Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Yashwant Rathore

Horror

3.7  

Yashwant Rathore

Horror

वो घाटी की रात

वो घाटी की रात

3 mins
256


बात 1991 की हैं। ब्यावर से चित्तौड़ जाने के लिए, ब्यावर की घाटी पार करके विजयनगर जाना पड़ता था। यह घाटी 15 किलोमीटर की थी, पतली सी सड़क, गाड़ी को घुमाना भी संभव नहीं था। लूटमार के डर से ये रास्ता अक्सर वीरान रहता था, पर ये शॉर्टकट था, दूसरे रास्ते 50 किलोमीटर का घुमाव डाल देते थे।

विक्रम मामा कुछ काम से ब्यावर आये थे और 8 बज गयी थी, शॉर्टकट लेने के अलावा कोई चारा ना था, नहीं तो घर पहुंचते पहुँचते 1 बज जाएगी।

वैसे भी वो हिम्मती इंसान हैं, उन्होंने घाटी का रास्ता पकड़ लिया। घाटी भूतों की कहानियों के लिए भी मशहूर थी। अक्सर ड्राइवर लोग कभी बूढे आदमी, कभी औरत को देखने का दावा करते थे। मामा इन सब बातों को नहीं मानते थे, वो कहते थे, जब अपनी आँखों से देखूंगा, तभी मानूँगा। मामा को भूत से ज्यादा इस सुनसान रास्ते में चोर डाकुओं का ज्यादा डर था। इस जगह के कुछ लोग ही डकैती किया करते थे और यहां की लोकल जनता को परेशान नहीं करते थे। यही सोच मामा ने भी तेज़ आवाज़ में अपनी जीप में गाने लगा दिए ताकी कोई लुटेरा हो तो उसे लगे कि कोई लोकल निवासी है।

8:30 हो चुके थे, अंधेरा हो चुका था, घाटी पूरी सुनसान थी, कोई ट्रक भी नहीं चल रहे थे। घाटी के आसपास पहले बहुत गाँव थे पर 1972 की लड़ाई में पाकिस्तान ने काफी गोले बरसाए थे। फाइटर प्लेन के कुछ गोलो से यहां के 2,3 गाँव पूरी तरह नष्ट हो गए थे। सैंकड़ों लोग मारे गए, जिसमे बूढ़े और बच्चे भी थे। उन्ही की कहानियां लोग सुनाते थे कि वो अब भूत बन गए हैं। खुली जीप में ठंडी हवा आर पार हो रही थी। नील कमल मूवी का प्यार गाना बहुत मधुर लग रहा था।

" आजा...आजा...तुझ को पुकारे मेरा प्यार, में तो।"

जीप की रोशनी बस रोड को रोशन कर रही थी। अमावस की रात पूरी काली थी, घाटी में रोड लाइट्स भी न थी। तभी अचानक राजस्थानी कपड़े पहनी औरत जीप से कुछ दूरी पर सामने खड़ी दिखाई दी। एक तरफ घाटी की खाई और दूसरी तरफ पहाड़ था और गाड़ी की स्पीड भी ज्यादा थी। मामा ने जोर से हॉर्न बजाया और ब्रेक दिए, पर औरत वही खड़ी थी। मामा ने स्टेरिंग कस के पकड़ लिया।

धड़ाम ...टक्कर हो गयी। जीप औरत के ऊपर से निकल गयी। जीप रुकते ही मामा दौड़ते हुये पीछे आये, ताकि औरत को हॉस्पिटल पहुंचाया जा सके।

पर वहां कोई औरत नहीं थी। दौड़ के जीप से टोर्च लाये और देखा तो खून का कोई निशान भी नहीं। घाटी में ज्यादा रुकना ठीक नहीं, ये सोच वो रवाना हो गए। उनको समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ। संभलने के कुछ देर बाद , उन्होंने ध्यान हटाने के लिए कैसेट की तरफ हाथ बढ़ाया तो उनके हाथ पर लुगड़ी( ओढ़नी) का कपड़ा टच हुआ। देखा तो पास की सीट पे वो ही औरत बैठी है। एक पल के लिए सब सुन्न हो गया। उन्होंने फटाक से गर्दन मोड़ी और बस रोड को देखने लगे गए। उन्हें नहीं पता था अब क्या होगा। वो बस गाड़ी चलाये जा रहे थे। अपनी सांसे, धड़कन और डर को उन्होंने संभाल रखा था।

वो ओढ़नी उड़ उड़ कर कभी उनके हाथ पे लगती तो कभी चेहरे पे। उन्होंने अपनी नजर बस रोड पर रखी और गाड़ी भगाये रखी। घाटी पार होते ही उन्हें लगा अब कोई नहीं है पास में। कुछ देर निश्चित होने के बाद ही उन्होंने साइड में देखा, तो कोई न था। जल्दी से उन्होंने हनुमान चालीसा की कैसेट लगाई।

आज भी जब वो ये कहानी सुनाते है तो हम लोगों के भी रौंगटे खड़े हो जाते हैं।



Rate this content
Log in

More hindi story from Yashwant Rathore

Similar hindi story from Horror