डांसिंग दादी
डांसिंग दादी
बात सत्तर के दशक की है, उन दिनों मध्यमवर्गीय परिवारों में बेटियां पढ़ा भी दी जाती थी तो समाज में कानाफूसी शुरू हो जाती थी कि ऐसी क्या है इनकी लाडो, पराए घर ही तो जाना है, चूल्हा चौका ही करना है क्यों पढ़ाना ? फिर अगर कोई शौक पूरे करना चाहे तो बस समझो घर की औरतों पे आफत आ जाया करती।
खैर उस वक्त कोई विरला ही अपने शौक जगा पाया करती उनमें से ही एक थी पवित्रा। पांच भाइयों की इकलौती छोटी बहन और बेहद लाड़ली। कई पीढ़ियों के बाद चौधरी खानदान में बेटी का जन्म हुआ था तो सारा परिवार पलकों पे रखता।
पवित्रा को नाचने का शौक बचपन से ही था पर वो अपने खानदान के नियम कायदे जानती थी तो बस कभी बंद कमरों में पैर थिरका लिए तो थिरका लिए वरना कोई जानता भी नहीं था की पवित्रा को नाचना गाना आता भी है। पवित्रा ने अपनी स्नातक की पढ़ाई शहर से पूरी की कोई ना कोई छोड़ने जाता फिर लेने जाता उसको कालेज से। कहते हैं की पलकें उठा कर भी कभी नहीं देखा पवित्रा ने रास्ता। स्नातक पूरी करते करते जान पहचान में ही रिश्ता भी मिल गया। ज्ञान नाम था उनका, बिना एक दूसरे से मिले देखे दोनों सात फेरों के बंधन में बंध गए। अपने समय के इंजीनियर थे ज्ञान जी। खुले दिमाग के खुले दिल के पर पवित्रा ने अपने मन की कभी उनको भी ना कही।
समय बीतता गया दो बेटों और एक प्यारी सी बेटी के माता पिता बन गए दोनों। रहे शहर में पर हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे, गांव आना जाना लगा रहा उन लोगों का। बहु के, मां के, पत्नी के, बेटी के हर किरदार को बखूबी निभाती जा रही थी पवित्रा जी।
कलफ लगी सूती साड़ियों में और ढीले जुड़े में इस उम्र में भी बहुत प्यारी लगा करती पवित्रा जी।
ज्ञान जी की रिटायरमेंट का वक्त नजदीक था की एक दिन अचानक दिल का दौरा पड़ने से वो पवित्रा जी को बीच मंझदार छोड़ गए। यही तो वक्त होता है साथ निभाने का। हालांकि अपने सभी काम ज्ञान जी ने पूरे कर दिए थे और बहु दामाद नाती पोतों से भरा पूरा संसार छोड़ कर मुक्त हुए थे। अब पवित्रा को खालीपन डसने लगा पहले तो दोनों पति पत्नी एक दूसरे के साथ कामों में उलझे रहते थे।
समय बीत रहा था और पवित्रा जी के पास खाली समय बढ़ रहा था। एक दिन बचपन के दिनों की तरह उन्होंने कमरा बंद किया और गाना लगाया" होंठो पे ऐसी बात मैं दबा के चली आई " और उनके पैर थिरकने लगे। उनकी पोती ने खिड़की से ये देख लिया और अपने फोन में रिकॉर्ड कर लिया और ऐसे ही बिना किसी को बताए यूट्यूब पर अपलोड कर दिया। रातों रात वीडियो वायरल हो गया अब स्मृति डर गई की कहीं दादी को बुरा ना लग जाए तो स्मृति ने अपनी बुआ को फोन करके सारी बात बताई।
स्मृति और बुआ कृति ने मिल कर पूरे परिवार को ये खबर सुनाई। बिना पवित्रा जी को पता लगे वो वायरल हो चुकी थी और घर में सब खुश थे।
आज सब इकट्ठा हुए थे घर पे और स्मृति ने अपनी दादी को क्रीम रंग की गोल्डन बॉर्डर की साड़ी पहना के सजा रखा था, पवित्रा जी बार बार पूछ रही थी की स्मृति बेटा आज क्या विशेष है ? स्मृति बोली दादी बस थोड़ा इंतजार करो बस थोड़ा। बाहर हॉल में पूरा परिवार इकट्ठा था और हॉल की दीवार पर प्रोजेक्टर लगा हुआ था।
पवित्रा जी बाहर आई तो कृति और स्मृति दोनों बुआ भतीजी ने पवित्रा जी जैसी साड़ी पहन रखी और दोनों ने "होंठों में ऐसी बात मैं दबा के चली आई " पर बिल्कुल पवित्रा जी के जैसे नाचना शुरू कर दिया। पवित्रा जी थोड़ा घबरा सा गई। लेकिन उनके दोनों बेटों ने पास आ कर उनको सहारा दिया और कहा मां आप कितना अच्छा नृत्य करती हैं। और सारी बात बताई। पवित्रा जी आश्चर्यचकित थी। उनकी पोती ने उनका इंस्टाग्राम और यूट्यूब अकाउंट भी बना दिया था।
पूरे परिवार ने मिल कर सेलिब्रेट किया और आज पवित्रा चौधरी एक जाना माना नाम हैं और डांसिंग दादी के नाम से प्रसिद्ध हैं। परिवार का साथ देने से उनके मन की अभिलाषा पूरी हुई।
बहुत बच्चों को वो आज नृत्य सिखाती भी हैं।