mohammed urooj khan khan

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कच्ची उम्र का प्यार

कच्ची उम्र का प्यार

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बरामदे में अख़बार पढ़ रहे विक्रम जी के पास आकर उनके बैठे शशांक ने जो कहा उसे सुन वो और पास बैठी उनकी पत्नि दोनों ही हैरान हो गए


"बेटा! तुम ठीक तो है ये क्या कह रहे हो? तुम ने कोई फ़िल्म देखी है क्या जो इस तरह बिना सोचे समझें अपनी शादी की बात कर रहे हो " शशांक की माँ रीना जी ने कहा सोफे से उठ कर


"नहीं माँ मैं बिलकुल ठीक हूँ, मैंने कोई फ़िल्म नहीं देखी है, मुझे सुरेश अंकल की बेटी रिया पसंद है और वो भी मुझे पसंद करती है, पसंद किया हम दोनों एक दुसरे से प्यार करते है और एक साथ रहना चाहते है


पापा ने बताया कि वो लोग दो दिन बाद ये शहर छोड़ कर दूसरी जगह जा रहे है अंकल के ट्रांसफर की वजह से इसलिए मैंने और रिया ने फैसला लिया है कि हम शादी कर लेंगे मैं बहुत पहले आपको बता देता लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था " शशांक ने कहा थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए


"पागल हो गए हो क्या? जो मुँह में आ रहा है बोले जा रहे हो, अपनी और उसकी उम्र देखी है इस कच्ची उम्र में तुम शादी के बंधन में बंधने की बात कर रहे हो तुम अभी कॉलेज जाते हो और वो अभी बारहवीं के एग्जाम दे कर चुकी है याद नहीं तो बता दूँ तुमने ही उसे कोचिंग दी थी " रीना जी ने गुस्से में कहा


"जानता हूँ माँ, शायद उसी दौरान ही मुझे उससे प्यार हो गया और वो मुझे अच्छी लगने लगी थी वो भी मुझे पसंद करती है हम दोनों अभी और अपने प्यार को आप सबके सामने नहीं लाते लेकिन अब मजबूरी आन ख़डी हुई है दो दिन बाद रिया मुझसे दूर चली जाएगी मैं उसे खुद से दूर नहीं जाने दे सकता, इसलिए आप लोगो के सामने मैंने शादी का प्रस्ताव रखा है मुझे रिया से शादी करनी है " शशांक ने कहा


"हे! भगवान तुम उसे पढ़ाने जाते थे या इश्क़ लड़ाने, तुम्हें क्या लगता हे शादी कोई गुड्डे गुड़िया का खेल हे ज़ब मन उठा कर ली शादी करने के लिए शादी के लायक होना पड़ता हे, अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ता हे, कमाना पड़ता हे घर बनाना पड़ता है, या बस यूं ही आकर कह दिया कि शादी करनी हे, आप क्यू खामोश बैठे हे कुछ बोलिये " रीना जी ने कहा अपने पति की तरफ देखते हुए


"माँ शायद आप भूल रही हे कि मैं बालिग़ हो चुका हूँ मेरी उम्र 22 साल है, भले ही मैं अभी कमा नहीं रहा हूँ लेकिन कॉलेज ख़त्म होते ही मुझे नौकरी मिल जाएगी और रही बात घर की तो मैं शादी की बात कर रहा हूँ आप लोगो को छोड़ कर जाने की नहीं रिया बहु बन कर इसी घर में आएगी ये घर मेरा भी तो है क्या मेरा कोई हक़ नहीं है " शशांक ने कहा


"बिलकुल है हमारे बाद सब कुछ तुम्हारा और तुम्हारी बहन का ही है " विक्रम जी ने कहा


"तो फिर पापा, फिर क्या परेशानी है? क्यू मैं रिया से शादी नहीं कर सकता वो पिछले महीने ही 18 बरस की हुई है, हम दोनों प्यार करते है एक दुसरे से और अब अपनी दुनिया बसाना चाहते है तो फिर बुराई क्या है, मैं कॉलेज के बाद बच्चों को कोचिंग पढ़ा दूंगा थोड़े बहुत पैसे आ जायेंगे नहीं तो आपके साथ दुकान पर आ जाऊंगा आपकी भी मदद हो जाएगी " शशांक ने कहा


