लेखक: अलेक्सान्द्र रास्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक: अलेक्सान्द्र रास्किन ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
एक झन्नाटेदार थप्पड़ मेरे सर पर लगा एक झन्नाटेदार थप्पड़ मेरे सर पर लगा
परिवार का सहयोग न पाकर वह घुटती थी और यहाँ तक की सबकुछ छोड़ने का फैसला भी कर लेती है परिवार का सहयोग न पाकर वह घुटती थी और यहाँ तक की सबकुछ छोड़ने का फैसला भी कर लेती...
बाबूजी, मुझे अभी शादी नहीं करनी। अभी मेरी उम्र ही क्या है। मुझे और आगे पढ़ना है बाबूजी, मुझे अभी शादी नहीं करनी। अभी मेरी उम्र ही क्या है। मुझे और आगे पढ़ना है
किताब पढ़ना बुरी बात नहीं है, मगर कुछ बातों को जिंदगी से जोड़ लेना गलत बात है। किताब पढ़ना बुरी बात नहीं है, मगर कुछ बातों को जिंदगी से जोड़ लेना गलत बात है।
नैना जी अपने बेटा -बेटी की परवरिश करने के बाद अपने पोता-पोती में उलझ गई। नैना जी अपने बेटा -बेटी की परवरिश करने के बाद अपने पोता-पोती में उलझ गई।