उसके अब्बू की आँखों से भी मज़हब का धुंधलका छंट रहा था। उसके अब्बू की आँखों से भी मज़हब का धुंधलका छंट रहा था।
उसकी लिखी हुई किताबे छपती है। उसके लिए आज भी ये सपना है। उसकी लिखी हुई किताबे छपती है। उसके लिए आज भी ये सपना है।
विकास भी अपनी पत्नी की बातों से सहमत थे। विकास भी अपनी पत्नी की बातों से सहमत थे।
हाउसफुल का बोर्ड लगाने की जरूरत ना पड़ेगी और तुम भी आराम से अपना काम कर सकोगे। हाउसफुल का बोर्ड लगाने की जरूरत ना पड़ेगी और तुम भी आराम से अपना काम कर सकोगे।
लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
आया नहीं लाया गया। पार्क में बेहोश होने पर दोस्त भर्ती करवा गए आया नहीं लाया गया। पार्क में बेहोश होने पर दोस्त भर्ती करवा गए