Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Shishpal Chiniya

Abstract

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Shishpal Chiniya

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वो दिन

वो दिन

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10 मई ठीक से 19 साल पहले मेरे घर में बहुत शांति हुआ करती थी।लेकिन आज के दिन जब 2001 को मेरा अवतार हुआ। तो वो शांति अशान्ति में बदल गयी। और कोलाहल का रूप ले लिया ।लेकिन मेरे माँ और पापा के लिए उनकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था।

पता नहीँ मुझे किस तरह सम्भाला होगा लेकिन आप दोनों का कर्ज में कभी उतार नहीं पाउँगाऔर जो मुझे बेपनाह मोह्हबत करते है। शायद में आपको कुछ चुका पाऊँ।मैं आज तक कभी पापा को कह नहीं पाया कि मैं आपसे कितना प्यार करता हूँ। वो शायद इसलिये कि हमारे बीच की जो डिस्टेंस हैं वो हमें पास आने से रोकती है।मैंने कई बार अपनी माँ से कहा है कि माँ मैं आपसे बहूत प्यार करता हूँ।लेकिन कभी पापा से नहीं कह पाया और शायद कभी जिंदगी में कह पाऊँ।

बस मेरे बनाये रब दुआ है कि मेरे असली रब को कभी आंसू न देना ओर उसकी मैं हर संभव कोशिश करता हूँ।

आपने कैसे और किन हालातों मैं आपने मेरी खुशी की खातिर अपने सपनों को दबाते गए।और मेरे हर सपने की खातिर आप जिंदगी भर दुआ करते हुए आगे बढ़ाते गए।

मुझे नहीं पता मैं जिंदगी में कुछ कर पाऊंगा या नहीं लेकिन जिस दिन कभी आपका जिक्र होगा तो मेरा वादा है आपसे सम्मान से होगा।


वो मेरे जीवन के मसीहा थे

ये हम बताया नहीं करते

वो छुपकर फर्ज निभाते

कभी जताया नहीं करतेै थे।



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