'दत्तक'
'दत्तक'


प्रतिदिन के इस कलह किच-किच से शिखा बिल्कुल उब चुकी थी।पर मुँह बंद कर रखना उसकी मजबूरी थी। वैसे बहू साधना बहुत ही नेकदिल और घरेलू लड़की थी।प्रिसं उसे पसंद भी करता था दोनों एक साथ ही ऑफिस में काम करते थे। शिखा अपने पति की मौत के बाद एकदम टूट सी गई थी।जीवन तो जीना ही है इसलिए थोड़ा बहुत खा-पी लेती थी।ऐसे में जब उसके बेटे प्रिंस ने साधना से शादी करने की बात सामने रखी तो शिखा ने बस उसके मां-बाप की जानकारी लेनी चाही,हो गया हंगामा।प्रिंस उसे पुराने-जमाने की, दकियानूसी और न जाने क्या-क्या कहकर गुस्से में घर से बाहर चला गया। पहली बार शिखा को अपने पति के उपर गुस्सा आया। उसके मना करने के वावजूद लाड़-प्यार से प्रिसं को बिगाड़ दिया था उन्होंने।प्रिंस के जिद को बढ़ावा मिलता गया और वह बिल्कुल अडि़यल इंसान बन गया।पापा की मौत के बाद तो और भी उछ्रिंखल हो गया था। उससे कुछ बोलना अपना अपमान करवाना था।
एक दिन साधना से कोर्ट मैरिज कर साधना को लेकर वह घर आया। शिखा ने बहू का स्वागत भी उतनी ही सादगी से किया। धीरे-धीरे साधना ने सब बहुत कुशलता से सम्भाल लिया था। शिखा पर वह बहुत ध्यान देती। उसने शिखा
जी को बताया था कि वह नाना -नानी के यहां पली थी उनकी मृत्यु के बाद मामी के व्यवहार से तंग आकर वह नौकरी कर अलग रहने लगी थी।तभी प्रिंस से दोस्ती हुई और बात शादी तक आ पहुंची। शिखा उससे प्रसन्न रहती।
लेकिन प्रिंस की जो आदत थी वह कैसे जाती।रोज रात प्रिंस के कमरे से चीखने-चिल्लाने आवाजें आती और सुबह बहू का चेहरा सूजन और काले दागों से भरा नज़र आता।शिखा कल्पकर रह जाती।उनकी शादी को पाँच साल हो गये थे, अभी कोई बच्चा नहीं था।एक रात शिखा से न रहा गया ,सुबह होते ही उसने अपने बेटे-बहू से झगडे़ का कारण जानना चाहा ,बेटे ने कहा यह उसे बच्चा नहीं दे सकती अतः इससे तलाक़ लेकर वह दूसरी शादी करेगा।शिखा ने उससे एक बच्चा गोद लेने को कहा बस प्रिंस शुरू हो गया।और जिद पर आ गया नहीं उसे तो अपना ही बच्चा चाहिए जो उसका अपना, खून हो। फिर वह शिखा से बोला," ऐसे तो माँ हमेशा आप दकियानूसी बाली बात करती हैं फिर आज इतनी आधुनिकता क्यों?शायद बहू के मोह से।आज शिखा अपने को रोक न सकी उसने कहा",
प्रिंस!अगर तीस साल पहले तुम्हारे पापा और मैंने यही सोचा होता तो आज तुम हमारे राजदुलारे न होते।"प्रिंस सदमे में था।