"हम तुम्हें इसलिए पढ़ा लिखा रहे है कि तुम अपने पिता की तरह दुकान पर बैठो हे भगवान ये लड़का किन चककरों में पड़ गया आखिर क्यू मैंने उसकी माँ को बताया था कि मेरा बेटा गणित में अच्छा हे, न तुम उसे गणित कि कोचिंग पढ़ाते और न ये सब होता पता नहीं कौन सा इश्क़ का गुणा भाग सिखा दिया उस लड़की ने तुमको " रीना जी ने कहा अपने दाँत पीसते हुए


"मैं बात कर रहा हूँ ना, तुम्हें बीच में बोलने की जरूरत नहीं हे बैठो यहां मेरे पास बैठो " विक्रम जी ने शशांक के कांधे पर हाथ रख कर उसे अपने पास बैठाते हुए कहा


"जी पापा, कहिये अगर आपको लगता हे कि आप मुझे बहला फुसला कर अपने फैसले से हटा देंगे तो मैं ऐसा हरगिज नहीं करूँगा मैं रिया से शादी करके रहूँगा अपने प्यार को मंजिल तक पहुंचा कर रहूँगा " शशांक ने कहा


हाँ तो पहुँचाओ मैंने कब मना किया हे, लेकिन पहले मुझे ये तो जान लेने दो कि तुम दोनों के दरमियाँ जो हे वो प्यार ही है या इस उम्र में तुम्हारे बेहकते कदम क्यूंकि जिस उम्र में तुम और रिया हो उस उम्र में इस तरह के जज़्बाती फैसले लेना कोई बड़ी बात नहीं है अभी तो तुम पढ़ाई छोड़ कर नौकरी करने दर दर भटक कर काम ढूंढ़ने पर भी राजी हो जाओगे, रिया को पाने के खातिर हर हद पार करने को गुजर जाओगे क्यूंकि अभी तुम्हारी कच्ची उम्र है लेकिन इस कच्ची उम्र में की गयी गलतियां आने वाली पूरी जिंदगी बर्बाद कर देती है


मैं तुम्हारे जज्बातों को चोट नहीं पंहुचा रहा हूँ न ये कह रहा हूँ कि रिया के प्रति तुम्हारा प्यार झूठा है कभी कभी इस कच्ची उम्र में किया गया प्यार सच्चा निकल जाता है जो पूरी जिंदगी काटने पर भी नहीं मिलता है, विक्रम जी कुछ और कहते तब ही रीना जी बोल पड़ी


"ये क्या आप उसका साथ देने वाली बातें कर रहे है, उसे डांटने के बजाये प्यार की परिभाषा समझा रहे है "


"पापा, मुझे नहीं समझ आ रहा है आप क्या कह रहे हो? मैं बस इतना चाहता हूँ कि रिया और मेरी शादी आप सब की मर्जी से हो उसके घर वालो को भी कोई आपत्ति न हो इसलिए आप लोग उसका रिश्ता लेने उसके घर जाएंगे और वो भी इन्ही दो दिनों के अंदर ताकि वो यहां से जाने से पहले मेरी हो जाए " शशांक ने कहा



"तू ऐसे नहीं मानेगा, तेरे प्यार का भूत मैं उतारूँगी अभी बेलन से तेरा सर फोड़ूँगी तब तुझे अक्ल आएगी इंजीनियरिंग के दूसरे साल में है और भाई साहब को शादी करनी है, दुकान संभालेंगे इसी दिन के लिए तो अपना तन पेट काट कर तुम्हें पढ़ाया था कि तुम भी दुकान संभालो हम मोहल्ले भर में तारीफ के पुल बांधे फिरते है कि हमारा बेटा इंजीनियर बन रहा है अच्छी नौकरी मिलेगी खूब तरक्की करेगा और ये भाई साहब घोड़ी चढ़ने की बात कर रहे है " रीना जी ने कहा


"मैंने मना किया था तुम्हें कि बीच में मत बोलो, मुझे बात करने दो " विक्रम जी ने कहा


"क्या बात करेंगे आप? उसे और प्यार की परिभाषा समझा रहे है, उसका साथ दे रहे है " रीना जी ने कहा


"जो तुम्हें ठीक लगे समझ लो, हाँ बेटा शशांक तुम क्या कह रहे थे, तुम्हें शादी करनी है न अपने प्यार को मकाम तक पहुँचाना चाहते हो " विक्रम जी ने कहा


