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Mridula Mishra

Children Stories Drama

3.8  

Mridula Mishra

Children Stories Drama

"हौसला"

"हौसला"

2 mins
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आज फिर माँ और पापा में जोरदार झगड़ा हुआ था।विन्नू अपने कमरे में चुप सांस रोके पड़ी थी।उसके समझ में ही नहीं आरहा था कि आखिर दोनों इतना झगड़ा क्यों करते हैं।माँ हर तरह से अच्छी है ,हम बच्चों पर ध्यान देती है। दादा-दादी का ख्याल रखती है।और खाना कितना स्वादिष्ट बनाती है और पापा के हर काम को दिल लगाकर करती है।पापा भी हम भाई-बहनों को कितना प्यार करते हैं, पास-पड़ोस में सब उनकी इज्जत करते हैं फिर ऐसी कौन सी बात है जो पापा मम्मी ‌के साथ यह व्यवहार करते हैं।? तभी पापा के चिल्लाने की आवाज़ आयी--गंवार कहीं की जाहिल -अनपढ़।बस विन्नू ने जान लिया कि मम्मी के अनपढ़ होने के कारण पापा अपनी बेइज्जती समझते हैं।विन्नू ने तय कर लिया कि अबसे वह मम्मी को पढा़येगी। सुबह होते ही मम्मी उसे उठाने आयी तो विन्नू की नजर माँ की आँखों पर गयी सुजी हुई आँखें। उसने माँ को कहा ,"मम्मी मुझे स्कूल का पाठ याद ही नहीं होता अगर, मैं स्कूल से आकर सब आपके साथ दुहरालूं तो आप दो घंटे का समय मेरे लिए निकाल सकेंगी?"मम्मी ने कहा,"जरूर मेरी बिटिया अच्छी पढ़ाई करे इसके लिए अपनी बेटी की मदद जरूर करुंगी।"

अगले दिन से दोनों माँ-बेटी ने कमर कस लिया चार क्लास की पढ़ाई तो एक साल में पूरी हो गई।विन्नू की मम्मी भी कुशाग्र बुद्धि की थीं । धीरे-धीरे दो-तीन साल के अंतराल में वो बहुत कुछ जान गयीं थी।अब विन्नू मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा देने बाली थी उसने अपनी माँ के लिए भी प्राइवेट परीक्षा का फार्म भर दिया,माँ को भी इसकी जानकारी दी। लेकिन वह पेपर देने कैसे जायेगी यह एक समस्या थी संयोग से दोनों की परीक्षा एक ही जगह पर पड़ी थी।विन्नू ने पापा को कहा,"पापा जब मैं पेपर देने जाउंगी तो आप वहां रहेंगे न"?पापा ने अॉफिस की समस्या बतायी तो विन्नू ने कहा फिर मम्मी को बोलिए मेरे साथ रहने के लिए।पापा ने हामी भर दी।अब दोनों ने परीक्षा दी और रिजल्ट का इंतज़ार होने लगा।

रिजल्ट निकला और दोनों माँ-बेटी की तस्वीर अखबार में छपी। शीर्षक था--- माँ और बेटी ने एक साथ बोर्ड परीक्षा दी बेटी ने टॉप किया तो माँ बस दो-चार नम्बरों से पीछे रहीं लेकिन उनके जज्बे को सलाम।

विन्नू के पापा को सभी पड़ोसी-रिश्तेदारों की बधाईयाँ मिल रही थी कि उन्होंने इस उम्र में पत्नी को पढा़या।विन्नू बहुत खुश थी उसकी मम्मी के सर से अनपढ़ होने की चादर हट गई थी।

विन्नू के पापा ऊपर से प्रसन्न और अंदर से लज्जित थे।



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