड़े थे ? खुश होने की जरुरत नहीं दोनों लाइब्रेरी के अलग-अलग कोनों में बैठे हैं जहाँ से एक-दूसरे की शक्ल देख रहे हैं बस, इस बार रिया ने गुस्से में कहा। रिया की बात सुनकर अगले ही पल सब शांत खड़े हो गए। तभी अंजलि की आँखें चमक उठी थी। उसने मयंक की तरफ देखा और कहा प्लान अभी से शुरू करते हैं ? मयंक ने सवालिया निगाहों से अंजलि की तरफ देखा तो अंजलि ने शुभम को एक साइड ले जाकर कुछ कहा।
शुभम ने कहा अभी से लेकिन..........................ओके कहकर शुभम लाइब्रेरी की तरफ जाने लगा तो अंजलि ने उसे आवाज देते हुए कहा बेस्ट ऑफ लक! शुभम मुस्कुराया थैंक यू कहकर चला गया। अंजलि का ध्यान अब बाकी सब पर गया जो उसे एकटक घूर रहे थे। उसने हँसते हुए कहा मुझे मत देखो। लाइब्रेरी चलो फिल्म शुरू होने वाली है वरना मिस हो जायेगी। सभी बिना कुछ समझे ही उसके पीछे हो लिए थे।
उधर शुभम लाइब्रेरी में पहुँचा और जाकर राघव के पास खड़ा हो गया। उसने देखा राघव रागिनी को ही देख रहा था और जैसे ही रागिनी नज़र उठाकर उधर देखती तो राघव किताब में देखने लग जाता था। उसने राघव के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तू यहाँ पढाई कर रहा है या फिर कुछ और ? ? ? राघव ने थोड़ा झेंपते हुए कहा पढ़ रहा हूँ और क्या करूँगा ? शुभम ने कहा तुझे रागिनी में पक्का कोई इंटरेस्ट नही है ? राघव ने सुना तो शुभम की तरफ देखने लगा। बता ना ? ? ? शुभम ने फिर से पूछा तो राघव ने कहा नहीं मुझे सिर्फ पढाई में इंटरेस्ट है और किसी में नहीं ? फिर सोच ले क्योंकि रागिनी...................राघव ने देखा तो शुभम रागिनी की तरफ ही देख रहा था और तभी रागिनी ने उनकी तरफ देखा तो शुभम ने उसे हाथ के इशारे से हेलो कहा। रागिनी ने भी उसे देख हाथ हिला दिया था। राघव ने देखा लेकिन कुछ कहा नहीं और उन्हें इगनोर करके वापिस किताब पढ़ने लगा।
शुभम ने कहा राघव आज का दिन है तेरे पास एक बार फिर अच्छे से सोच ले। अगर तू सच में उसे पसंद नहीं करता तो फिर मैं उसे प्रपोज करूँगा। मुझे वो बहुत अच्छी लगती है। राघव ने शुभम के मुँह से ये सुना तो उसका दिल किया कि उसका मुँह तोड़ दे, लेकिन वो बिना कुछ कहे ही वहाँ से उठ कर चला गया। जाते हुए वो रागिनी के पास रुका और उसकी तरफ देख कर फिर आगे बढ़ गया। उसे बहुत तेज गुस्सा आ रहा था लेकिन उसने उसे कण्ट्रोल किया। उसके लाइब्रेरी से बाहर आते ही उसे मयंक वहाँ मिल गया। तेरा मूड क्यों ख़राब है ? राघव ने गुस्से में कहा मयंक उसे समझा वो रागिनी के बारे में फ़ालतू न सोचे। कहना तो नहीं चाहता था लेकिन राघव मयंक से अपने दिल की बात कह देता था। उसने कहा अभी शुभम लाइब्रेरी में बैठा मुझसे ये सब कह रहा था। मयंक को मन ही मन हँसी आ रही थी लेकिन उसने सीरियस होकर कहा तो तुझे क्या प्रॉब्लम है ? वैसे भी तूने रागिनी को जब मना कर दिया है तभी तो उसने ऐसा कहा है ? अब रागिनी सुंदर है, समझदार है तो कोई भी उसकी तरफ आकर्षित हो सकता है ? शुभम भी हो गया होगा, अच्छा लड़का है और अमीर भी। मेरे ख्याल से रागिनी उसके साथ खुश रहेगी।
