Ashish Kumar Trivedi

Abstract

4.5  

Ashish Kumar Trivedi

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नन्ही परी

नन्ही परी

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मंजुला अपनी सोती हुई बेटी परी को देख रही थी। सोती हुई मासूम परी को देखकर मंजुला को उस पर प्यार आ रहा था। उसे निहारते हुए अचानक ही उसकी आँखों में आंसू आ गए। वह दो दिनों से उसे परेशान कर रहा था। कहता था कि वह परी उसको दे दे। मंजुला ने कई कष्ट सहकर अपनी बेटी को जन्म दिया था। पाँच साल तक उसकी परवरिश की थी। वह ऐसा करने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी।

उसने घरवालों की मर्ज़ी के बिना भागकर शादी की थी। पर अपने पति को पहचानने में उससे बहुत बड़ी गलती हुई थी। उसकी असलियत का पता चला तब वह परी को जन्म दे चुकी थी। उसने हिम्मत की और उसके घर से भाग गई। परिवार से सहयोग की उम्मीद नहीं थी। एक दोस्त की मदद मिली। उसने आसरा दिया। उसके बाद मंजुला ने नौकरी शुरू कर दी। अपने आप को संभाल लिया। 

परी अब बड़ी हो गई थी। मंजुला का मददगार दोस्त उसे बेटी की तरह चाहता था। परी भी उसे अपना पापा समझती थी। मंजुला खुश थी। लेकिन दो दिन पहले ही उसने परी को लेने की बात कही। मंजुला परेशान हो गई थी।

कॉलबेल बजी। मंजुला का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। वह उठी बाहर जाने से पहले कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। दरवाज़ा खोला तो उसका मददगार दोस्त सामने खड़ा था। बिना कुछ कहे वह उसे परे ढकेल कर अंदर आ गया। उसने कहा,

"मुझे परी चाहिए। मैंने उसे बेटी का प्यार दिया है। तुम्हारी इतनी मदद की। तुम्हें तो तुम्हारे घरवाले रखने को तैयार नहीं थे। मैंने पनाह दी। अपने ऑफिस में नौकरी दी।"

मंजुला ने गुस्से से कहा,

"अपनी मदद के बदले अब मेरी बच्ची चाहते हो ऐसा नहीं होगा। मैं उसे लेकर दूर चली जाऊँगी।"

"तुम्हें क्या लगता है कि कहीं भी जाकर तुम आराम से रहने लगोगी। एक अकेली औरत के लिए दुनिया भूखे भेड़िए की तरह है। पहले मैंने तुम्हारी मदद कर दी थी। इसलिए तुम्हें लगता है कि सब आसान है। तब अगर मैं ना होता तो तुम किसी बदनाम गली में अपनी बेटी को पाल रही होती।"

मंजुला गुस्से से उसे घूर रही थी। उसके दोस्त ने कहा,

"क्या दे पाओगी तुम परी को। मेरे घर पर पलेगी तो उसे सब कुछ मिलेगा। तुम्हारी भी व्यवस्था कर दूंँगा। मेरी पत्नी हमारे बच्चे को खोने के बाद बीमार पड़ गई है। उसे बचाने का यही रास्ता है। इसलिए कह रहा हूँ कि परी मुझे दे दो। यह समझने की भूल मत करना कि तुम मेरे खिलाफ कुछ कर पाओगी।"

यह कहकर वह परी के कमरे की तरफ बढ़ा। मंजुला बीच में आकर खड़ी हो गई। उसने मंजुला को धक्का देकर गिरा दिया। दरवाज़ा खोलकर अंदर चला गया। उसने सोती हुई परी को गोद में उठा लिया और बाहर जाने लगा। उसके सर पर किसी भारी चीज़ से प्रहार हुआ। परी उसके हाथ से निकल कर गिर गई। वह रोने लगी। 

मंजुला ने उसे उठाया और तेज़ कदमों से पुलिस स्टेशन की तरफ चल दी।


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