तलाक़
तलाक़


जज के सामने पूर्णा चुपचाप खड़ी थी उसके पति ने उसपर बच्चा न होने का इल्ज़ाम लगाकर उसे तलाक देने के लिए मुकदमा दायर किया था। दिनेश की मां भी पूर्णा के खिलाफ थी। सबने समझाया यहां तक कि वकील ने भी समझाया पर दिनेश किसी की नहीं सुन रहा था। पूर्णा से जज साहब ने पूछा तो पूर्णा ने कहा ,"जज साहब मेरे पति को मुझसे तलाक़ चाहिए ताकि ये दूसरी शादी कर सकें, जिससे इन्हें पिता बनने का सुख मिले।
लेकिन, मेरी एक शर्त है कि तलाक़ से पहले किसी अच्छे डॉक्टर से इनका चेक अप कराया जाय। तभी बीच में सास टपक पड़ी,"अरे मेरे बेटे में कोई खोट नहीं है, तेरे बाप ने एक बांझ लड़की को मेरे बेटे के पल्लू में बांध दिया। मेरा बेटा कोई चेकअप नहीं करायेगा।"क्यों नहीं करायेगें?" पूर्णा ने पलटकर सास से पूछा। मेरे तो हर चेकअप हो गये कहीं कोई कारण नहीं मिला कि मैं माँ न बन सकूँ पर, इनका भी वो चेकअप हो जिससे पता चले कि इनकी सारी नली सही काम करती है। क्योंकि जब आदमी नसबंदी कराता है तभी तो बच्चे नहीं होते।
अगर इनकी यह रिपोर्ट सही आई तो मैं तत्काल तलाक दे दूंगी। और अगर नहीं आती तो ये मुझे तलाक देंगे ताकि मैं अपनी नयी जिंदगी शुरू कर सकूँ।" जज साहब ने तत्काल सारे चेक अप कराने के आदेश दिनेश को दिये।
अब तो दिनेश के बुरे हाल थे। बड़े ना-नुकुर के बाद उसने सारे टेस्ट कराये और रिपोर्ट देखकर दिनेश और उसकी मां को सांप सूंघ गये। रिपोर्ट में साफ़-साफ़ लिखा था कि दिनेश बाप बनने में सक्षम नहीं हैं। पूर्णा ने सास को एकबार देखा जो मुंह नीचे किये चुप बैठी थीं।
पूर्णा ने एक व्यंग्यात्मक हँसी हँसकर दिनेश को देखा और कहा," कहा अब बांझ कौन है दिनेश?" फिर अदालत से बाहर आ गई।