भावना कुकरेती

Abstract Romance Fantasy

3.5  

भावना कुकरेती

Abstract Romance Fantasy

वो और मैं -12

वो और मैं -12

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वो-तुम मुझ पर भरोसा नहीं करती न?

मैं- कतई नहीं।

वो-क्यों यार...?

मैं-तुम्ही ने तो कहा था 'तुम मेरे जहन में रहती हो।'

वो- तो..? ये कुछ समझ नहीं आया ।

मैं- हम्म...दुश्मन रखे जाते है जहन में।

वो-अरे!..यार बी तुम हमेशा मुझे गलत समझती हो।

मैं-सही समझती हूँ पर जरा वक्त से पहले।

वो-?!

मैं-बाय।


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