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Afsana Wahid writes Wahid

Abstract

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Afsana Wahid writes Wahid

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विकास सफाई वाला

विकास सफाई वाला

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वह अपने नकाब को ठीक करके झाड़ू लगा रहा था सफाई के साथ-साथ उसका ध्यान बार-बार अपने नकाब पर भी जाता वह नहीं चाहता था कि उसे इस तरह सफाई करते हुए कोई भी शख्स देखें लेकिन उसकी मजबूरी थी यह कि वह इस सफाई करें

आजकल इंसान इतना परेशान हो गया है के पढ़ा-लिखा होने के बावजूद भी ग्रेजुएट होने के बावजूद भी उसे अच्छी नौकरी नहीं मिलती उसे अच्छा रोजगार नहीं मिलता फिर मजबूरन उसे कोई भी काम करना पड़ता है चाहे वह पसंद हो या नापसंद हो और यही विकास के साथ भी हुआ था उसे मजबूरी में यह सफाई का काम करना पड़ता था वह ग्रेजुएट था लेकिन उसे कोई नौकरी नहीं मिल रही थी

 विकास में घड़ी में देखा जो लगभग 10:00 बज चुके थे उसने अपना काम खत्म करके झाड़ू और बाकी का सामान अपनी जगह पर रखा और जल्दी से अपने कपड़े चेंज करके बाहर निकल आया उसके ट्यूशन पढ़ाने का टाइम हो गया था वह बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाता था 10:00 से 2:00 तक

कोई भी बच्चा यह नहीं जानता था कि उनके सर पुणे ट्यूशन पढ़ाने के साथ-साथ सड़क की सफाई भी करते हैं विकास इकलौता था उसकी तीन छोटी बहन ने और एक बूढ़ी मां वह भी बीमार रहती थी बाप मर चुके थे तो सब का दारोमदार विकास के कंधों पर ही था वह अगर यह दोनों कामना करता तो अपनी तीन छोटी बहनों और एक बूढ़ी बीमार मां को कैसे पाल था सोचने वाली बात है किसान अपने परिवार के लिए और अपने पेट के लिए क्या-क्या करता है अल्लाह सबकी मदद करने वाला है।


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