"जी पापा, मैं आपको कोई भी शिकायत का मौका नहीं दूंगा सब कुछ अच्छे से संभाल लूँगा बस आप अंकल से रिया का रिश्ता मांग लीजिये उसे हमारे घर की बहु बना लीजिये वो बहुत अच्छी लड़की है, आप का हमारा सब का अच्छे से ध्यान रखेगी अगर वो पढ़ना चाहेगी तो पढ़ भी सकती है" शशांक ने कहा


"अगर उसके पिता राजी नहीं हुए तब, तब क्या करोगे तुम आखिर कोई अपनी बेटी एक कॉलेज स्टूडेंट को क्यू देगा जिसके पास अभी न डिग्री है न नौकरी है सिवाय बाप के घर के "विक्रम जी ने कहा


ये सुन शशांक थोड़ी देर खामोश रहा और फिर बोला " मैं बताऊंगा उन्हें कि मैं उनकी बेटी को खुश रखूँगा कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा, पढ़ाई के साथ साथ काम भी कर लूँगा जो मैंने आपसे कहा है वही सब कहूंगा और करके भी दिखाऊंगा "


"बेटा तुम ये सब न करके एक काम कर सकते हो, इस तरह तुम दोनों साबित भी कर दोगे की तुम्हारे दरमियाँ पनपने वाला प्रेम ही है कुछ और नहीं " विक्रम जी ने कहा


"क्या पापा? कहिये मैं करने को तैयार हूँ " शशांक ने कहा


"तो फिर उसे जाने दो, उससे कहो की जहाँ वो जा रही है आराम से जाये " विक्रम जी ने कहा


"ये क्या, कह रहे है पापा आप, वो जा रही है उसे रोकने के लिए ही तो शादी करने की बात कर रहा हूँ और आप उसे जाने का कह रहे है, नहीं पापा ये मैं नहीं करूँगा हम दोनों प्यार करते है एक दूसरे से दूर नहीं हो सकते " शशांक ने कहा


दूरियाँ ही तो प्यार को सच्चा और पवित्र बनाती है, अगर दूर रह कर भी तुम दोनों को एक दूसरे का एहसास हो देखने की तलब हो आवाज़ सुनते ही दौड़ कर मिलने का मन करे तब ही तो तुम्हारे दरमियाँ बसने वाला एहसास प्रेम है नहीं तो वो सिवाय एक दूसरे को हासिल करने के कुछ नहीं हो सकता है


चीज़ो को पाने में और हासिल करने में बहुत अंतर होता है, जिसे पाया जाता है उसके खो जाने से डर लगता है और जिसे हासिल किया जाता है फिर उसके पास होने या खो जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता


बेटा तुम उसे जाने दो अपने बीच दूरियाँ लाओ हो सकता है ये प्यार न हो सिर्फ इस उम्र में तुम्हारा उसकी और खींचना हो क्या पता इसका अंदाजा तुम दोनों को बाद में हो ज़ब तक सब कुछ हाथ से निकल गया हो 


तुम्हारे बीच दूरियाँ होंगी इस दौरान क्या पता तुम्हें कोई और अच्छी लगने लगे


"बस पापा, बहुत हुआ मैं रिया के अलावा किसी और को पसंद नहीं करता अगर करना होता तो कॉलेज में ही किसी को पसंद कर लेता मुझे रिया ही चाहिए " शशांक ने कहा अपने पिता की बात पूरी सुने बिना ही


और अगर उसे कोई और पसंद आ गया तो, तब तुम क्या करोगे क्या मजनू बन कर उसकी बेवफाई में गीत गाते फिरोगे या उस लड़के का खून करोगे जो रिया को भाने लगेगा


बेटा जिंदगी कोई तीन घंटे की फ़िल्म नहीं है, जिसमे लड़का लड़की को पाने के लिए हर अच्छा बुरा काम कर बैठता है और आखिर में वो दोनों मिल जाते है और फ़िल्म खत्म हो जाती है लोग तालियां बजाते वहाँ से बाहर निकल जाते


हकीकत इससे कही अलग है, यहां जिंदगी की हैप्पी एंडिंग हमें खुद ही करनी पड़ती है और ये सब हमारे लिए हर एक फैसले पर निर्भर करती है कुछ फैसले अच्छे हो जाते है तो कुछ बुरे तो कुछ यूं ही भगवान भरोसे ले लिए जाते है


