अनोखा दुश्मन
अनोखा दुश्मन
जीवन द्रुतमान गति से गतिमान थी,चहुँओर आनंद ही आनंद दृश्यमान था।परन्तु,जीवन सहसा अवरोधित हो उठी।खिलखिलाती गलियाँ वीरान हो चुकी थी।न जाने किसकी नज़र लग गयी थी हमारे जनजीवन को।सदैव प्रसन्न रहने वाली वसुंधरा आज सहसा क्यों क्रोधित हो उठी थी,यही सोच रहा था मैं।
पात्र:- भारत,रूबी जी,सुबोध जी,आनंद ,रंजीत व सुरेश जी
भारत:- "आज करीब 2 महीने से घर में बंद हूँ,बाहर जाना तो क्या देखना तक भी दण्डधारकों को मेरा रास नहीं आ रहा था,तभी तो बाहर झाँक लेने भर पर भी, दण्डधारक दण्डताड़क बने प्रस्तुत हो रहे थे।क्या करूँ हाय न विद्यालय ही जाना हो पा रहा था न ही कोई सम्मेलन,इसलिए कवि हृदय ही दहाड़ उठा :-बंद पड़े हैं स्कूल रे भैया,बंद पड़े हैं स्कूल।"
मन तो लगाना ही था,इसलिए मन में विचार आया सातवीं कक्षा को हिन्दी पढ़ा दी जाए।तो भैया इहे सोचकर फोनवा हम घूमाय लिहै.. काॅल काॅन्फ्रेन्स में बच्चों को लेने का विचार कर पहला फोन रिया को लगा दिया,फोन लगते ही...
"हैलो क्या रिया बेटे बात कर रहे हो!"
मधु जी का स्वर:-"नहीं सर,मैं रिया की मम्मी हूँ,क्या बताऊँ सर इस अनोखे दुश्मन ने जीवन अस्त-व्यस्त कर रखा है,सम्पूर्ण जीवन प्रणाली पर तो इसने असरकिया ही था,और.. अब ..शिक्षा व्यवस्था ठप-सी हो गयी..."
भारत:- "हूँ ये तो है,आपने सही कहा,परन्तु मनुष्य को सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए,पर मैं शिक्षा व्यवस्था को सहायता पहुँचाने हेतु इतना अवश्य करने का प्रयत्न करूँगा कि मैं अपने विषय को बच्चों को अवश्य पढ़ा दे सकूँ।पर नेटवर्क माई को कुछ ओरे मंजूर था,फोनवे कट गया।जब कटा तो समझ आया कि मैं जहाँ लटका हुआ था,वहाँ से नीचे उतर गया हूँ।फिर वहाँ चढ़कर पुनः मैंने जिज्ञासु को फोन लगाया...
पुनः जिज्ञासु की मम्मी ने ही फोन उठाया...
मधु जी:- "हैलो सर,मैं फिर से जिज्ञासु की मम्मी ही बात कर रही हूँ,शायद आपका फोन कट गया था.."
भारत सर मन में:-"अब आपको कैसे बताऊँ कि कटा नहीं था,किसी अदृश्य शक्ति ने काट दिया था।"
भारत सर:-"खैर ई नेटवर्क माता ने एक काम में सहायता की अब पेड़ पर नहीं,दीवार पर ही लटकना होता है यहाँ सज्जनों!"
पुनः समय बिना गँवाते ही जिज्ञासु की मम्मी को जिज्ञासु को बुलाने को कहकर मैंने उन्हें होल्ड करते हुए सुबोध जी से संपर्क साधा:-
सुबोध जी:-" हैलो!क्या विनीत बेटे बात कर रहे हो",
"नहीं सर मैं उसका पिता सुरेश जी बात कर रहा हूँ।क्या सर बच्चों की पढ़ाई के लिए कुछ किया जाए,दिनभर शैतानी करता रहता है ये. .."
भारत:-"हूँ ये तो बात सही कही आपने कि शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने की आवश्यकता है।"
सूत्रधार:- सुबोध जी को विनीत को बुलाने को कहकर उन्हें होल्ड करा दिया और अगला संपर्क सुरेश जी से स्थापित करने की कोशिश की और कामयाब ही हुआ था कि सुरेश जी ने विशेष के बारे में जो बात बताई,उसे सुन मैं अचंभित ही रह गया..
सुरेश जी का स्वर:-"हैलो भारत सर हैं क्या!"
भारत:-"जी"
सुरेश जी का स्वर:-"क्या बताऊँ और कैसे बताऊँ सर कि इस लड़के ने कैसे नाक में दम कर रखा है,मैंने एक दिन विचार किया कि जरा देखूँ मेरा राजदुलारा कैसे पढ़ाई करता है,इसलिए बिना दरवाजे को जोर से धक्का देने के बदले हल्के से खोला,तो देखता क्या हूँ कि आपकी आवाज तो आ रही है,जब आपने पूछा सबलोग विशेषण की परिभाषा समझ गए,तो इसने भी हाँ कर दिया आपका।परन्तु काॅन्फ्रेन्स में आप किसी को देख नहीं सकते,इसका फायदा उठाकर हमारे राजदुलारे फ्री-फायर गैम का साऊन्ड म्यूट कर गैम खेल रहे थे।"
तो मैं यह सुन अचम्भित हो गया,पर बीच में ही एक अनजान नंबर से काॅल आने के कारण उन्हें होल्ड कराकर फोन रिसीव किया।
भारत:-"हैलो! क्या अनमोल बेटे बात कर रहे हो।"
रंजीत जी:-"नहीं सर,मैं उसका पापा रंजीत बात कर रहा हूँ,क्या सर!कुछ पढ़ाई ..."
दूसरी तरफ से गूँजता स्वर( आनंद):"-हैलो !क्या भारत सर जी बात कर रहे हैं।"मुझे समझते देर न लगी कि यह मेरा प्यारा विद्यार्थी आनंद है।
पर उसने जब मेरी सहमति जानी, तो उसने जब ये बताया कि आपके प्रिय मित्र अभिनव सर को साँस लेने में तकलीफ हो रही है,तेज बुखार,बार-बार उल्टी हो रही है तो फिर मुझे समझते देर न लगी कि...
भारत:- "ओ मेरे मित्र अभिनव को अनोखे दुश्मन ने अपने गिरफ्त में ले लिया है।"