मयंक को ऐसे बात करता देख राघव को बहुत दुःख हुआ। उसने सोचा नहीं था कि मयंक उसे ऐसे जवाब देगा। आखिरकार मयंक को तो अपने दिल की हर बात बता दिया करता था राघव। मयंक ने कहा देख राघव अगर कुछ भी है तेरे दिल में रागिनी को लेकर तो अभी कहने में ही भलाई है। शुभम पर गुस्सा होने से कोई फायदा नहीं है। उसने जब ये देख लिया है कि तू उसे हाँ नहीं कहने वाला तभी उसने ये स्टेप लिया है। अगर तू उसे हाँ कह देता तो शुभम ऐसा नहीं करता। आज शुभम है कल कोई और लड़का होगा। आखिर कभी ना कभी तो कोई लड़का आएगा ही रागिनी की ज़िन्दगी में तो अपना शुभम ही क्यों नहीं। राघव सब कुछ चुपचाप सुन रहा था। उसका दिल चीख रहा था लेकिन उसके दिमाग ने उसे चुप करवा रखा था। चल कैन्टीन कॉफ़ी पीकर आते हैं। वो दोनों कैन्टीन की तरफ बढे ही थे कि शुभम और नितिन भी वहाँ आ गए और कहने लगे हमारे बिना कैन्टीन ? ? ? नहीं तुम भी साथ चलो कहकर वो चारों कैन्टीन की तरफ बढ़ गए थे। तभी मयंक का फ़ोन बजने लगा। उसने देखा अंजलि उसे कॉल कर रही थी। उसने फ़ोन उठाया और थोड़ा दूर जाकर बात करने लगा।
अंजलि ने कहा ये शुभम का बच्चा कहाँ है ? कुछ काम हुआ कि नहीं ? मयंक ने कहा तुम कहाँ हो ? क्लास के बाहर खड़ी हूँ। कैन्टीन में आ जाओ, हम यहीं हैं ? ओके कहकर अंजलि ने फ़ोन काट दिया था। उसने क्लास में जाकर कहा यार कॉफ़ी पीने का मन है चलो कैन्टीन चलते हैं। रिया और नाज़िया तो उठ गए लेकिन रागिनी ने कहा मेरा मन नहीं है तुम लोग जाओ। अंजलि ने अपने हाथ अपने माथे पर मारते हुए कहा ये कॉफ़ी तेरी वजह से ही पी रही हूँ वरना मुझे चाय पसंद है। अब चल जल्दी से। रागिनी को कुछ समझ तो नहीं आया लेकिन वो जानती थी कि अंजलि के दिमाग में जरुर कुछ चल रहा है। जैसे ही कैन्टीन के अंदर पहुँची तो रागिनी की नज़र राघव पर गयी। उधर से शुभम ने फिर से हाथ हिलाते हुए कहा हाय रागिनी! हाय कहकर रागिनी जाकर अंजलि के पास बैठ गयी। शुभम अब भी रागिनी की तरफ देख रहा था और राघव गुस्से में शुभम को देख रहा था। मयंक की नज़र राघव पर और कभी सामने बैठी अंजलि पर जा रही थी। अंजलि रागिनी से कुछ बात कर रही थी।
