वो आत्महत्या नहीं थी
वो आत्महत्या नहीं थी
एक घर जो की लोगों से भरा हुआ था तब ही वहाँ एक तेज आवाज़ करते हुए पुलिस की गाड़ी और एक एम्बुलेंस आती है उसके आते ही हलचल सी मच जाती है कुछ लोग के रोने की आवाज़ आने लगती
एम्बुलेंस का दरवाज़ा खुलता है और कुछ लोग उतर कर उसमें रखी लाश को उठा कर घर के अंदर लेकर आते है उसी के साथ पुलिस की गाड़ी से उतरे लोग भी घर के अंदर दाखिल हो जाते है
लाश के घर में आते ही घर में कोहराम सा मच जाता है उन्हीं सब के बीच एक औरत बेसुध सी बैठी थी जिसके कांधे पर किसी ने स्पर्श करते हुए कहा " अम्मी आपी का जनाजा आ गया है, देखो पुलिस भी आयी है वो कुछ बताना चाहती है "
इस आवाज़ को सुन बेसुध सी बैठी उस औरत ने मुड़ कर देखा तो उसकी बेटी खड़ी थी उसे देख वो घबरा कर बोली " क,, क,, क्या हुआ,, कौन आया है,, मेरी बेटी कहा है, क्या वो घर आ गयी उसने खाना खाया क्या? रुक मैं गर्म करके लाती हूँ "
"अम्मी, अम्मी,, खुदा के लिए इस तरह की बातें न करे, आपी हम सब को छोड़ कर जा चुकी है, वो देखो उनका जनाजा वहाँ रखा है वो हमारे बीच नहीं रही उनका पोस्टमार्टम हो गया है, पुलिस कुछ बताना चाहती है " उस लड़की ने कहा अपनी माँ से रोते हुए उन्हें गले लगा कर
"देखिए हम समझ सकते है आपकी हालत के बारे में, हम आपको परेशान नहीं करना चाहते बस इतना कहना चाहेंगे कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से साबित होता है कि आपकी बेटी ने आत्महत्या की है उसने खुद को फांसी लगा ली थी किसी तरह की कोई जोर जबरदस्ती करने की कोशिश नहीं की गयी थी उसके साथ जिससे वारदात का रुख किसी और तरफ को जाता, हम नहीं जानते कि उसने ऐसा क्यू किया ये तो आप ही हमें बता सकती है कि उसने इतना बड़ा कदम क्यू उठाया खुद को फांसी के फंदे पर क्यू लटकाया
क्या कोई उसे परेशान करता था? हमने स्कूल के स्टॉफ से भी बात की थी और आस पास भी पूछा था कि कही कोई छेड़खानी का मामला तो नहीं था लेकिन इस तरह की भी कोई बात पता नहीं चली अब आप ही बता सकती है कि इस आत्महत्या के पीछे की क्या वजह थी " पुलिस ऑफिसर ने कहा पुलिस ऑफिसर कुछ और कह पाता तब ही वो औरत जो अब तक बेसुध बैठी थी अचानक आक्रोश में आकर उठ ख़डी हुई और बोली " ये आत्महत्या नहीं है, नहीं है ये आत्महत्या मेरी बेटी ने आत्महत्या नहीं की है उसे मारा गया है "
"पर किसने पोस्टमार्टम में तो ऐसा कुछ नहीं मालूम पड़ा अगर आपको किसी पर शक है तो बताये हमें, मैं वायदा करता हूँ उसे जैल की सलाखों के पीछे डाल कर रहूँगा " पुलिस ऑफिसर ने कहा
"सच कहा तुमने, क्या तुम मेरी बेटी के कातिलों को सजा दिलवाओगे? क्या तुम सच कह रहे हो?" उस औरत ने कहा।
"मैं पूरी कोशिश करूँगा कि उन कातिलों को सजा मिल सके लेकिन बाहरी तौर पर तो कुछ भी ऐसा नजर नहीं आ रहा जिसे मर्डर का नाम दिया जा सके " पुलिस ऑफिसर ने कहा
"इसे आत्महत्या मत कहो नहीं है ये आत्महत्या, ये कत्ल है कत्ल और इस कत्ल को अंजाम देने वाले यही मौजूद है हमारे बीच जाओ जाकर पकड़ लीजिये साहब पकड़ लीजिये मेरी बेटी को इंसाफ दिला दीजिये ताकि उसकी रूह को सुकून मिल जाए जीते जी तो इन लोगों ने उसे किसी तरह का सुकून नहीं लेने दिया शायद अब उसे सुकून मिल जाए, जाओ स्पेक्टर जाकर पकड़ लो देखो ये सब यही मौजूद है अब दिखावे का रो रहे है दिखावे की हमदर्दी बटोर रहे है इन्हें ले जाओ यहां से ले जाओ " उस औरत ने रोते हुए सामने खड़े स्पेक्टर से लिपट कर कहा
