mohammed urooj khan khan

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हद - बेहद

हद - बेहद

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शेखर काफ़ी देर से बाहर खड़ा दरवाज़े की डोर बेल बजा रहा था लेकिन अंदर से कोई भी उत्तर उसे नही मिल रहा था जिसके चलते उसने अपनी जेब से चाबी निकाली और दरवाज़ा खोल कर अंदर आया तो देखा घर में काफ़ी अंधेरा था उसने अपनी पत्नि सागरिका को आवाज़ दी लेकिन कोई भी उत्तर न पाकर वो घबराते हुए ऊपर अपने कमरे की और दौड़ा


उसने जैसे ही कमरे का दरवाज़ा खोला तो भोचक्का रह गया बिस्तर पर बेसुध पड़ी उसकी पत्नि सागरिका जिसके हाथ से खून निकल रहा था वो दौड़ता हुआ उसके पास आया और उसका सर अपने पाँव पर रख कर घबराते हुए बोला "क,, क,,, क्या हुआ तुम्हे सागरिका,, ये सब कैसे हुआ तुम्हे कुछ नही होगा मैं अभी डॉक्टर के पास लेकर चलता हूँ


हे! भगवान ये सब क्या हुआ? और कैसे हुआ सागरिका ने अपने हाथ की नस काट ली,, नही,, नही मैं तुम्हे कुछ नही होने दे सकता तुम मुझे इस तरह छोड़ कर नही जा सकती तुम चली गयी तो मैं मर जाऊंगा ये कहते हुए शेखर ने सागरिका को अपनी गोदी में उठाना चाहा लेकिन ये क्या वो तो बहुत भारी सी हो गयी थी मानो कोई उसे पकडे हुए है


उसने सागरिका की तरफ देखा और सोच में पड़ गया तब ही उसकी नजर सागरिका के चेहरे पर पड़ी जिसमे वो एक आँख खोल कर उसे देख रही थी उसने जैसे ही उसकी तरफ देखा वो जोर से हस्ते हुए बोली " तुम्हे मैंने एक बार फिर बेवक़ूफ़ बना दिया, तुम इस बार फिर बेवक़ूफ़ बन गए बेवक़ूफ़ आदमी वो खून नही रूह अफ़ज़ा है "


"हे! भगवान सागरिका मजाक की भी एक हद होती है, तुम्हे मालूम नही कि मैं कितना डर गया था " शेखर ने कहा थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए।


"हाँ बताओ कितना डर गए थे, हाँ,, हाँ मैंने देखा तुम कुछ मरने मराने की बात कर रहे थे क्या सच में मुझे कुछ हो गया तो तुम भी मर जाओगे " सागरिका ने कहा


"फॉर गॉड सेक, सागरिका तुम्हारा ये कॉलेज का बचपना कब ख़त्म होगा, ये तुम्हारी शरारतें किसी दिन एक बहुत बड़ा नुकसान कर बैठेंगी तब जाकर तुम्हे एहसास होगा कि मैं सही कहता था, जानती हो मैं कितना डर गया था तुम्हे इस तरह बेसुध बिस्तर पर पड़ा देख और तुम्हारे हाथ से निकल रहे खून को देख कर " शेखर कुछ और कहता तब ही सागरिका हस पड़ी और बोली " खून नही रूह अफ़ज़ा था वो देखो "


"ये कोई हसने वाली बात नही है सागरिका, तुम्हारे लिए ये सिर्फ एक मजाक होगा लेकिन मेरे लिए नही, जरा खुद को मेरी जगह रख कर देखो तुम कमरे में दाखिल होती और मुझे इस तरह देखती जैसी तुम थी तो तुम क्या करती सागरिका हर चीज एक हद में अच्छी लगती है ज़ब वो चीज हद से बेहद हो जाती है तो हमेशा नुकसान ही देती है," शेखर ने कहा थोड़ा गुस्से से।


"ओह शेखर तुम तो नाराज़ हो रहे हो, ऐसा भी कुछ नही किया था मैंने बस थोड़ी सी मस्ती सूजी थी मुझे इसलिए ये कर दिया " सागरिका ने उसकी तरफ देख कर कहा


"तुम नही सुधरोगी, तुम्हे याद नही पिछले महीने ही तुमने सीड़ियों से गिरने का प्रैंक किया था और ज़ब मैं आया तुम्हे उठाया तो तुम हस पड़ी थी मैं ही पागल हूँ किसे समझा रहा हूँ, बस तुमसे प्यार जो इतना करता हूँ कि तुम्हारी हर गलती को नादानी समझ कर माफ कर देता हूँ लेकिन अब नही अब तुमने हद ही पार कर दी है इसलिए अब मैं कभी भी तुम्हारे इस तरह के प्रेँक का हिस्सा नही बनूँगा और न ही तुम्हे माफ करूँगा चाहे तुम कितना ही सॉरी बोलो " शेखर ने थोड़ा गुस्से से कहा।


"अच्छा, तो माफ भी नही करोगे " सागरिका ने कहा उसकी तरफ देखते हुए


"नही बिलकुल नही, इस बार चाहे तुम कुछ भी करो मैं तुम्हे माफ नही करूँगा " शेखर ने कहा


अच्छा, तो ये बात है ये कहकर कर सागरिका उसके नजदीक आने लगी और अपना हाथ उसके चहरे पर फेराने लगी


"ये क्या कर रही हो, मैं तुम्हे माफ नही करूँगा " शेखर ने कहा


नही करोगे माफ, ये कहकर सागरिका उसके कांधे पर जोर से धक्का मारते हुए बिस्तर पर गिरा देती है और उसके और करीब आने लगती है।


नही करूँगा, नही करूँगा,, बिलकुल माफ नही करूँगा शेखर और कुछ कहता तब ही सागरिका अपनी ऊँगली उसके मुँह पर रख उसे खामोश कर देती है और उसकी आँखों में देखने लगती इस बार तो शेखर भी उसकी झील जैसी नीली आँखों में डूब सा गया और उसकी ऊँगली अपने हाथ से हटा कर मुस्कुराते हुए बोला " तुम नही सुधरोगी तुम बखूबी जानती हो कि किस तरह मेरे गुस्से पर काबू पाया जा सकता है "


"मैं नही जानूंगी तो क्या कोई बाहर वाली जानेगी, तो क्या कह रहे थे जनाब अगर मैं मर गयी तो आप भी मर जाएंगे जरा एक बार और कहिये " सागरिका ने उसकी तरफ देखते हुए कहा


"और क्या नही? तुमसे बेइंतहा प्यार करने की भूल जो कर बैठा हूँ वायदा करो आज के बाद इस तरह की कोई भी हरकत नही करोगी तुम जानती नही हो मैं कितना डर गया था" शेखर ने कहा


"ठीक है बाबा नही करुँगी अब खुश, वो तो बस मुझे रूह अफ़ज़ा रखा दिखा तो ये कुराफ़ात मेरे दिमाग़ में आ गयी और मैंने रच डाली साजिश तुम्हे एक बार फिर बेवक़ूफ़ बना कर अपना प्यार साबित करने की, कि तुम अभी भी वही कॉलेज वाले शेखर हो या वक़्त के साथ मेरा प्यार कम हो रहा है पर मैं गलत थी इस बार भी तुमने साबित कर दिया कि तुम मुझसे कितना प्यार करते हो जिसकी कोई हद नही सही कहा न " सागरिका ने कहा


"तुम नही सुधरोगी तुम्हारी ये हरकते किसी दिन या तो मेरी जान लेकर रहेगी या फिर कुछ बड़ा कांड करके रखेंगी जिसकी भरपाई मैं जिंदगी भर करता रहूँगा " शेखर ने कहा


"ओह हो, कुछ नही होता एक तो तुम बहुत दूर का सोच लेते हो, " सागरिका ने कहा उसके बाद दोनों यूं ही काफ़ी देर तक एक दुसरे से प्यार भरी बातें करते रहे।


चंद महीनो बाद...


बेटा उठो सागरिका की अंतिम यात्रा का समय हो गया है तुम्हे ही उसे मुखअग्नि देनी है, खुद को सम्भालो वो अब हमारे बीच नही रही। सागरिका की माँ ने शेखर को उठाते हुए कहा जो कि बेसुध सा अपने कमरे में सागरिका की तस्वीर लिए बैठा था


"नही,, नही,, सागरिका यही है वो नहा रही है, फिर हम डिनर के लिए जाएंगे आज हमारी शादी की सालगिरह है वो बस आती होंगी सागरिका जल्दी करो देखो सब लोग आ गए है " शेखर ने कहा और बाथरूम की तरफ दौड़ा

"नही बेटा, भगवान के लिए इस तरह की बातें मत करो, वो तो हमें छोड़ कर जा चुकी है अब अगर तुम भी इस तरह बर्ताव करोगे तो हम सब का क्या होगा " सागरिका की माँ ने कहा


कोई कही नही गया है, मेरी सागरिका बस नहा रही है वो अभी मेरी दी हुई साड़ी पहन कर बाहर आएगी, फिर देखना हम केक काटेंगे, फिर डिनर पर जाएंगे और हाँ लॉन्ग ड्राइव पर भी आओ सागरिका सब लोग आ गए है " शेखर ने बाथरूम में जाकर आवाज़ देते हुए कहा।


कोई नही आएगा बेटा खुद को सम्भालो सागरिका मर चुकी है उसकी लाश बाहर रखी है तुम्हारा इंतजार हो रहा है वो हमें छोड़ कर जा चुकी है, उसको मुख अग्नि देना है चलो आ जाओ भगवान के लिए आ जाओ

वो कल रात ही हम सब को छोड़ कर जा चुकी है तुम्हे याद नही उसका नहाते समय पैर फिसल गया था वो तुम्हे पुकार रही थी उसके सर पर काफ़ी चोट लगी थी


"अरे मम्मी आप भूल गयी, सागरिका को तो आदत है इस तरह की हरकते करने की, याद नही एक बार वो सीड़ियों से गिरने का नाटक की थी उसके बाद अपनी नस काटने का आप परेशान न हो वो बस इसी तरह हम सब को बेवक़ूफ़ बनाती है, आ जाओ सागरिका इस बार तुम्हारा प्रेँक काम नही करेगा देखो मम्मी भी बुला रही है " शेखर ने कहा


"माँ, जीजा जी को लेकर आ जाओ पंडित जी बुला रहे है, अंतिम यात्रा में देरी हो रही है " सागरिका की बहन ने आकर कहा।


अफ़सोस शेखर की दिमागी हालत ख़राब हो चुकी थी। उसे अभी भी यही लग रहा था कि सागरिका वाशरूम में नहा रही है और गिरने का नाटक कर रही है जबकी वो हकीकत में ही गिर कर सर पर चोट लगने की वजह से मर गयी थी उसने तो उसे बहुत समझाया था कि उसकी ये आदत अब हद से बड़ चुकी है और किसी दिन बहुत भारी नुकसान हो जाएगा।


एक तरफ उसे मुख अग्नि दी गयी वही दूसरी तरफ शेखर को पागल खाने ले जाया गया क्यूंकि उसकी हालत बिगड़ने लगी थी वो घर के लोगो को मारने लगा था जो भी उससे सागरिका के मौत की बात कहता


सागरिका की इस खराब आदत ने उसकी खुद की तो जान ली ही शेखर को भी उम्र भर की सजा दे दी इसलिए ही कहते है अधिकता हर चीज की हमेशा गलत ही होती है हर चीज़ हद में ही अच्छी लगती है ज़ब बेहद हो जाती है तो तबाही ही लाती है


समाप्त...


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