लेखिका के हाथ में उनकी रचना थमाते हुए , लेखक महोदय हँसते-हँसते कुर्सी से उठ गये। लेखिका के हाथ में उनकी रचना थमाते हुए , लेखक महोदय हँसते-हँसते कुर्सी से उठ गये।
परिवार का सहयोग न पाकर वह घुटती थी और यहाँ तक की सबकुछ छोड़ने का फैसला भी कर लेती है परिवार का सहयोग न पाकर वह घुटती थी और यहाँ तक की सबकुछ छोड़ने का फैसला भी कर लेती...
उन मालियों का अपने ही उन फूलों पर कोई अधिकार नही रहता। उन मालियों का अपने ही उन फूलों पर कोई अधिकार नही रहता।
उसकी लिखी हुई किताबे छपती है। उसके लिए आज भी ये सपना है। उसकी लिखी हुई किताबे छपती है। उसके लिए आज भी ये सपना है।
जाने कितनी दुआएँ ज्योति को दे जाती हैं, जो अब तक उसके अन्तर्मन को रोशन करती रहती है... जाने कितनी दुआएँ ज्योति को दे जाती हैं, जो अब तक उसके अन्तर्मन को रोशन करती रहती...
और मैं तो अब उसकी लिखी किताबों के इंडेक्स भी ४ बार पढ़ता हूँ। और मैं तो अब उसकी लिखी किताबों के इंडेक्स भी ४ बार पढ़ता हूँ।