वो पुराना बूढ़ा पीपल
वो पुराना बूढ़ा पीपल
यह जो कहानी है इसमें कुछ विचित्र घटनायें आप पढ़ेंगे जो वास्तव में नहीं होता जैसे कब्रिस्तान में पीपल का पेड़ होना। आदमी के मरने के कुछ दिन के बाद उसके शरीर से खून का निकलना इत्यादि,तो लीजिए आनन्द लें एक भय के माहौल का।
सनाया पेशे से एक लेखिका थी, वो भी हैरतअंगेज व रुहानी दुनिया की कहानी लिखने वाली। सनाया की माँ तो उसके बचपन में ही भगवान के सान्निध्य में चली गयी थी और उसके पिता हाल में ही एक दुर्घटना में मौत के आगोश में चले गए थे। उसके पिता ने हाॅस्पीटल में सनाया से कहा था कि वो कभी भी उनके फार्म हाउस रोज विला पर नहीं जाएगी और उसके बाद वो इस दुनिया से अलविदा हो गए थे।
आप और हम यह जानते हैं कि एक लेखक जिस तरह की रचना करता है उसका मन और मस्तिष्क उस रचना की भाँति ही हो जाता है यानी की रुहानी दुनिया के बारे में लिखने वाले के अंदर से डर पूरी तरह निकल जाता है, रत्ती भर का भी नहीं रहता। सनाया भी ऐसी ही थी उसके पिता के मरते समय कहे गए बात को भी भूल कर वह रोज विला जो उसका फार्म हाउस था, वहाँ चली ही गयी थी।
सनाया की एक नयी कहानी को पाने के प्यास ने उसे रोज विला पहुँचा ही दिया था ।वह रोज विला में अपने कमरे में लगे आरामकुर्सी पर बैठकर कुछ लिख रही थी और जैसा हर लेखक के साथ होता है उसे कुछ अच्छे शब्द न मिलने से वो या तो शब्दों की तलाश में घूमना प्रारम्भ कर देता है या कुछ और काम करने लगता है। सनाया में भी अन्य लेखकों की भाँति ही यह गुण मौजूद था। उसमें यह गुण था कि वह मुँह में कलम को दबा लेती थी। उस रात को भी सनाया को शब्द न मिलने के कारण वो अपनी इस आदत को दुहराने लगी थी।
सनाया ने अपने कलम को मुँह में दबाये सोचते -सोचते घड़ी की ओर नजर दौड़ायी तो पाया कि मध्यरात्रि के बारह बज चुके हैं। यह देखकर सनाया ने सोचा कि आगे की कहानी कल लिखी जाएगी और वो अपनी डायरी बन्द करके आरामकुर्सी को बिल्कुल सलीके से रखकर अभी उठी ही थी कि तभी........................ उसके दरवाजे पर एक जोरदार दस्तक हुई।
सनाया मन में सोचते-सोचते दरवाजे की ओर बढ़ी कि इतने रात गए आखिर कौन हो सकता है। परन्तु जब उसने दरवाजा खोला तो वहाँ पर कोई नहीं था। सनाया हैरानी के साथ मुस्कराते हुए कि शायद यह उसका वहम हो दरवाजे को लगाकर अपने कमरे में आकर अपना नाइट गाउन पहनने लगी, वह अभी अच्छे से नाइट गाउन का फीता बाँध भी नहीं पाई थी कि उसके दरवाजे पर फिर से एक जोरदार दस्तक हुई मानो किसी ने कसकर हथौड़ा मार दिया हो। सनाया यह आवाज़ सुन बड़ी तेजी से अपने नाइट गाउन को अच्छे से बाँधते हुए दरवाजे की ओर भागी। पर उसके दरवाजा खोलते ही चारों ओर कोई न था बस केवल कुहरे का धुआँ दूर-दूर तक फैला हुआ था जैसा कि बहुत ही ठण्ड में होता है। सनाया इस बार गुस्से से बड़बड़ाती हुई कि न जाने लोगों को रात को भी चैन नहीं मिलता है क्या कि रात को भी ये लोग न सोते हैं और न सोने देते हैं। उसे ठण्ड लगने लगी थी इसलिए वो कम्बल ओढ़कर अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी। उसे लेटे 5 मिनट ही लगभग हुए ही होंगे कि उसे किसी के दरवाजे को हल्के से खोलने की आवाज़ आई। वह इस ओर ध्यान देना छोड़कर दूसरी ओर मुड़कर लेट गयी, पर कुछ ही देर में उसे अनुभव हुआ कि कोई उसे अपनी ओर घूमने के लिए कह रहा हो। वह उस ओर घूम गयी, घूमते ही उसने देखा कि एक सुन्दर महिला उसके बिस्तर के बिल्कुल पास में ही खड़ी है और उसके साथ चलने का इशारा कर रही हो और वह मन्त्रमुग्ध सी उसके पीछे चल दी। वे दोनों जाकर एक पुराने बूढ़े पीपल वाले कब्रिस्तान में जाकर ठहर गए,तब तक सनाया उस सम्मोहन से बाहर आ गयी थी ।