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Jyoti Dhankhar

Romance

4  

Jyoti Dhankhar

Romance

वो ट्रेन का सफर

वो ट्रेन का सफर

4 mins
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गुड़गांव में नौकरी करते अब तो रिया को कई बरस हो गए थे ,29 साल की हो गई थी वो इसी बरस ।आज अचानक पापा का कॉल आया कि रिया पहली ट्रेन पकड़ और घर आ , रिया परेशान हो गई की ऐसा क्या है ? छोटे भाई को फोन किया उसने भी कुछ नहीं बताया बस इतना कहा की दीदी चिंता की कोई बात नहीं है पर आना जरूरी है ।


रिया ने कोशिश की तत्काल में टिकट बुक करने की पर हो नहीं पाई , आगरा तक का सफर बहुत लंबा तो है नहीं तो उसने बिना रिजर्वेशन के जाने का सोचा ।ट्रेन में भीड़ होने की वजह से बैठने की जगह भी नहीं मिल रही थी रिया को तो वो जनरल बोगी में जगह बना कर खड़ी हो गई ।सामने की सीट पर एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति बैठा था जो दिखने में ही अभद्र प्रतीत हो रहा था । लड़की की नजरें अपने आसपास सब भांप लेती हैं ।


वहीं पास में एक 11/12 साल की बच्ची अपनी किसी रिश्तेदार के साथ थी शायद नानी ,दादी होंगी ।अधेड़ व्यक्ति हाथ से बार बार उस गुडिया को छूने की कोशिश कर रहा । रिया कनखियों से देख रही थी । वो बच्ची बहुत असहज महसूस कर रही थी । उसकी रिश्तेदार नींद में थी और इसी बात का फायदा वो अधेड़ व्यक्ति उठा रहा था ।


अब रिया को बहुत गुस्सा आ रहा था उस बूढ़े पर भी और आसपास बैठे नामर्दों पर भी । हाथ पर हाथ धर कर तो बैठा नहीं जा सकता था , रिया उठी और जा कर सीधा उस बूढ़े को बोला की यहां से उठिए आप ।जो आदमी गलत होता है वो जानता है की उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों हो रहा है पर खुद को ठीक दिखाने की नाकाम कोशिश भी करता है वही उसने किया पर रिया की आवाज की सख्ती भांप गया वो और वहां से उठ खड़ा हो चला गया ।


कभी कभी बस आवाज उठाना ही काफी होता है । रिया ने गुडिया को सहज कराया और समझाया । एक चॉकलेट भी रिया ने उस गुडिया को दी और हेडफोन लगा अरिजित सिंह के गाए गानों में खो गई ।


खैर स्टेशन आ गया आगरा कैंट का , बाहर देखा तो भाई लेने आया हुआ था और मंद मंद मुस्कुरा रहा था । रिया ने पूछा तो बोला कुछ नहीं दीदी बस गुनगुना भर दिया सुन सुन सुन दीदी तेरे लिए एक रिश्ता आया है ।


रिया ने ध्यान नहीं दिया , घर पहुंचे जाते ही मां बोली जाओ चेंज कर लो कोई आने वाला है घर । ग्वालियर से रिश्ता आया है और लड़का फौजी है और ये लोग आज ही देखने आ रहे हैं । लड़का अभी दो तीन रोज के लिए ही आया है ।


रिया चिड़चिड़ करने लगी की मां बता तो देते मैं कितने दिन से पार्लर भी नहीं गई हूं । मां बोली अब तैयार हो जा । जा प्लीज ये लोग आते ही होंगे ।


खैर ग्वालियर वाला सिंह परिवार आया और फौजी भी था विक्रांत , लंबा तगड़ा रूबाब वाला । रिया ने कनखियों से देखा तो लगा की कहीं देखा है इन जनाब को ।रिया चाय लेके गई तो सिंह परिवार को पहली नजर में ही भा गई , विक्रांत की मां बोली की बच्चों को थोड़ा आपस में बात कर लेने दी जाए ।रिया और विक्रांत छत पर आ गए । विक्रांत ने कहा आपको मुझे कुछ पूछना है तो पूछ लीजिए मैने तो आपको ट्रेन में ही पसंद कर लिया था जबकि जानता नहीं था की आपके ही घर आ रहे हैं ।


रिया हैरान हो गई बोली आप वही थे , विक्रांत बोला मैं पीछे की बोगी से जगह ढूंढता हुआ बस तभी पहुंचा था जब आप उस अराजक तत्व को हड़का रही थी । वो कुछ बोलता तो मैं बीच में आता पर आपने तो खुद ही सब सॉल्व कर लिया था।विक्रांत बोला मैंने तो ये दिल तभी आपके नाम कर दिया था कि लोग खुद के लिए ही खड़े नहीं हो पाते दूसरे के लिए खड़ा होने वाली निश्चित ही फौजन बनेगी । मेरी फौजन बनेगी ।


रिया को भी विक्रांत पसंद आ गया था । नीचे जा कर दोनो ने अपने अपने परिवार को अपनी रजामंदी बता दी और सब एक दूसरे को मिठाई खिलाने लगे ।विक्रांत और रिया एक दूसरे को देख मुस्कुरा रहे थे ।


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