स्पेक्टर और वहाँ खडे लोग उसे इस तरह देख हैरान और परेशान हो रहे थे, तब ही उसकी बेटी ने अपनी माँ को संभाला और कहा " अम्मी, मत रो आपको इस तरह देख आपी की रूह परेशान हो रही होगी, उन्हें देख लो आख़री बार वो हमें छोड़ कर जा रही है "
कही नहीं जाएगी मेरी बेटी वो यही है मेरे पास जाएंगे तो ये सारे लोग जो यहां उसकी मौत पर झूठा मातम कर रहे है, इन लोगो ने मारा है उसे इनकी बातों ने उसे घायल किया था जो वो खुद को फांसी के फंदे तक ले पहुंची
इनकी दकियानूसी बातों ने मेरी बेटी की जान ली है, उसका घर नहीं बसने दिया क्या कमी थी उसमे पढ़ी लिखी अपने पैरों पर ख़डी हमें और खुद को अच्छे से संभाल रही थी लेकिन इन लोगों ने उसे जीने नहीं दिया उसके लिए आये हर रिश्ते के बीच रूकावट बन कर खडे हो गए किसी शादी ब्याह में भी उस पर बातें बनाने से बाज नहीं आये
इनके अंधविश्वास ने मेरी बेटी की जान ली है, उसकी मांग में जरा सा घुमाव था उसे इन लोगो ने नागिन का नाम दे दिया जिस घर में भी जाएगी हमेशा बदशुगनी लाएगी ये कहकर उसकी शादी में रूकावटे डाल दी बचपन से लेकर जवानी तक उसे इन्ही तरह के नामों से बुलाया गया
उसके भी अरमान थे, उसका भी मन करता था उसका परिवार हो बच्चे हो शौहर हो जिसके लिए वो खाना बनाये, उसके घर को सजाये उसके वंश को आगे बढ़ाये माँ बने, नानी बने दादी बने लेकिन इन लोगों ने उसे कही का नहीं छोड़ा इनकी बातें सुन सुन कर थक गयी थी वो बर्दाश्त की भी एक हद होती है और अब शायद उसकी वो हद पार हो चुकी थी इसलिए उसने खुद को ख़त्म ही कर लिया
क्या मिल गया इन लोगों को मेरी मासूम सी बेटी की जान लेकर और अब मगरमच्छ की तरह झूठे आंसू निकाल रहे है इनसे कहो चले जाओ यहां से क्यूंकि इन्हें मुजरिम साबित करने के लिए तो उसके जिस्म पर बाहरी घाव होना जरूरी थे जो की शायद नहीं है अफ़सोस शब्दों के तीर का कोई घाव कहा होता है जिसे देखा जा सके वो तो बस दिल पर लगते है और इंसान का काम तमाम कर देते है देखो मेरी बेटी मर गयी लटका लिया उसने खुद को फांसी के फंदे पर अब शायद इन सब के कलेजे पर ठंड पड़ गयी होगी अब शायद इसके चले जाने से किसी का घर बर्बाद नहीं होगा
तुम लोगों को मैं कभी माफ नहीं करुँगी, तुम लोगों की बातों ने उसकी जान ली है वो तो एक बार को तुम्हें माफ कर भी दे लेकिन मैं नहीं करुँगी अपने खून से सींच कर पाला था उसे रोज़ - ए - मेहशर तुम सब का गिरेहबान पकड़ कर खींच कर लेकर जाऊंगी अल्लाह के सामने मैंने अपना फैसला उस दिन के लिए छोड़ रखा है ये कहकर वो दौड़ती हुई वो माँ अपनी बेटी आमना के जनाजे से लिपट कर रोने लगी और फिर उसे हमेशा के लिए सुपुर्द - ए -खाक कर दिया गया
पुलिस भी वहाँ से जा चुकी थी आत्महत्या के केस में किसे सजा मिलती और अगर मिलती भी तो कटु शब्दों और तानो के तीर से घायल शख्स के घाव कहा नजर आते है जिस बुनियाद पर उसके मुजरिम को सजा मिल सके ऊपरी घाव का होना जरूरी है चाहे इंसान अंदर से कितना ही घायल क्यू न हो चुका हो मरने से पहले
समाप्त....