उधर रागिनी ने अंजलि से कहा आज शुभम मुझसे कुछ ज्यादा ही बात कर रहा है। अब नाज़िया, रिया और अंजलि तीनो खिलखिलाकर हँस पड़ी थी। रागिनी ने कहा अब ये क्या था ? मतलब खिचड़ी में सब शामिल हो और मुझे ही पता नहीं ? अंजलि ने अब रागिनी को सारा प्लान बताया तो रागिनी ने मायूस होकर कहा वो फिर भी कुछ नहीं कहेगा। अंजलि ने कहा तू कॉफ़ी पी बाकी सब मुझ पर छोड़ दे। बस तू शुभम को भाव देना शुरू कर दे और राघव के सामने तो शुभम से और अच्छे से बात किया कर। हम्म… रागिनी ने अनमने मन से कहा था और कॉफ़ी पीने लग गयी। ऐसे ही आज का दिन बीत गया और कॉलेज की छुट्टी के समय राघव और रागिनी एक-दूसरे के आमने-सामने पड़ गए। राघव एकटक रागिनी को देखने लगा तो रागिनी ने कहा हाय राघव आई होप तुम ठीक होगे ? अपनी कल की गलती और तुम्हें परेशान करने के लिए माफ़ी चाहती हूँ। अंजलि ने समझाया मुझे प्यार में कोई जबरदस्ती नहीं होती। अब तुम्हें मुझसे प्यार नहीं है तो क्या कर सकते हैं ? दुआ करुँगी तुम्हें कोई अच्छी लड़की मिल जाये जिससे तुम्हें प्यार हो जाये। राघव भी शायद कुछ कहना चाहता था लेकिन बस थैंक यू कहकर वहाँ से चला गया। रागिनी भी रिया के साथ अपने घर के लिए निकल गयी। अंजलि जैसे ही कॉलेज के बाहर पहुँची उसने देखा एक भी ऑटो नहीं है। तभी मयंक अपनी बाइक लेकर वहाँ आ गया और उसने कहा अंजलि बैठो मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूँ। अंजलि ने कहा मैं चली जाऊँगी और राघव कहाँ है तुम उसके साथ जाते हो ना ? उसे कुछ काम था तो आज वो बस से चला गया। अंजलि ने टाइम देखा और फिर मयंक की बाइक पर बैठ गयी। मयंक ने बाइक चलाते हुए कहा क्या लगता है, तुम्हारा प्लान कामयाब होगा ? तुम्हें कोई शक है, अंजलि ने कहा।
राघव ऐसा लड़का नहीं है लेकिन देखते हैं ? वैसे उसे गुस्सा तो आ रहा है शुभम पर। तुमने देखा अंजलि ने चहकते ही पूछा ? हाँ मुझसे सामने से आकर कहने लगा था कि शुभम ठीक नहीं कर रहा है। अंजलि ने कहा गुड इसका मतलब प्लान काम करेगा। आयुष क्यों आया था ? ना चाहते हुए भी मयंक ने अंजलि से ये सवाल पूछ लिया था। अंजलि ने कहा लम्बी कहानी है फुर्सत में सुनाऊंगी। अभी तो मेरा घर आ गया है। ओके बाय कहकर अंजलि अपने घर में जाने लगी। नैना जी ने ऊपर से ही अंजलि को मयंक के साथ आते देखा तो खुश हो गयी थी। उन्होंने मयंक को आवाज दी लेकिन मयंक को सुनाई नहीं दी और वो बाइक स्टार्ट कर अपने घर की तरफ निकल गया। नैना जी ने आते ही अंजलि को डांटना शुरू कर दिया। मयंक को घर के बाहर से ही भेजने के लिए तो अंजलि ने कहा माँ वो जल्दी में था। बुला लेना कभी घर पर खूब खातिरदारी कर लेना, कहकर अंजलि अपने कमरे में चली गयी। रात को डिनर के समय भी नैना जी ये यही बात छेड़ दी तो अमिताभ जी ने भी अंजलि से कहा बेटा बुरी बात कम से कम उसे चाय पिला कर तो भेजना था। अंजलि ने कहा गलती हो गयी मुझे उसके साथ घर ही नहीं आना चाहिए था। नैना जी ने ये सुनकर अंजलि को घूरा तो अंजलि ने कहा अगली बार उसे घर के अंदर बुला लुंगी फिर आप आराम से उसकी खातिरदारी करके भेजना, ओके मॉम! डिनर खत्म कर अंजलि गुड नाईट कहकर अपने कमरे में चली गयी।