बेटा हम कोई तुम्हारे दुश्मन नहीं है और न तुम्हारे इस फैसले के खिलाफ है तुम लड़के हो तुम्हें आज नहीं तो कल अपना घर बसाना ही है चाहे तुम लव मैरिज करो या अरेंज फिर चाहे तुम अपने इस कच्ची उम्र के प्यार को मंजिल तक ले जाओ या फिर यूं ही अचानक किसी को अपनी जिंदगी में लाओ अकेले तो तुम जिंदगी काटने से रहे और रही बात रिया की तो कल ही को उसकी शादी नहीं हो रही है जो तुम्हें खतरा हो कि कोई उसे तुमसे छीन कर ले जाएगा


तुम अपने इस प्यार को थोड़ा समय दो खुद को भी समय दो सोच विचार करो शादी ब्याह के मामले इस तरह जज़्बाती होकर नहीं लिए जाते और वो भी उस उम्र में जहाँ तुमसे अभी ढंग से अपने पैरों पर खड़ा होना भी नहीं आया


शादी एक प्यारा सा बंधन है इसकी गांठ अगर सही और अच्छे वक़्त पर जुड़े तब ही सफल हो पाती है अन्यथा ये गले का फंदा भी बन जाती है


हो सकता है हम गलत साबित हो जाये तुम्हारा प्यार सच्चा हो, जो जज़्बात तुम्हारे दिल में और उसके दिल में आज है वो कुछ सालो की दूरी में भी बरकरार रहे हर बार बड़े सही साबित हो ऐसा जरूरी तो नहीं है न हो सकता है तुम्हारी इन कच्ची उमरों में पंपा प्रेम का बीज जन्मों जन्मांतर तक रहने वाला हो और अगर ऐसा होगा तो मैं खुद तुम्हारे प्यार के साथ खड़ा रहूँगा फिर चाहे मेरा दोस्त ही मुझसे बगावत पर क्यू न उतर आये दो प्यार करने वालो को तो मैं मिलाकर ही रहूँगा


इसलिए बेटा मेरी बात मानो तो तुम उसे जाने दो और उसे भी समझाओ बड़े होने के नाते हम बस इतना ही कर सकते है बाकि तुम्हारी अपनी जिंदगी है इसे किस तरह जीनी है हमसे बेहतर तुम जानते हो हमने तो अपना फ़र्ज़ निभा दिया है और आगे भी निभाते रहेंगे विक्रम जी ने कहा शशांक के सर पर हाथ फेरते हुए


शशांक अब थोड़ा संभलने लगा था शायद उसे अपने पिता की बात समझ आने लगी थी उसने कुछ कहा तो नहीं बस वहाँ से बाहर की और अपनी स्कूटी लेकर चला गया


"ये आपने क्या किया? उसे डांटने के बजाये छोटे बच्चे की तरह समझा बुझा दिया क्या उसका इन सब बातों का असर होगा " रीना जी ने कहा


होगा, जानता हूँ कही न कही उसे मेरी बात समझ आयी होगी और तुम क्या उसे डांट ने की बात कर रही हो, कभी डांट से कोई काम सम्भला है, इस समय मुझे उसे पिता नहीं दोस्त बन कर समझाने की जरूरत थी अगर मैं भी उसके पीछे लठ लेकर पड़ जाता तो शायद वो कुछ गलत कदम उठा लेता हो सकता है वो दोनों वाक़यी एक दूसरे से प्यार करते हो हम जैसा सोच रहे है वैसा न हो और वैसे भी रिया अच्छी लड़की है बस दोनों की उम्र अभी एक दूसरे के खिलाफ है चलो अब बहुत हुआ जो होगा अच्छा होगा मुझे कुछ खाने के लिए दे दो दुकान जाना है विक्रम जी ने कहा


"ठीक है, अब तो बस सब कुछ भगवान भरोसे है वो मेरे बेटे को सद्बुद्धि दे " रीना जी ने कहा और वहाँ से रसोई की और चली गयी


वही शशांक को अपने पिता की बातें सही लगी और उसने रिया को सब कुछ बता दिया रिया पहले तो तैयार नहीं थी लेकिन ज़ब शशांक ने उसे अच्छे से समझाया तब जाकर उसने हाँ कर दी और फिर अपने घर वालो के साथ दूसरे शहर चली गयी 


समाप्त.....



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