मुझे लिखना सुकून देता है।
Share with friendsबस माधुरी ने आव न देखा ताव और उसने नाद में अपना मुंह डाल दिया।और सपड़-सपड़ माड़ पीने लग
Submitted on 05 Aug, 2020 at 12:52 PM
बहुत ही खूबसूरत है ये प्रकृति का नज़ारा इसमें समाया है जन्नत का हर एक नज़ारा।
Submitted on 16 Jul, 2020 at 09:46 AM
कुमुद पर मां छिन्नमस्तिका आ गईं।यह ख़बर जंगल के आग की तरह पूरे हजारीबाग में फैल गई।
Submitted on 09 Jul, 2020 at 09:08 AM
उसने आव देखा न ताव पूरे जोर से उसकी गर्दन पर दरांती मार दी
Submitted on 02 Jul, 2020 at 09:35 AM
सही कहा न चौधरी ? और एक भेद भरी मुस्कान लिए वो घर चल दी।
Submitted on 25 Jun, 2020 at 10:14 AM
शालिनी एक वकील थी उसने उसे तत्काल पुलिस थाना चलने को कहा पर तिलवा न मानी
Submitted on 18 Jun, 2020 at 08:55 AM
अब दोनों ने परीक्षा दी और रिजल्ट का इंतज़ार होने लगा
Submitted on 11 Jun, 2020 at 06:16 AM
अगर तीस साल पहले तुम्हारे पापा और मैंने यही सोचा होता तो आज तुम हमारे राजदुलारे न होते।
Submitted on 28 May, 2020 at 04:45 AM
एक दूसरे से गुत्थमगुत्था होकर मारपीट करते थे वह सब छरहरापन गायब हो गया था।
Submitted on 21 May, 2020 at 04:48 AM
हमारे गाँव वाले भाईयों ने यही तय किया है। आज रात को पांव-पैदल ही निकल जायेंगे।"
Submitted on 14 May, 2020 at 04:55 AM
बार-बार इनका यह कहना कि माँ को अब घर भेज दो, मुझे तिलमिलाने के लिए काफी था।
Submitted on 30 Apr, 2020 at 10:21 AM
लेकिन अचानक सब पर गाज गिरी उनके पति को कोरोना की बिमारी लग चुकी थी।
Submitted on 09 Apr, 2020 at 05:23 AM
भैया यह कहते हुए दुकान से निकले," साले ने मुझसे ज्यादा पैसा लिया था।
Submitted on 19 Mar, 2020 at 05:29 AM
मैं इसी घर को वृद्धाश्रम में तब्दील कर दूँगी।और नाम रखूंगी *आसरा* क्योंकि घर मेरा है
Submitted on 12 Mar, 2020 at 08:36 AM
"तुम्हारी दोस्त कह रही है कि इसकी माँ ने अपने लिए वृद्धाश्रम में कमरा बुक करा लिया है।
Submitted on 05 Mar, 2020 at 07:24 AM
लक्ष्मी ने पके हुए एक-एक केला सबको दिया और खुद भी दो -तीन केले खा गई।
Submitted on 13 Feb, 2020 at 06:51 AM
समुची दुनिया घूमने के बाद भी उसका मन अपने उस विकासहीन गाँव में ही लगा हुआ था
Submitted on 30 Jan, 2020 at 07:20 AM
अपना कर्मफल सबको यहीं भुगतना पड़ता है और संध्या वहीं भुगत रही थी।
Submitted on 23 Jan, 2020 at 09:32 AM
अच्छी नौकरी के बदौलत ही वह निम्मी और बच्चों को हिकारत की दृष्टि से देखता था
Submitted on 16 Jan, 2020 at 07:32 AM
उसके अब्बू की आँखों से भी मज़हब का धुंधलका छंट रहा था।
Submitted on 09 Jan, 2020 at 05:07 AM
आशा ने कहा अब बेटी बड़ी हो रही है तुम्हें थोड़ा संयम बरतना चाहिए।विजय ने पलट कर कहा -'
Submitted on 02 Jan, 2020 at 08:24 AM
एक दंगाई की माँ कहलाने से अच्छा है अपने घर के साथ खुद को भी फूंक देना।
Submitted on 26 Dec, 2019 at 05:57 AM
दोनों पति-पत्नी पुलिस बालों की तत्परता से बहुत प्रसन्न हुए।
Submitted on 12 Dec, 2019 at 08:21 AM
कुर्की करने वाले आ गये थे और एक-एक सामान घर से हटाया जा रहा था और बाबा नि:शब्द घर के सामने वाले टीले पर बैठकर खून के आंस...
Submitted on 28 Nov, 2019 at 03:25 AM
उनकी जिंदगी की यही सच्चाई थी कबतक अपनी जिंदगी को लेकर बिसुरतीं।
Submitted on 21 Nov, 2019 at 01:44 AM
जिस बेटे को पाकर ईश्वर को धन्यवाद देते उनका मुँह नहीं थकता था उस बेटे ने यह सिला दिया
Submitted on 14 Nov, 2019 at 03:23 AM
पंडित जी अपने जुगाड़ के फलित न होने पर जान बचाकर भाग रहे थे और सुखिया अपने जुगाड़ पर कल
Submitted on 31 Oct, 2019 at 07:08 AM
ये तीनों बेटियाँ मेरी नासा जाने को तैयार, सब आपके कारण, मैं सचमुच निःशब्द थी।
Submitted on 10 Oct, 2019 at 09:05 AM
सिंदूर की कीमत जान जायेंगे सहाय बाबू और हम दोनों ठठाकर हँस पड़े।
Submitted on 26 Sep, 2019 at 09:02 AM
आँखों से बहते आँसू को तिनका चला गया कहकर छुपा लेती है वो।
Submitted on 19 Sep, 2019 at 08:58 AM
पैरों पर थोड़ी सी तेजाब गिरा दी तो इतना तड़प रहा है लड़की की तो सारी जिंदगी बर्बाद हो जाती
Submitted on 12 Sep, 2019 at 05:53 AM
आज वह अपना सपना पूरा करने वृद्धाआश्रम आया था अपने लिये माँ लेने।
Submitted on 05 Sep, 2019 at 11:26 AM
फिर बताया इस गाँव के बड़े ठाकुर तुम्हारे पिता हैं और बड़ी ठकुराइन तुम्हारी माँ।
Submitted on 29 Aug, 2019 at 05:03 AM
महिला को जुड़वाँ बच्चे हुए, महिला ने बताया ये उसके पति और देवर के कुकर्म की वजह से हुआ है, उसने कहा ये अजब संयोग है उसकी...
Submitted on 22 Aug, 2019 at 06:00 AM
इधर दामाद जी एस्ट्रे न मिलने पर दुखी थे किसी से पूछ भी नहीं सकते थे ससुराल की बात थी खैर रात में खाना-पीना होने के बाद व...
Submitted on 15 Aug, 2019 at 09:52 AM
मैं उन्हें बटोरती हूँ, सहलाती हूँ, प्यार करती हूँ और अपनी नन्हीं सी बेटी को दिलासा देती हूँ क्या गलत करती हूँ ? और रोते ...
Submitted on 08 Aug, 2019 at 06:11 AM
नन्हीं फुलवा साहस की प्रतिक थी और वो गणमान्य लोग मुँह छुपा रहे थे कलई जो खूल गई थी उनकी।
Submitted on 01 Aug, 2019 at 11:26 AM