Jyoti Dhankhar

Abstract

4.4  

Jyoti Dhankhar

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वो औरत जो अब हैं रानी मौसी

वो औरत जो अब हैं रानी मौसी

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वो औरत अधनंगे बदन सड़कों पर कभी इधर कभी उधर दौड़ती अक्सर मुझे दिख जाया करती। मैली कुचेली एक चादर लपेटे कभी जोर जोर से हंसती कभी एक कोने में सहमी सी बैठी सुबकती हुई।

मैं अक्सर वहीं से गुजरा करता अपने कॉलेज जाने के लिए, मेरे मन में हमेशा एक सवाल कोंधता की कौन है ये औरत ?

एक दिन वहीं खड़े छोले कुलचे वाले से जब मैं अपनी प्लेट बनवा रहा था वो औरत भी आ गई और कभी मुझे कभी खाने की ओर लगातार देखे जा रही थी मैंने ठेले वाले को बोला की भैया एक प्लेट इनको भी बना के दे दो।

भैया ने उस औरत को भी खाने की प्लेट दे दी और कहने लगा कि साहब इनको हर रोज कोई न कोई खाना खिला ही देता है। मैने पूछा की भैया आप जानते हैं कि ये कौन हैं ?

भैया ने कहा कि कुछ महीनों पहले इनको रात में कोई यहां पटक के भाग गया और ये तब से यहीं है और कुछ बोलती नहीं हैं।

मैं जानकारी लेके आगे बढ़ गया और कालेज में जा कर अपने दोस्तों आगे जिक्र किया तो राधिका मेरी दोस्त बोली की सार्थक हम उनके लिए कुछ करते हैं।

हम सब दोस्त गए और राधिका ने उनसे बात की और उनको समझा बुझा के राधिका के फ्लैट पर ले गए, वहां इन सब लड़कियों ने मिल कर उनको नहलाया धुलाया साफ कपड़े पहनाए और फिर हम सब तैयारियों में जुट गए की उनको ठीक कैसे किया जाए।

अनु हमारी दोस्त के एक मामा मनोचिकित्सक थे तो हमको उनके पास पहुंचना सुलभ लगा। डॉक्टर मामा जी को सब बात बताई और उन्होंने इलाज शुरू कर दिया।

और कुछ ही महीनों के हमारे अथक प्रयासों से "वो औरत " हमारी प्यारी रानी मौसी बन गई।

अब रानी मौसी बीता सब भूल चुकी हैं और हम सब का मां के जैसे ध्यान रखती हैं

दोस्तों, किसी की मदद करना आपके खुद के भाग्य को भी सुधारता है। अच्छे कर्म करेंगे तो अच्छा फल जरूर पाएंगे। अपनी इच्छा और अपने दायरे में रह कर जरूर किसी न किसी की किसी भी रूप में हमें मदद जरूर करनी चाहिए।


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