घर पर मातम सा पसरा था। खाना भी बना पर किसी से खाया न गया। घर पर मातम सा पसरा था। खाना भी बना पर किसी से खाया न गया।
लेखक: विक्टर द्रागून्स्कीअनु. : आ. चारुमति रामदास लेखक: विक्टर द्रागून्स्कीअनु. : आ. चारुमति रामदास
“दादी भगवान ने बेटे बहू को छीन लिया फिर भी तुम्हारी श्रद्धा नही जाती क्या?” दादी ने कहा कि, “बेटे श्... “दादी भगवान ने बेटे बहू को छीन लिया फिर भी तुम्हारी श्रद्धा नही जाती क्या?” दादी...
जीवन में ना जाने कैसी विचित्र घटनाएं घटती है, जिसके होने का कारण कोई नहीं बता सकता... लेकिन वह घटनाए... जीवन में ना जाने कैसी विचित्र घटनाएं घटती है, जिसके होने का कारण कोई नहीं बता सक...