सम्मोहन से बाहर आते ही उसने उस महिला को ढूँढना शुरु कर दिया जिसके साथ वो वहाँ तक आई थी। वह उस महिला को आवाज लगाते हुए यह सोचने लगी कि ये मैं कहाँ आ गयी। उसके बाद जब उसकी नज़र अपने सामने पड़ी तो उसे बूढ़ा पुराना पीपल और आस-पास कुछ कब्र दिखाई दिये, तब सनाया को यह समझते देर न लगी कि वो वो पुराने बूढ़े पीपल वाले कब्रिस्तान में आ गयी है जिसके बा़रे में कभी उसके पापा ने बताया था। वह यह सब सोच ही रही थी कि उसे उस पीपल से एक कटा हुआ सर उसकी ओर आते दिखाई दिया जिसमें से अभी भी खून टपक रहा था वह यह देखकर आश्चर्य चकित रह गयी की वो सर तो उसी महिला का था जिसके साथ वो वहाँ पर आई थी। वह यह सब सोच ही रही थी कि वो सर बिल्कुल उसके पास आकर बोलने लगा कि सनाया जितना जल्दी हो सके तुम यहाँ से चले जाओ। साथ ही मुझको माफ कर देना कि मैंने तुम्हें यहाँ तक लाया क्योंकि मैं तुम्हारे पास जाना भी नहीं चाह रही थी, परन्तु उसने मुझे मजबूर किया था और उसके बाद वह सर काँपने लगा और काँपते -काँपते जमीन पर गिर गया और उसमें से एक जोरदार विस्फोट हुआ और वो पूरी तरह से राख बनकर गायब हो गया।
सनाया सोच ही रही थी कि यह क्या था कि तभी उसके सामने फिर से एक और कटा हुआ सर, बिल्कुल हूबहू पहले की तरह ही खून टपकता हुआ उस पीपल के पेड़ से निकला। पर इस सर को देखकर सनाया के आँखों में आँसू आ गए, क्योंकि ये सर किसी ओर का नहीं था बल्कि उसके पापा का था।
सनाया रुन्धे कण्ठ से बस इतना ही कह पाई कि पापा आप यहाँ....... आप तो उस एक्सीडेंट में... .और मैंने आपका अन्तिम संस्कार भी.....सनाया की यह सारी बातें टूटी-फूटी थी, फिर वह सर सनाया के बिल्कुल करीब आकर कान में यह बोला कि उस दिन वह मैं नहीं था बेटी, बल्कि यह उसकी चाल थी । हम सभी लोग उसके कैद में हैं। तुम यहाँ से जितना जल्दी हो सके भाग जाओ। देखो वो आ रहा है और मुझे गुस्सा से धकेल रहा है........ भाग जाओ यहाँ से ..... वह मेरे रूप में ही आ रहा है जल्दी भाग जाओ यहाँ से और वह सर भी काँपते हुए जमीन पर गिर गया और उसमें जोरदार धमाका हुआ और वो गायब।
जैसा उसके पापा ने उससे कहा था वैसा ही वहाँ पर घटना घटी, फिर से एक सर उस पीपल के पेड़ से बाहर आया और वह सनाया से बोला सनाया ,मेरी बेटी तुम आखिर आ ही गयी। आओ मेरे पास आ जाओ।
सनाया ने उसे..........जब मना कर दिया तो वह सर पूरी तरह से उसके सामने आकर एक पूरे इन्सानी शरीर में बदल गया।उसका चेहरा उसका पूरा शरीर बड़ा ही भयानक दिख रहा था तथा उसके शरीर को देखकर लगता था कि उसे हिस्से से काटा गया हो और हड़बड़ी में सिर्फ एक दूसरे हिस्से के जगह पर सिर्फ रख भर दिया हो। उस पर उसके शरीर से टपकता हुआ खून लगभग उसे और भी भयानक बना दिया था। सनाया उसके इस चेहरे को देखकर उसे और भी बर्दाश्त न कर पाई। उसके बाद वह बदहवास -सी नीचे गिर पड़ी, गिरते-गिरते उसने देखा कि वो बूढ़़ा पुराना पीपल और वो इन्सान तेज हवा में कहीं गायब हो गए। जाते-जाते हँसते-हँसते उसने सनाया से कहा था सनाया तुझसे मेरे पास आना ही ...... ...
इतना कहकर वह वहाँ से चला गया। सनाया अब तक यह समझ गयी थी कि वो सारी घटनाएं वास्तव में घट रही थी उसके साथ। फिर भी उसकी हिम्मत ने अभी तक जवाब न दी थी और वो सोच रही थी कि शायद ये सब कुछ देर में सुबह होने के बाद समाप्त हो जाए। पर उसके आश्चर्य का तब और ठिकाना न रहा जब उसे बदहवासी में इस बात का अनुभव हुआ कि कोई उसे जमीन के अन्दर खींच रहा है जो वास्तव में उसके साथ हो रहा था। उसे अब तक होश आ चुका था। उसने देखा कि खून से बिल्कुल भींगे दो हाथ उसे जमीन के अन्दर खींच रहे थे और वह कुछ ही देर में एक ताबूत में थी। वह ताबूत में जाने के बाद सोच ही रही थी कि अब यह सब यहीं खत्म हो जाए, परन्तु बहुत कुछ बाकी था उसके साथ होना और उसके आश्चर्य की तब सीमा न रही जब वो ताबूत भी बारुद की तरह फट गया और सनाया जमीन के और अन्दर जाकर के गिर गयी।
जब उसे होश आया तो वह एक महल के दरवाजे के पास खड़ी थी, उसने जैसे ही उस दरवाजे को स्पर्श किया तो वह दरवाजा हिला और वह अन्दर चली गयी। वह दरवाजा इतना जोर से हिला था कि वह गिरते-गिरते बची। जब वह अन्दर पहुँची तो उसने किसी के फिर से हँसने की आवाज सुनी। साथ ही वह आवाज उसे पुकार रही थी, वो जैसे -जैसे आगे बढ़ रही थी वह आवाज और तेज होती गयी।अब वह उस आवाज के बिल्कुल सामने खड़ी थी। उसने देखा कि सामने एक अजीब से सिंहासन पर एक बहुत ही सुन्दर युवक बैठा हुआ है ।उस युवक ने सनाया की तरफ देखकर उससे कहा :-"आओ सानिया
!आ जाओ। मैंने ही तुम्हें बुलाया था, अभी तुमने मेरी ही आवाज सुनी थी। वह उस युवक को देख और यह सब सुनकर थोडी़ चकित हो गयी थी। तभी उसने एक और आवाज सुना, "सनाया बेटी, जब उसने आवाज की तरफ मुड़कर देखा तो वह थोड़ी खुश हो गयी क्योंकि यह आवाज़ पास में ही एक जंजीर से ऊपर बन्धे सिर से आ रही थी, उसने देखा कि ये तो उसके पापा थे।
पापा आप! हाँ बेटी अब मैं जो बता रहा हूँ उसे ध्यान से सुनो, यह वही शैतान है जिसे तुमने उस पेड़ के पास देखा था। इसे मारना.. .... ......इतना...... बस इतना ही वो बोल पाए थे कि उस शैतान ने बड़े अनोखा अन्दाज़ में उससे कहा कि अब बाप और बेटी का मीटिंग ओवर हो गया हो, रोना-धोना एन्ड हो गया हो तो ये नाचीज भी कुछ अर्ज करे हुजूर। सनाया उसका कुछ जवाब दे पाती कि तभी एक ओर खोपड़ी बोल उठी .....तुम इसकी बातों में मत आना सनाया ,हम सबको भी इसने ऐसे ही मार डाला था,कि तभी उस खोपड़ी को शायद कुछ चुभा और वो कराह उठा और वो टूट कर बिखर गया। उसके बाद उस शैतान ने उससे कहा कि न जाने लोगों को दूसरों के काम में टाँग अड़ाने से क्या मिल जाता है चू चू की आवाज करते हुए उसने फिर कहा बेचारी मुफ्त में शहीद हो गयी। आई डॉन्ट लाईक डिस्टरबेन्स यू नो। ओके जस्ट चील, ये तो होता ही रहता है। सनाया माई डीयर लवली लेडी तुम मेरी बन जाओ तो मैं इन सबको छोड़ दूँगा और तुम इस पूरे ब्रहमाण्ड की मालकिन हो जाओगी।
फिर सनाया को एक और आवाज सुनाई पड़ी ,सनाया कि तुम इसके झाँसे में मत आना ।सुनो इसे मारने का एक ही उपाय है कि जब ये तुम्हें गले लगाने को कहे तो तुम अपने नाखूनों को इसके गले में तलवार के चित्र की तरह गढ़ा देना और उसके बाद इसके पीठ को कस के खींचना और बस इतना ही बोल पाई थी वो आवाज कि उसके बाद सनाया ने किसी के जोर से कराहने और चिल्लाने की आवाज सुनी और उसके बाद वो भी शान्त हो गयी।
सनाया ने शैतान की तरफ घूमकर उससे कहा आपकी रानी बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। आइये मुझे अपने सीने से लगा लीजिए। उसके बाद उस शैतान ने जैसे उसे सीने से लगाया उसने उसके गले में उसी तरह से नाखून गढ़ा दिया जैसा उसे करने को कहा गया था। उसके बाद उस शैतान के दर्द से कराहने के बाद उसने कसकर उसके पीठ को खींचा और उसका पीठ और आधा धड़ अलग हो गया।
उसके बाद वह शैतान जोर-जोर से गुस्से से चिल्लाते हुए बोलने लगा-धोखा, मुझसे धोखा किया तुमने।ये तुमने अच्छा नहीं किया सनाया ,अब देख मैं क्या करता हूँ और वह जोर-जोर से हँसने लगा।हँसते-हँसते वह एक छोटा सा आग का गोला बन गया और वहाँ से ऊपर उठकर सनाया के पापा के खोपड़ी के पास जाकर उसके अन्दर घुस गया, देखते-देखते वह खोपड़ी जिन्दा होकर पूरा जीता-जागता इन्सान बनकर जोर-जोर से हंसते हुए बोला अब बताओ सनाया डियर अब क्या करोगी,मुझे कैसे मारोगी हा हा हा,एनी वे मैं अब बताता हूँ अपनी मौत का राज....उ हूँ बताने का मन तो नहीं करता, पर तुम्हारे लिए कुछ भी डीयर माई लव।
सुनो ये तुम्हारे डियर पिताजी जो अभी मेहमान हैं हमारे और जिनके अन्दर मैं अभी बैठा हुआ हूँ मुझको खत्म करने के लिए तुम्हें अपने प्यारे पापाजी को मार डालना होगा माई लव।इन्हें पूरी तरह से फाड़ डालना होगा तभी तो मैं सूँ सूँ सूँ ऊपर की ओर चला जाऊँगा।
सनाया यह सब सुनकर चौंक सी गयी और चुकने लगी नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते, तुम ऐसा नहीं कर सकते, मैं अपने पापा को कैसे मार डाल सकती हूँ और वो रोने लगी। इसके कुछ देर के बाद सनाया को अपने कान में एक चिर परिचित सी आवाज सुनाई दी। सनाया बेटी तुम्हें इसे मारने के लिए ऐसा करना होगा। मुझे मार डालो बेटी क्योंकि मैं मर तो पहले गया हूँ, यह तो केवल मेरी रूह है,इसे अब मुक्त कर दो बेटे।
सनाया ने कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकती, परन्तु पापा के अन्तिम बार समझाने पर वो तैयार हो गयी। तब तक वो शैतान भी उनके शरीर में आ चुका था।
आते ही उसने सनाया से पूछा कि तो क्या डिसाईड किया आपने मैडम। उसके इतना कहते ही सनाया पूरे गुस्से से उस शरीर पर झपटी और उसे बीच से अपने नाखूनों से फाड़ते चली गयी, अन्त में इस भयावह रात का अन्त होने को हुआ और उस शरीर के फटने के बाद साया ने देखा कि एक लड़का दर्द से कराह रहा है, सनाया ने जब उसे देखा तो वो चौंक गयी और बोल उठी रॉनित ये तुम थे।
उस लड़के ने जवाब दिया हाँ सनाया ये मैं ही था तुझे न पाने के दर्द ने मुझे इस कदर तोड़ कर रख दिया कि मैं बर्दाश्त न कर पाया और मैंने अपनी जान दे दी तब से अबतक भटका हूँ मैं,उस पुराने बूढ़े पीपल में रहा हूँ मैं।
सनाया बस एक बार बस अन्त में तो एक बार बोल दो आई लव यू ताकि अब मुझे मुक्ति मिल जाए।
सनाया को उस समय न जाने क्या हुआ और उसने बरबस ही उस लड़के को कह दिया राॅनित आई लव यू। सनाया के ये कहते ही उसने धन्यवाद कहा और उसके बाद वो महल फूट गया और साया बिल्कुल अपने दरवाजे के पास जाकर गिर गयी।
कुछ साल बाद.....
सनाया अपने साथ होनेवाली उस घटना को आज भी नहीं भूल पाई है और उसके सीने और हाथ पर उसके उस पागल प्रेमी के भेंटस्वरुप वो निशान आज भी उसके ज़हन में ताजा हैं। वो भूल भी कैसे सकती है इस घटना को आखिर इसी घटना में तो उसने पापा को पुनः खो दिया था।

