Afsana Wahid writes Wahid

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तोहफा

तोहफा

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मेरा नाम जोया है और मेरा एक सपना है कि मुझे स्कॉलरशिप के जरिए बाहर पढ़ने का मौका मिल सके तो मैं कोशिश करती रहती हूं इस चीज की के स्कॉलरशिप मुझे किस तरीके से मिले हर चीज में पार्टिसिपेट करती हूं मैं हर कंपटीशन में क्योंकि मेरे पेरेंट्स बहुत गरीब है वह आफर्ड नहीं कर सकते मुझे बाहर पढ़ाना लेकिन फिर भी मेरा यह सपना है कि मैं बाहर जाकर पढू मेरे एक टीचर है जो मुझे बहुत सपोर्ट करते हैं वो मुझे सही रास्ता दिखाते हैं 12th क्लास में मैंने पूरी सिटी में टॉप किया 10 टॉप स्टूडेंट लोगों की लिस्ट में फर्स्ट नंबर पर मेरा नाम था मुझे बहुत खुशी हुई और खुशी के मारे में फूले नहीं समा रही थी मेरे माता-पिता भी बहुत खुश थे इस बात से।                  मुझे आगे पढ़ना था और वही बात कि मेरा ही सपना था कि मैं बाहर जाकर पढ़ सकूं यह मैंने अपने माइंड में बचपन से रखा हुआ था कि मुझे बाहर जाकर पढ़ना है मुझे कुछ बनना है मुझे अपनी सिटी का नाम रोशन करना है लोग मुझे मेरी सिटी के नाम से और मुझे मेरी काबिलियत से पहचाने गवर्नमेंट की तरफ से मुझे काफी बड़ा अमाउंट मिला था मगर अभी भी वह अमाउंट काफी छोटा था मुझे बाहर जाकर पढ़ने के लिए मैं काफी निराश हो गई क्योंकि मैंने सोचा था शायद गवर्नमेंट मेरी कुछ हेल्प कर सके मैं टॉप 10 की फर्स्ट लिस्ट में आई हूं लेकिन ऐसा नहीं हो पाया गवर्नमेंट ने जितना अमाउंट मुझे दिया उस अमाउंट के जरिए में बाहर नहीं जा सकती थी बाहर जाकर नहीं पढ़ सकती थ।

मुझे मेरे सपने बीच में ही टूटे हुए नजर आ गए थे मैं निराश होकर अपने टीचर के पास गई मेरी टीचर मुझे देखकर बहुत खुश हुए उन्हें बहुत खुशी थी कि मैंने इतना बड़ा मकाम हासिल किया है लेकिन फिर उन्होंने मेरा चेहरा।  उतरा हुआ देखा तो मुझसे सवाल करने लगे कि मेरा चेहरा

उतरा हुआ क्यों है पहले मैं मना करती रही लेकिन    आखिरकार मैंने उन्हें बता दिया कि मैं क्यों उदास हूं मेरी बात सुनकर कुछ देर वह सोच में पड़ गए फिर मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुस्कुराने लगे वह बिल्कुल मुझे अपनी बेटी जैसा समझते थे मैं उनके मुस्कुराने की वजह नहीं समझ पाई थी कि वह क्यों मुस्कुरा रहे हैं।

वह अपने रूम में अंदर गए और जब अंदर से वापस आए तो उनके हाथ में एक गिफ्ट था उन्होंने वह गिफ्ट मुझे दिया मैं मना करती नहीं सर मुझे यह गिफ्ट नहीं चाहिए मुझे तो आपकी दुआओं की जरूरत है उन्होंने मेरी एक बात ना सुने और वह गिफ्ट मुझे दे दिया और उन्होंने मुझसे कहा इस तोहफे को अभी मेरे सामने खोलो।                    

मेरा मन तो उदास था लेकिन मैं अपने उदास मन के साथ उस गिफ्ट को खोलने लगी वह छोटा सा बॉक्स था वह जैसे ही मैंने उसको गिफ्ट को खोला उसमें कुछ मेरी फेवरेट बुक और एक चेक था वह चेक उन्होंने पूरा भरा हुआ था बस अमाउंट की जगह खाली थी मैं नासमझी में सर की तरफ देखने लगी सर ने बहुत प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा और कहा बेटा जोया तुम अपना सपना पूरा करो तुम्हें जितना अमाउंट चाहिए इस चैक में भर लो और बाहर जाकर पढ़ लो यह

मेरी तरफ से तुम्हारे लिए तोहफा है और मैं खुशी से फूले नहीं समा रही थी मैं सर को देखने लगी मगर सर मैं आपसे कैसे ले सकती हूं तब उन्होंने बड़े प्यार से मुझे डांटते हुए कहा "बेटा मेरी कोई बेटी नहीं है मैं जब जब तुम्हें देखता थातुम्हारे पढ़ने की लगन को देखता था तो मुझे बहुत अच्छा लगता था और जैसे तुम जानती हो कि मैं बचपन से तुम्हें अपनी बेटी मानता आया हूं तो यह मेरी बेटी के लिए मेरी तरफ से गिफ्ट है" मैं अपनी टीचर की बात पर आंखों में आंसू ले आई किस तरह से मेरा सपना पूरा होगा मेरी टीचर ने मेरा सपना पूरा करने में मेरी बहुत मदद की बहुत अच्छे हैं मेरे टीचर इसलिए नहीं क्योंकि मुझे उन्होंने अमाउंट दिया बल्कि इसलिए जो उन्होंने मेरी फिलिंग्स को समझा उन्होंने मुझे हर वक्त अच्छी शिक्षा दी सही रास्ते पर चलना सिखाया उनकी में हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी उनका यह कीमती तोहफा मुझे जिंदगी भर याद रहेगा

         



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