उधर मयंक यही सोच रहा था कि अंजलि ने मुझे घर के अंदर आने को भी नहीं कहा। वो मन ही मन कह रहा था कितनी अजीब लड़की है ? लेकिन दूसरों की परवाह भी करती है। अब वो खुद से ही कहने लगा वो बहुत अच्छी है। खुद से ही बात करते हुए उसे ना जाने कब नींद आ गयी। दूसरी तरफ राघव आज जो कुछ भी हुआ उसकी वजह से उदास था। उसे रागिनी की कही बातें याद आ रही थी। कभी उसे शुभम का रागिनी को देखना और उसके रागिनी को लेकर इरादे याद आ रहे थे। कुल मिलाकर राघव बेचारे की नींद उड़ी हुई थी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अचानक से शुभम को रागिनी में कैसे इंटरेस्ट आ गया। फिर उसे याद आया कि शुभम ने उसे पहले भी एक बार मजाक में कहा था कि वो रागिनी को प्रपोज करेगा। अब उसे लग रहा था इसका मतलब शुभम पहले से ही रागिनी के लिए सीरियस था, बस उसने मेरी वजह से कुछ नहीं कहा था। रागिनी अपने बिस्तर पर लेटी हुई राघव को ही याद कर रही थी और मन ही मन ये सोच रही थी क्या राघव कभी उसे हाँ कहेगा भी या नहीं ? रिया अपने कमरे में बैठी ये सोच रही थी कि राघव और रागिनी क्या कभी एक साथ होंगे ? क्या सच्चे प्यार में सच में कोई ताकत होती है ? उसके सवालों के जवाब देने वाला कोई भी नहीं है उसके पास ये सोचकर रिया थोड़ी उदास हो गयी। आखिरकार चुपचाप सो गयी।
हमारी अंजलि चाँद-तारों के नीचे बैठी सोच रही थी यार ये प्यार इतना मुश्किल क्यों होता है ? आयुष का प्यार उसे नहीं किसी और को चाहता है ? राघव और रागिनी एक-दूसरे को चाहते हैं लेकिन राघव रागिनी से ये कहना ही नहीं चाहता। अमृता को प्यार करने वाला उसके ना करने पर उस पर तेजाब फेंक कर चला गया। क्या प्यार में सिर्फ दर्द होता है ? आयुष, राघव, रिया, अमृता सभी तो दर्द में हैं। नहीं,नहीं...............अंजलि खुद से ही कह रही थी कि सच्चा प्यार तो रूह में बस जाता है। किसी के मिलने से ये पूरा और किसी के ना मिलने से ये अधूरा थोड़े होता है। प्यार हर हाल में मुकम्मल होता है। और अंजलि ने अपनी डायरी पर अपनी कलम चला दी थी। कुछ अल्फाज़ उसकी डायरी को आज फिर खूबसूरती दे रहे थे।
इश्क से तौबा और इश्क से सजदा,
सच है ये अपने बस में कहाँ होता है ?
ये वो जादू है चल जाए जिस पर भी,
वो इश्क में मुकम्मल या फना होता है।
इजहार या इंकार ये तो काम है जुबां का,
इश्क तो हर पल आँखों से बयां होता है।
खुद की ही धड़कनों पर काबू नहीं रहता,
ये दिल फिर किसी और का मकां होता है।
ये वो जादू है चल जाए जिस पर भी,
वो इश्क में मुकम्मल या फना होता है।
उसकी हसरत खुद की चाहत बनती है,
उसके सपनों में ही अपना जहाँ होता है।
उसके साथ और उसकी मोहब्बतों से,
खुशनुमा इन साँसों का ये समां होता है।
ये वो जादू है चल जाए जिस पर भी,
वो इश्क में मुकम्मल या फना होता है।
क्रमश:

