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Ashish Kumar Trivedi

Horror

3  

Ashish Kumar Trivedi

Horror

वो काली रात

वो काली रात

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पिछले कई महीनों से कमल अपने गांव नहीं गया था। सड़क से सिर्फ दो घंटे का रास्ता है गांव का। इसलिए उसने प्लान बनाया था कि ऑफिस से जल्दी निकल कर वह मोटरसाइकिल से ही गांव के लिए निकल जाएगा। शाम तक पहुँच जाएगा। आज की रात बिता कर कल दोपहर बाद वापस लौट आएगा।


कमल गांव की ओर बढ़ रहा था। उसको ठंड लग रही थी। उसने अपनी मोटरसाइकिल किनारे खड़ी ‌की। डिक्की से निकाल कर अपनी जैकेट पहनी। वह चलने ही वाला था कि कमल को अचानक महसूस हुआ कि उसकी पलकें भारी हो रही हैं। उसके लिए मोटरसाइकिल चलाना कठिन हो रहा था। वह सड़क के किनारे रुक गया। 


उसने सोंचा था कि कुछ देर में जब तबीयत कुछ ठीक होगी वह आगे बढ़ जाएगा। पर उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। उसने सोचा कि फोन करके किसी को मदद के लिए बुला ले। पर उसके मोबाइल की बैटरी डिस्चार्ज हो गई थी। 


आज शुरू से ही सब कुछ गड़बड़ हो गया। जब वह बॉस से यह कहने के लिए गया कि उसे गांव जाना है। वह जल्दी निकलेगा तो बॉस ने उसे एक पार्सल देते हुए कहा कि रास्ते में उनके एक रिश्तेदार को यह देते हुए चला जाए। 


बॉस ने उसे लोकेशन समझाई थी फिर भी वह भटक गया। रिश्तेदार का घर तलाशने में वक्त लग गया। खैर किसी तरह से रिश्तेदार का घर ढूंढ कर उन्हें पार्सल दिया। उसके बाद वह गांव जाने वाले हाईवे की तरफ बढ़ा। 


हाइवे पर पहुँच कर उसे तसल्ली हुई कि अब वह गांव के रास्ते पर है। अभी कोई आधा घंटा ही वह हाइवे पर आगे बढ़ा होगा कि अचानक मोटरसाइकिल में कुछ खराबी आ गई। वह रास्ते में खड़ा था। समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। उसने एक दूसरे मोटरसाइकिल सवार को रोक कर पूँछा कि आसपास कोई मैकेनिक मिलेगा। उसने कहा कि कुछ आगे जाकर हाइवे से अंदर को एक सड़क जाती है। उस पर उतर कर कुछ अंदर जाने पर मैकेनिक मिल जाएगा।


कमल मोटरसाइकिल घसीटते हुए किसी तरह मैकेनिक के पास पहुँचा। करीब आधे घंटे की मेहनत के बाद मोटरसाइकिल ठीक हो पाई।‌ अंधेरा होने लगा था। कमल के मन में आया कि अच्छा हो कि वह घर लौट जाए। कल सुबह जल्दी निकल लेगा। फिर दूसरा ख्याल आया कि जितनी देर वापस जाने में लगाएगा उतने में आगे बढ़ जाएगा। उसने आगे बढ़ने का निश्चय किया।‌ 


अब एक बार फिर उसकी तबीयत खराब हो जाने की वजह से उसकी यात्रा में व्यवधान आ गया था। वह अब तय नहीं कर पा रहा था कि क्या करे। मोटरसाइकिल चलाने की स्थिति में वह था नहीं। मदद मिलने की संभावना नहीं थी। वह बहुत परेशान था।


वह अपनी मोटरसाइकिल पर टिक कर बैठा था। तभी एक बोलैरो उससे कुछ आगे जाकर रुक गई। उसमें से एक आदमी उतरा। उसके पास आकर उसने पूँछा कि, ‘क्या उसे कुछ मदद चाहिए।’ कमल ने उसे सारी बात बता दी। कमल ने उससे कहा कि, ‘यदि वह अपना फोन दे दे तो अपने किसी दोस्त को मदद के लिए बुला सकता है।’


उस आदमी ने अपना नाम वैभव बताया। उसने कहा कि वह फोन दे देगा। पर रात के नौ बज रहे हैं। मदद करने वाले को आने में देर लगेगी। वैभव ने कहा कि पास ही उसका फार्म हाउस है। अच्छा होगा कि वह उसके साथ चले। वह अकेला रहता है। रात में आराम करे। सुबह उठ कर अपने गांव चला जाए। कमल को यह सुझाव ठीक लगा। पर उसे अपनी मोटरसाइकिल की फ़िक्र थी। इस समस्या का निदान भी वैभव ने बता दिया।


कमल बोलैरो में वैभव के साथ चला गया। वैभव का ड्राइवर मोटरसाइकिल लेकर फार्म हाउस पहुँच गया। 


फार्म हाउस पहुँच कर वैभव कुछ देर कमल से बात करता रहा। उसके बाद थोड़ा खाना खाकर वैभव के बताए कमरे में जाकर सो गया।

कमल की आँख खुली। उसने इधर उधर देखा। वह अस्पताल में था। कमल ने देखा कि उसका छोटा भाई विमल सामने खड़ा है। 


"भगवान का शुक्र है कि तुम्हें होश आ गया।"


विमल भाग कर डॉक्टर को बुला लाया। डॉक्टर ने जाँच कर कहा,

"अब ये ठीक हैं।"


कमल कुछ समझ नहीं पा रहा था कि वह यहाँ कैसे आ गया। वह भौंचक सा इधर उधर देख रहा था। डॉक्टर के जाने के बाद उसने विमल से पूँछा।


"मैं यहाँ कैसे आ गया ?"


"भैया भगवान की दया थी। तुमने बेहोश होने से पहले मुझे फोन कर अपने एक्सीडेंट के बारे में बता दिया। हम फौरन अपने दोस्तों के साथ वहाँ पहुँच गए। तुम्हें अस्पताल में लाकर भर्ती कराया। बड़ी मुश्किल से रात कटी भैया।"


कमल को यकीन नहीं हो रहा था। उसने कहा,

"ऐसा कैसे हो सकता है ? मेरे फ़ोन की बैटरी तो डिस्चार्ज हो गई थी। मैं तुम्हें कैसे फोन करूँगा। मैं तो कल रात उस भले आदमी के घर सोया था जिसने मेरी मदद की। पता नहीं यहाँ कैसे आ गया ?"


"कैसी बातें करते हो भैया। हम तुमको एक्सीडेंट वाली जगह से यहाँ लाए हैं। ये देखो तुम्हारी कॉल दिखा रहा है।"


विमल ने अपना फोन दिखाया। कॉल डिटेल के हिसाब से उसने कल रात पौने दस बजे विमल को फोन किया था। उसी समय जब वह सोने गया था।


"भैया परेशान ना हो। आराम करो। एक्सीडेंट की चोट के कारण तुम ये सब सोच रहे हो। मैं डॉक्टर से जाकर बात करता हूँ।"


विमल डॉक्टर के पास चला गया। 

कमल समझ नहीं पा रहा था कि यह सब हुआ कैसे ? उसने दिमाग पर ज़ोर डाल कर बीती रात में क्या हुआ याद करने का प्रयास किया। वैभव का मिलना, अपने फार्म हाउस ले जाना, उसका खाना खाकर सो जाना, सब कुछ उसे याद था। पर विमल कुछ और बता रहा था। उसने भी आँखें खोलीं तो अस्पताल में था। 

सब बहुत उलझा हुआ था। समझ से परे।


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